चार साल तक आदिवासियों की उपेक्षा, कोर्ट में सरकार ने मजबूती से नहीं रखा पक्ष : साय

आदिवासी आरक्षण मामले को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे आदिवासी नेता नंदकुमार साय से द थिंक मीडिया की खास बातचीत

रायपुर@thethinkmedia.com आदिवासियों के 32 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे भाजपा के धाकड़ आदिवासी नेता पूर्व सांसद, अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदकुमार साय से आरक्षण मुद्दे पर द थिंक मीडिया से खास बातचीत – साय ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा चार साल तक आदिवासियों के मुद्देे पर लापरवाही बरतते रही सरकार। जब कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, उस समय कोर्ट मेें आदिवासियों की संख्या और बहुलता वाले क्षेत्र की जानकारी नहीं दी गई। भूपेश सरकार आदिवासियों के आरक्षण को लेकर डे-टू-डे सुनवाई पर कोई ध्यान नहीं दिया और न ही सरकार की तरफ से आदिवासियों के पक्ष में मजबूती से बात रखी गई, जिसके कारण कोर्ट ने आदिवासियों के आरक्षण में 12 प्रतिशत की कटौती करने का फैसला लिया।

सवाल: -आदिवासी आरक्षण को लेकर बतौर आदिवासी नेता आप विगत दिनों से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे है। इस आंदोलन में भाजपा का क्या रूख है?
जवाब: भाजपा का रूख आदिवासियों के आरक्षण को लेकर स्पष्ट है, भाजपा हमेशा से आदिवासियों की हित चिंतक रही है। देवेंद्र नगर स्थित धरना स्थल में प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव सहित सभी बड़े नेता पहुंच कर समर्थन दिया है। और आदिवासियों की आवाज सरकार के कानों तक पहुंचाने के लिए हम इसे विस्तार करने जा रहे है। भाजपा का आरक्षण धरना आंदोलन में पूर्ण समर्थन मिल रहा है।
सवाल : भूपेश सरकार की कैबिनेट ने हाल ही में 76 प्रतिशत आदिवासी आरक्षण का प्रस्ताव पारित किया है और उसके लिए विशेष सत्र बुलाया जा रहा है। इसमें क्या संभावना देखते है?
जवाब:- भूपेश सरकार चुनावी साल होने की दृष्टिकोण से राजनीतिक लाभ लेने के लिए आनन-फानन में यह प्रस्ताव लाया है। ताकि आदिवासियों के वोट का लाभ मिल सके। जब कोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण में कटौती कर दी तो 76 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव सर्फ राजनीतिक लाभ उठाने के लिए है ढिंढोरा मात्र है।
सवाल:- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा कांग्रेस पार्टी 76 प्रतिशत आरक्षण की कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे नौवी सूची में शामिल करने की पहल करेंगे। आप इस पर क्या संभावना देखते है?
जवाब :- आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक लाभ का नजरिया है। भूूपेश सरकार जब इस विधेयक के साथ संकल्प पारित करने का विचार की है। इसमें केंद्र सरकार से आग्रह करेगी। यह काम तो पहले ही करना था जब कोर्ट में मामला लंबित था।
सवाल : आप तो अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे है कार्यकाल के दौरान आपके संज्ञान में आया कि कितने राज्यों में 76 प्रतिशत के या उससे ज्यादा आरक्षण प्रभावशील है?
जवाब:- दक्षिण के राज्यों में 70-80 प्रतिशत आरक्षण लागू है कहां-कहां लागू है वास्तविक आकड़े तो पता नहीं पर संज्ञान में है कि दक्षिण में के कुछ राज्यों में 70-80 प्रतिशत आरक्षण लागू है।
सवाल:- कोर्ट में आरक्षण मामले की सुनवाई के दौरान कांग्रेस सरकार ने क्या-क्या जानकारी उपलब्ध नहीं कराया। जिससे कारण आरक्षण खारिज हो गया?
जवाब:- आरक्षण का सारा दारोमदार जनसंख्या पर निर्भर है। प्रदेश में कितने प्रकार की जनजातियां निवासरत है और कहां-कहां सबसे अधिक और कहां सबसे कम जनसंख्या है। वनवासियों की जनसंख्या जनगणना और शासकीय गजट में संशोधित आंकड़े सरकार को देना चाहिए था, उस समय भूपेश सरकार ने कोताही बरती, अब आरक्षण का संकल्प पारित कर राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है। यह सिर्फ कांग्रेस के फायदे के लिए है। कोर्ट में आदिवासियों और जनजातियों के पक्ष में पुख्ता जानकारी नहीं दी, जिसके अभाव में आदिवासियों का पक्ष मजबूत नहीं बन सका।
सवाल: हाल ही में आनन-फानन में भूपेश सरकार आरक्षण का संकल्प पारित किया, इसे आप किस नजरिए से देखते है?
जवाब :- भूपेश सरकार कोई नियुक्ति कर रही होगी उसके आड़ में आदिवासियों के मामले को लेकर स्वार्थवश संकल्प पारित किया। इस मुद्दे में सरकार का नजरिया स्पष्ट नहीं है। वह चार तक इस मामले पर सुध नहीं ली और खारिज होने के बाद जागने और आदिवासियों की हितों की रक्षा करने की खोखली कसमें खा रही है।
सवाल:- आरक्षण को लेकर लाए गए सकल्प से कांग्रेस को कितना लाभ मिल सकता है?
जवाब:- इस तरह के आरक्षण ग्राह्य होगे या नहीं यह तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन कांग्रेस की भूपेश सरकार को इस मुद्दे पर कोई लाभ नहीं मिल सकेगा। आदिवासियों की नाराजगी प्रदेश की राजधानी से लेकर वनांचलों में साफ तौर पर दिखाई देने लगी है। लोग विरोध का स्वर बुलंद कर रहे है।
सवाल:- आरक्षण खारिज होने के लिए आप सबसे ज्यादा दोषी किसे मानते है?
जवाब:- आरक्षण मामले में सबसे ज्यादा भूपेश सरकार दोषी है। जबकि वो पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर दोष मढ़ रही है।

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