रेरा नियमो की उड़ रही धज्जियां, कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग का चल रहा बड़ा खेल, किसान हो रहे ठगी के शिकार, अर्जी निवेश से मिलीभगत कर की गई २ रजिस्ट्री, जल्द होगी एफआईआर, भूमाफियाओं के क्लब पर डीएम की पैनी नज़र

 

रवि भूतड़ा/बालोद-

जिला निर्माण के बाद अवैध प्लाटिंग करने वालों की जिले में बाढ़ सी आ गई है। अवैध प्लाटिंग कर लोगों को झूठे सपने दिखा कर लूटा जा रहा है। अब अवैध प्लाटिंग करने वालों के खिलाफ में एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग अब पीड़ित पक्ष और किसान वर्ग करने लगे हैं। पीड़ित पक्ष व किसान अमलेश्वर कुमार राव, दुष्यंत साहू, श्याम मरकाम आदि लोगों ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए बताया कि जिले के विभिन्न प्लाट विक्रय करने वाले लोगों ने प्लाट विक्रय करते समय झूठे सपने दिखा कर प्लाट का विक्रय कर दिया और जब उन्हें अधिकार की बात की गई तो सुविधा के नाम पर शून्य था। अब पीड़ित पक्ष जिला कलेक्टर सहित संबंधित अधिकारी को शिकायत करने की तैयारी कर रहे हैं। इतना ही नही किसानो से भूमाफियाओं ने जमीन खरीदी के नाम पर स्टाम्प में लिखा पढ़ी कर उन्हें ठगने का भी काम किया है। कई किसान ऐसे है जो आज भो अपने पैसों के लिए भूमाफियाओं के चक्कर लगा रहे हैं।

भूमाफिया से ठगी के शिकार हो रहे किसान-
जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्र अंतर्गत कम भाव पर प्लाट बेचने का लुभावना सपना दिखाकर खुलेआम अवैध प्लाटिंग का धंधा चल रहा है। जिले में जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसलिए भू-माफिया प्लाट उपलब्ध कराने का लालच देकर लोगों को आसानी से अपना शिकार बना रहे हैं। जिन लोगों को ले आउट, डायवर्सन की जानकारी नहीं है। वह रोड पर कच्ची मुरुम की रोड, बाउंड्री से घिरे प्लॉट के झांसे में आकर अपने आशियाने के लिए जमा पूंजी लगा दे रहे हैं। अवैध प्लाटिंग को रजिस्ट्री का भी प्रश्रय है। जिसके चलते प्लाट काट-काट कर बेचने वाले बेजा कमाई कर रहे हैं। चर्चा है कि प्लाट खरीद कर मकान नक्शा के लिए जब लोग नगर पालिका कार्यालय पहुंचते हैं। तब पता चलता है कि वह अवैध प्लाटिंग के शिकार हो चुके हैं। फिर क्या तब तक वे ठगी के शिकार हो जाये रहते हैं।

राजस्व एवं पंजीयक कार्यालय की मिलीभगत-
जिला मुख्यालय व आस-पास के क्षेत्रों अवैध प्लाटिंग का कारोबार बेखौफ हो रहा है। शासन-प्रशासन के सारे नियमों को ताक पर रखकर खेत खलिहान की आवासीय प्लाट के रूप में खरीदी बिक्री हो रही है। आलम यह है कि बालोद शहर के आस-पास इलाकों में रोज कहीं ना कहीं कालोनी का नक्शा खींचा जा रहा है। चर्चा हैं कि इस पूरे अवैध कारोबार में राजस्व विभाग सहित पंजीयक कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारियों से सांठ-गांठ कर भूमाफिया लोगों की जमा पूंजी को चौपट करने में लगे हैं।

