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राजेश का रसूख और बृजमोहन की छाया-माया
रायपुर दक्षिण का उपचुनाव इस बार कई मायनों में अहम होने जा रहा है। हालांकि अब तक ज्यादातर उपचुनावों में सत्ताधारी दल को विजयश्री मिलते रही है। लेकिन यह उपचुनाव कई मायनों में अन्य चुनाव से जुदा है। अभी तक रायपुर दक्षिण से कद्दावर भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल स्वयं चुनाव लड़ते रहे हैं। यह पहली दफा है जब राजनीति में बृजमोहन की छाया कहे जाने वाले सुनील सोनी भाजपा की ओर से मैदान में हैं। वहीं पार्टीं में रसूख रखने वाले राष्ट्रीय सचिव और प्रियंका गांधी के अति-करीबी राजेश तिवारी के दामाद आकाश शर्मा को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने 2008 के विधानसभा चुनाव के बाद इस बार फिर ब्राह्मण प्रत्याशी पर विश्वास जताया है। कुल मिलाकार अघोषित लड़ाई बृजमोहन अग्रवाल और प्रियंका गांधी के करीबी राजेश तिवारी के बीच होने जा रही है। बृजमोहन की भांति राजेश तिवारी को भी राजनीति का कुशल रणनीतिकार माना जाता है, सम्भवत: इसीलिए वह पूर्व सीएम भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार रहे और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य की अहम जिम्मेदारी भी उन्हें दी गई। दक्षिण विधानसभा में कुल 259948 मतदाता हैं। जिसमें 129093 पुरुष, वहीं 130804 महिला तथा 51 थर्ड जेंडर शामिल हैं। दरअसल में इस बार कांग्रेस मुस्लिम वोटरों के साथ-साथ ब्राह्मण वोटरों को साधने की जुगत में हैं। अभी तक ब्राह्मण वोटर 100 प्रतिशत भाजपा और बृजमोहन के साथ थे, इस बार बंटने के आसार हैं। दरअसल में इस क्षेत्र में तकरीबन 25000 मुस्लिम वोटर वहीं 35 हजार से अधिक ब्राह्मण वोटर हैं, इसके साथ तकरीबन 8000 कुर्मी वोटर हैं। कुर्मी वोटरों को साधने भूपेश बघेल इस बार आकाश और राजेश के लिए हर संभव प्रयास करते दिख रहे हैं। इसके साथ ही दक्षिण विधानसभा में कुल 19 पार्षद हैं, जिसमें से कांग्रेस के 11 और भाजपा के 8 हैं। इस उपचुनाव के बाद राज्य में निकाय चुनाव होने हैं, कांग्रेसी पार्षदों को राजेश के रसूख का भय भी होना स्वाभाविक है। कहा यह भी जा रहा है कि कांग्रेसी पार्षदों के वार्ड में आकाश को लीड नहीं मिली तो पार्षदों की टिकट में खतरा मंडरा सकता है। बहरहाल हार और जीत जिसकी भी लेकिन इस चुनाव में राजेश का रसूख और बृजमोहन की छाया-माया महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है।
आईटी हब दुर्ग या रायपुर
आईटी हब रायपुर बनेगा या दुर्ग इसका जल्द ही ऐलान होने जा रहा है। दरअसल में आईटी पार्क की पॉलिसी सामने आने के बाद इसका खुलासा हो जाएगा। हालांकि लंबे समय से दुर्ग को आईटी हब बनाने की चर्चा रही है। लेकिन भाजपा के एक कद्दावर नेता राजधानी रायपुर को आईटी हब बनाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। बहरहाल पॉलिसी सामने आने के बाद ही स्पष्ट होगा की आईटी हब के रुप में रायपुर को या फिर दुर्ग को जगह मिलने जा रही है।
पुरंदर और दयानंद का कद बढ़ा
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू 2 दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ रहीं। दो दिवसीय प्रवास के आवभगत और विष्णुदेव सरकार की कार्यशैली देखकर राष्ट्रपति गदगद दिखाई दीं। दरअसल में परदे के पीछे राष्ट्रपति के दौरे और व्यवस्था से संबंधित जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के सचिव आईएएस दयानंद ने सम्भाल रखी थी। राष्ट्रपति का यह दो दिवसीय दौरा राज्य के लिए सदैव स्मरणीय रहेगा। वहीं राष्ट्रपति के दौरे के बाद रायपुर उत्तर विधायक पुरंदर मिश्रा का कद और बढ़ गया है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने अवंती विहार पहुंचीं, इस मंदिर के ट्रष्टी स्वयं विधायक पुरंदर मिश्रा हैं। निश्चित ही विधायक पुरंदर मिश्रा के लिए यह पल किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं हैं।
साजा में चिंगारी
विपक्षी दल के नेता लगातार कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाकर विष्णु सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं कानून व्यवस्था को लेकर गृह विभाग भी लगतार विपक्ष को मौका पर मौका दे रहा है। दरअसल में राज्य में बैक टू बैक घटनाएं हो रही हैं, जिस पर लागाम लगाने में अब तक राज्य की पुलिस नाकामयाब दिख रही है। पहले बलौदाबाजार कांड, उसके बाद कवर्धा के लोहारीडीह में घटना, सूरजपुरकांड, उसके बाद फिर बलरामपुर कांड। इतनी सारी घटनाओं के बाद भी विभाग के आला अफसर नींद से नहीं जाग रहे। जिसकी चिंगारी अब साजा में भी दिखने लगी है। दरअसल में साजा विधायक ईश्वर साहू के पुत्र कृष्णा साहू पर आरोप है कि उन्होंने दशहरा उत्सव के दिन चेचानमेटा में आदिवासी युवक मनीष मंडावी को जमकर पीटा है। 15 दिन बीत जाने के बाद भी इस हाईप्रोफाइल मामले को शांत नहीं किया गया। जिसके कारण आदिवासी युवक की पिटाई का मामला अब राजनीतिक और सामाजिक रुप ले चुका है। सर्व आदिवासी समाज ने बड़ी संख्या में रैली निकालकर साफ तौर पर चेतावनी दी है कि अगर कार्रवाई नहीं की गई तो परिमााण भुगतने लिए तैयार रहें। अरविंद नेताम जैसे बड़े आदिवासी नेता इस मुद्दे में मोर्चा सम्भाले हुए हैं। रैली के बाद आदिवासी नेताओं के भाषण में साफ तौर पर आक्रोश दिखाई दे रहा है। कहीं यह चिंगारी तो नहीं…….?
