रेल का बड़ा खेल : यात्रीगण कृपया ध्यान दीजिए

निर्मल माणिक, बिलासपुर

‘मे आई हैव योर अटेंसन प्लीज’ यह आवाज रेलवे स्टेशन पहुंचते ही आपके कानों में अक्सर गूंजती रहती है। लेकिन आज पायनियर आपका अटेंसन रेल के बड़े खेल की ओर कर रहा है। इन दिनों रेलवे की पटरी पर देश के बड़े व्यापारियों के लिए मालगाडिय़ां धडल्ले दौड़ रही है। कोयले से भरी टे्रने पूरे रफ्तार से आपको चलती हुई दिखाई देंगी। लेकिन इस भरी गर्मी में यात्री ट्रेनों का हाल-बेहाल है। यात्री ट्रेनें एक दो नहीं बल्कि चार पांच मालगाडिय़ों को एक साथ रास्ता देने के लिए कहीं पर भी खड़ी की जा रही है। यहां तक कि स्टेशनों के आउटर पर काफ ी देर तक तक उन्हें रोक कर रखा जाता है। दो घंटे का सफ र यात्रियों को 4 घंटे में तय करना पड़ रहा है। कई महत्वपूर्ण ट्रेनें लगातार निरस्त की जा रही है। शायद आप भी खबरों में पढ़ते होगे, लेकिन इसके पीछे वजह क्या है, उस ओर हम आपका ध्यान आकर्षित कर रहे है। तो उस आवाज को एक बार फिर से सुनिए ‘मे आई हैव योर अटेंसन प्लीजÓ- मालगाडिय़ों और लदान को तरजीह देने यात्री टे्रनों की या तो रफ्तार कम कर कही भी खड़ी कर देने या निरस्त कर देने की योजना पर काम हो रहा है। आपको बता दें कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे को वर्ष 2022 के लदान का नया लक्ष्य मिल गया है और इस लक्ष्य पर काम भी तेजी से शुरू हो गया है। रेलवे बोर्ड ने 252. 8 मिलियन टन का भारी भरकम लक्ष्य दिया है। लक्ष्य को पूरा करने रेलवे ने अभी से काम शुरू कर दिया है। जिसके कारण बिलासपुर जोन एक्सप्रेस और सुपरफ ास्ट ट्रेनों को आउटर और छोटे स्टेशनों पर रोकना शुरू कर दिया है। जिस कारण ट्रेन घंटों लेट हो रही है। और मालगाडिय़ों को पास किया जा रहा है। लगातार ट्रेनों में हो रही लेटलतीफ ी से जहां यात्री हलाकान और परेशान हैं। वहीं, इस आरोप को बिलासपुर जोन के अधिकारी असत्य बता रहे हैं। लगातार टे्रनें निरस्त करने और जो गाडिय़ा चल रही है उनके देरी होने की वजह क्या हो सकती है? यह आप खुद समझ सकते है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर जोन पूरे भारत में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला जोन है। दपूम रेलवे बिलासपुर रेलवे बोर्ड को अच्छा खासा राजस्व भी देता है। रेलवे के अधिकारी लदान में पूरे भारत में प्रथम आने का प्रचार भी बढ़ चढ़ कर करते हैं। मगर यात्रियों को हो रही परेशानी पर वे कुछ भी बोलने से कतराते है। इसके पीछे रेल का बड़ा खेल चल रहा है। ‘जिसकी असुविधा के लिए हमें खेद हैÓ। वित्तीय वर्ष 2022-23 में रेलवे बोर्ड ने बिलासपुर जोन को लदान का 252.8 मिलियन टन का लक्ष्य दिया हैं। ऐसे में लक्ष्य को पूरा करने को रेल प्रशासन यात्री ट्रेनों को बीच रास्ते में रोक देता है, ताकि माल गाडिय़ों को जल्द से जल्द पासिंग दी जा सके। यहां तक कि अघोषित तौर पर यह नियम बना दिया गया है की एक दो मालगाड़ी के पीछे यात्री ट्रेन चलेगी उसके पीछे भी मालगाडिय़ां रहेगी। रास्ते में यात्री ट्रेनों को तब तक खड़ी रखनी पड़ेगी जब तक मालगाड़ी चाहे जितनी हो निकल न जाए। इस व्यवस्था के कारण भीषण गर्मी में यात्रियों का तो भगवान ही मालिक है। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान एसईसीआर को रेलवे बोर्ड ने 218 मिलियन टन लदान के लक्ष्य को पूरा करने का टारगेट दिया था। लदान को पूरा करने के लिए रेल अफ सरों ने बिलासपुर से झारसुगुड़ा के बीच चौथी लाइन, बिलासपुर से कटनी के बीच तीसरी लाइन और अधोसंरचना का सहारा लेकर कई यात्री ट्रेनों को रद्द कर दिया है। इन यात्री ट्रेनों के रद्द होने के बाद टिकट रिफं ड कर दिया जाता है। लेकिन जो यात्री यात्रा के लिए टिकट बुक करवाए थे, उन्हें कई तरह तकलीफ ों का सामना करना पड़ता है। अपनी जरूरी से जरूरी यात्रा को भी यात्रियों को कैंसिल करनी पड़ती है, जिससे उन्हें कई तरह का नुकसान होता है। इस लक्ष्य के कारण यात्री परेशान है। रेलवे बोर्ड से मिले 252 मिलियन के लक्ष्य ने बिलासपुर जोन के यात्रियों को परेशान कर रखा है। इस मामले में यात्रियों से बातचीत करने पर यात्रियों ने दुख प्रकट करते हुए बताया कि ट्रेनों को बेवजह छोटे स्टेशनों पर और आउटर पर रोका जा रहा है, जिससे ट्रेनों के लेट होने से उनको कई परेशानी होती है। जहां जल्दी पहुंचना होता है, वहां देर से पहुंचने पर कोई काम पूरा नहीं होता और आर्थिक रूप से नुकसान भी होता है। यात्री ट्रेनों को बीच रास्ते में खड़ी करने के कारण स्टेशन में हर रोज ट्रेन लेट हो रही है। पिछले 1 सप्ताह में लेट चलने वाली ट्रेनों में सारनाथ एक्सप्रेस, अमरकंटक एक्सप्रेस, इंटरसिटी एक्सप्रेस, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस, उत्कल एक्सप्रेस, अहमदाबाद एक्सप्रेस सहित कई टे्रनें शामिल है। लोकल और पैसेंजर ट्रेनों को भी नहीं बक्शा जा रहा है। इन ट्रेनों को भी अचानक निरस्त कर दिया जाता है। यात्री या तो स्टेशन से निरास होकर वापस जाते हैं या फि र अगली ट्रेन में सफ र करने के लिए स्टेशन में घंटो बैठकर इंतजार करते है। जो ट्रेनें एक से डेढ़ घंटे लेट से चल रही है। इन ट्रेनों के लेट चलने के पीछे यात्रियों का कहना है कि मालगाडिय़ों को पासिंग देने के लिए ट्रेनों को रेलवे प्रबंधन जानबूझकर लेट करता है। और इससे उन्हें काफ ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। तो वही यात्री ट्रेनों के लेट होने के मामले में रेल प्रबंधन का कहना है कि, यात्री ट्रेनों को सही समय पर चलाना उनकी पहली प्राथमिकता है। रेल प्रबंधन अपनी प्राथमिकता के तहत ही यात्री ट्रेनों को सही समय पर चलाने की कोशिश करता है। कई बार ट्रेनों के लेट होने के कई अलग-अलग कारण होते हैं। कई बार लोको में खराबी के साथ ही दोहरी और तीसरी लाइन की कनेक्टिविटी कारण बनती है। इसके अलावा पूरे देश के अलग-अलग जोन में अधोसंरचना विकास के मद्देनजर काम चल रहा है। यही कारण है कि लाइन नहीं मिल पाने की वजह से ट्रेनों को देर से चलाया जाता है। उन्होंने यात्री ट्रेनों के लेट होने की बात तो स्वीकार की है। लेकिन मालगाडिय़ों की पासिंग की वजह से यात्री ट्रेनों को लेट करने की बात को बेबुनियाद आरोप करार दिया है। बिलासपुर जोन के चीफ पीआरओ ने कहा कि यात्री ट्रेन 120-१30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। मालगाड़ी 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है तो संभव ही नहीं है कि यात्री ट्रेनों को माल गाड़ी की वजह से लेट किया जाए। बहरहाल यात्री और जानकार कह रहे है की रेल के इस खेल में उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

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