सीलिंग व कोटवारी जमीनों को भी नही बख़्श रहे भूमाफिया-
नगर पालिका सहित अन्य नगरीय निकाय क्षेत्रों में भी बड़े स्तर पर अवैध प्लाटिंग का खेल चल रहा है। भू-माफिया रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारटी (रेरा) को दरकिनार कर प्लाट बेच रहे है। अवैध निर्माण की वजह से शहर का सुनियोजित विकास नहीं हो पा रहा है। पाररास, जुंगेरा,
तरौद, झलमला, सिवनी सहित आस-पास के गांव का नक्शा भी बिगड़ रहा है। तो आने वाले दिनों में लोग जहां मूलभूत सुविधाओं को तरसते नजर आयेंगे। वहीं दूसरी ओर प्रशासन को भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अवैध तरीके से कालोनी बसाने वाले भू-माफियाओं ने अपनी सारी हदें पार कर दी हैं। भूमाफिया तो अब सीलिंग व कोटवारी जमीनों को भी नही बख़्श रहे हैं। नियमों के अनुसार किसी प्लाट के चार भाग करने यानि चार प्लॉट बनाकर बेचने पर टाउन प्लानिंग से ले-आउट पास करवाना जरूरी होता है। ले-आउट में ही दर्शाया जाता है कि सड़क कहां-कितनी चौड़ी होगी, बिजली खंभे और सीवरेज सिस्टम कैसे बनेगा। इसका खर्च भी बहुत कम है। लेकिन भूमाफिया ले-आउट पास करवाने के बजाय खुद ही नक्शा बनाकर काट रहे हैं प्लाट।

रेरा नियमो की उड़ रही धज्जियां-
नए नियमों के साथ अब हर कॉलोनाइजर, बिल्डर या प्लॉटिंग करने वालों को रेरा में पंजीयन करवाना अनिवार्य है। रेरा में जमा कराए गए ब्रोशर के आधार पर ही काम करवाना होता हैं। लेकिन जमीन के कई खिलाड़ी रेरा में पंजीयन ही नहीं करवाते। क्योंकि रजिस्ट्रेशन होते ही रेरा सारे प्रोजेक्ट की निगरानी शुरू कर देता हैं। हर सुविधा देने में खर्च ज्यादा होगा। इसलिए भू-माफिया पंजीयन नहीं कराते। जिला मुख्यालय सहित आस-पास सटे ग्रामों की अगर मुखिया स्वयं टीम बनाकर जांच करवाये तो, भू-माफियाओं द्वारा खेल जा रहे खेल से पर्दा उठ सकता है।

अर्जी निवेश से मिलीभगत कर रजिस्ट्री-
सूत्रों की माने तो कुछ भूमाफिया बैक डेट नकल और नकल में छेड़खानी साथ ही अर्जीनिवेश से साठगांठ कर रजिस्ट्री करवा रहे है। ऐसे २ रजिस्ट्री किये जाने का बड़ा मामला सामने आया है। जिसमें एक पाररास में हुए अवैध प्लाटिंग से जुड़ा हुआ हैं। पटवारी अजय देवांगन की माने तो २ रजिस्ट्री हुई है, लेकिन उसका नकल उनके द्वारा जारी नहीं किया गया हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर नकल उनके द्वारा जारी नही किया गया है तो फिर भूमाफिया द्वारा बैक डेट नकल या नकल में छेड़खानी कर अधिकारियों को गुमराह कर रजिस्ट्री कराई गई हैं। वही विभागीय सूत्र यह भी बताते है कि उक्त २ रजिस्ट्री में अर्जी निवेश की मुख्य भूमिका हैं। टेबल के नीचे से लिफाफे के अंदर मोटी रकम लेकर वैध कार्य को भी अवैध ढंग से किया गया हैं। खैर अब मामला कलेक्टर के संज्ञान में आया हैं। देखने वाली बात होगी कि जिला प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कार्यवाही करता हैं…?

“अवैध प्लाटिंग पर नकल जारी नही करने सभी एसडीएम को निर्देशित किया गया है, और अगर बिना नकल जारी के रजिस्ट्री हुई है तो मामला गंभीर है, अगर ऐसा है तो जांच करवाकर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी, साथ सम्बन्धित निकाय के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जहां भी अवैध रूप से प्लाटिंग की जा रही है उसे चिन्हांकित कर कार्यवाही करें।”
कुलदीप शर्मा, कलेक्टर, बालोद

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