केंद्र सरकार आज एक सामुदायिक सहायता कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (Pradhan Mantri TB Mukt Bharat Abhiyan) के हिस्से के रूप में टीबी रोगियों को किसी व्यक्ति, किसी प्रतिनिधियों या संस्थानों द्वारा गोद लिया जा सकता है और गोद लिए रोगियों की देखभाल की जाएगी। देश में वर्तमान में इलाज करा रहे 66 प्रतिशत से अधिक टीबी रोगियों ने इस अभियान के तहत गोद लेने के लिए अपनी सहमति दी है।
देश से टीबी भगाने का लक्ष्य
बता दें कि मरीजों की देखभाल के लिए आगे आने वाले लोगों और संस्थानों को ‘निक्षय मित्र’ कहा जाएगा। वे जिलों, प्रखंडों या यहां तक कि एक रोगी को भी गोद ले सकते हैं और उन्हें ठीक होने में मदद करने के लिए पोषण और इलाज में सहायता प्रदान कर सकते हैं। 2030 के SDG (सतत विकास लक्ष्य) लक्ष्य से 5 साल पहले देश से बीमारी को खत्म करने के लिए मार्च 2018 में दिल्ली एंड टीबी समिट में दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्पष्ट आह्वान के अनुरूप, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को वर्चुअली इस अभियान का शुभारंभ करेंगी।
मांडविया 15 रोगियों को लेंगे गोद
कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया उन 87 रोगियों में से 15 को गोद लेंगे, जिन्होंने गुजरात में अपने गृह नगर पलिताना में गोद लेने के लिए अपनी सहमति दी है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा, ‘राष्ट्रपति मुर्मू नि-क्षय मित्र पहल का भी शुभारंभ करेंगी, जो इसी अभियान का एक हिस्सा है। Ni-kshay 2.0 पोर्टल टीबी का इलाज कर रहे रोगियों को विभिन्न प्रकार की सहायता करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।