रानू का क्या?
भ्रष्टाचार के अरोपों के चलते आईएएस रानू साहू पिछले एक साल से अधिक समय से सलाखों के पीछे बंद हैं। रानू के गिरफ्तारी के समय तत्कालीन भूपेश सरकार ने आरोप लगाया था कि ईडी की कार्रवाई में विपक्षी दल यानि की भाजपा की भूमिका है। जो समय के साथ महज सिर्फ एक आरोप बनकर रह गया है। दरअसल में दबे जुबां अब यह चर्चा हो रही है कि रानू की गिरफ्तारी में आईएएस विरादरी के ही कुछ अफसरों का हाथ रहा। हालांकि आरोपों के आधार पर हुई अन्य मामलों की गिरफ्तारी में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, मंत्री सतेन्द्र जैन, झारखण्ड के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन समेत कई लोग जेल से बाहर आ चुके हैं। ऐसे में आईएएस रानू साहू का क्या होगा? फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन इस बीच माया वारियर की गिरफ्तारी ने मामले में नया मोड़ ले लिया है। कहा जा रहा है कि माया वारियर का दुर्ग कनेक्शन रानू साहू से जुड़ सकता है। दरअसल में माया वारियर कोरबा में आदिवासी विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर रह चुकी हैं। डीएमएफ घोटाले में माया वारियर की गिरफ्तारी की गई है, चूंकि माया का दुर्ग से विशेष नाता है। ऐसे में माया, रानू और सौम्या की कड़ी जुडऩे की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।
अबिनाश के कामों की चर्चा
2018 बैच के आईएएस अफसर अबिनाश मिश्रा वर्तमान में रायपुर नगर निगम के कमिश्नर हैं। अबिनाश आईआईटी के छात्र रहे हैं, उन्होंने शहर के मध्य में स्थित खाली जगह के सदउपयोग की बेहतर तरकीब निकाली है। दरअसल में महानगरों में बड़े- बड़े ब्रिजों का निर्माण होना आम हो चुका है। लेकिन ब्रिज निर्माण के बाद उसके नीचे की जगह में कब्जा हो जाता है, या यहां पर कबाड़ समेत अन्य की अवैध दुकाने खोल ली जाती हैं। कुल मिलाकार शहर के बीचों-बीच की जगह की उपयोगिता शून्य हो जाती है। जिस पर कमिश्नर मिश्रा ने बेहतर तरकीब निकालते हुए इसे पब्लिक यूज के लिए समर्पित कर दिया है। दरअसल में कमिश्नर अबिनाश मिश्रा ने तेलीबांधा ब्रिज के नीचे खाली जगह समेत अन्य जगहों में क्रिकेट नेट लगवा कर खेल प्रेमियों के लिए एक अच्छा अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास किया है। अब शाम-सुबेरे जब आप राजधानी के इस इलाके से गुजरेंगे तो यहां बेजा- कब्जा और गंदगी नहीं, बल्कि छात्र-छात्राएं खेलते नजर आयेंगे। कमिश्नर अबिनाश के इस काम की इन दिनों जमकर चर्चा हो रही है।
जिम्मेदार कौन?
राज्य में वन्य जीवों की लगातार मौत हो रही है। बीते दिनों रायगढ़ जिले में एक साथ तीन हाथियों की मौत हो गई, जिसमें एक नर हाथी, मादा हाथी और एक शावक भी शामिल था। यह मौत करंट की चपेट में आने से होना बताया जा रहा है। लेकिन इस बीच जो आंकड़े सामने आए हैं वह हैरान करने वाले हैं। पिछले 6 सालों में बिजली करंट से 35 हाथी मरे हैं। वहीं अभी तक कुल 78 हाथियों की मौत हो चुकी है। वन्य जीवों के प्रति विभाग ने अब तक कोई बड़ी रणनीति तैयार नहीं की है, जिसके कारण इन बेजुबान जानवरों की दर्दनाक मौत हो रही है। आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
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