नई शिक्षा नीति पर पहल-शासकीय क्रान्ति कुमार भारतीय महाविद्यालय सक्ति में “नई शिक्षा नीति 2020″विषय पर व्याख्यान आयोजित

सक्ती-शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़ के निर्देशानुसार शासकीय क्रान्ति कुमार भारतीय महाविध्यालय सक्ति में 24 नवम्बर को नई शिक्षा नीति 2020 पर व्याख्यान आयोजित किया गया।कार्यक्रम का आरंभ प्राचार्य डॉ ए.के.चतुर्वेदी एवं स्टाफ द्वारा मां सरस्वती और बाबा साहेब आंबेडकर के तैल्यचित्र की पूजा अर्चना की गई। छात्रा रिया लहरे ने सरस्वती वंदना और लक्ष्मी कुर्रे ने राज्यगीत अरपा पैरी के धार प्रस्तुत किया।प्रो. ऋतु पटेल ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 छात्र केंद्रित है। इसमें इनकी रुचि और वर्तमान आवश्यकता को ध्यान मे रखकर वैश्विक संदर्भ में प्रावधान किया गया है। कौशल विकास और ज्ञान पर बल दिया गया है।इस नीति में 5+3+3+4 सिस्टम को लागू किया गया है। प्रो. हेमपुष्पा चंद्रा ने चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम और एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, सीजीपीए के बारे मे बताया। उन्होंने बताया कि इस नीति में स्नातक प्रथम वर्ष में सर्टिफिकेट द्वितीय वर्ष में डिप्लोमा और अंतिम वर्ष पूर्ण करने पर डिग्री प्रदान की जाएगी।इस नीति के अनुसार हमे रोजगार लेने वाले नही बल्कि रोजगार देनेवाले बनना है ।प्रो. जी एन रात्रे ने सिंधु सभ्यता , बौद्ध कालीन, वैदिक काल, ब्रिटिश काल में भारत मे शिक्षा की स्थिति के बारे में बताया और उनके विकास पर ध्यान केंद्रित किया।पहले सभी को शिक्षा का अधिकार नहीं था समय -समय पर इसके लिए प्रयास किए गए फिर उत्तरोत्तर सरकारों ने इसमें सुधार किए तब जाकर आज सभी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।आज की यह नीति वैश्विक संदर्भ में स्थापित होने के लिए जरूरी है।प्रो. डॉ शकुंतला राज ने कहा कि यह नीति छात्र छात्राओं की रुचि और आवश्यकता पर बल देती है।उन्होंने कहा कि आप सभी अपनी पढ़ाई पर ध्यान देवे और नंबर पर जोर न देकर ज्ञान को प्राथमिकता दे।सभी छात्र छात्राओं को कहा की आप लोग वर्तमान युग के अनुसार अपने आप को अपडेट करे

प्रो. सोमेश कुमार घिटोड़े ने कहा कि आज के युग में परिवर्तन जरूरी है तभी हम वैश्विक स्तर पर मजबूती से स्थापित हो सकते है। यह तीसरी शिक्षा नीति है इसके पहले 1968, 1986 में नीति आई थी। वर्तमान नीति में ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा ओपन एजुकेशन सिस्टम, मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा,कौशल विकास और शोध पर जोर दिया गया है । प्राचार्य डॉ चतुर्वेदी ने बताया कि भारत शिक्षा में विश्वगुरु कहलाता था। प्राचीनकाल से वर्तमान काल तक इसमें सुधार किए गए हैं।सभी सुधार देशहित के लिए होता है। नीति बहुत बढ़िया है वर्तमान आवश्यकता को ध्यान मे रखकर वैश्विक संदर्भ में इसमें प्रावधान किया गया है। सरकार को इसे लागू करने में सभी प्रकार के संसाधन उपलब्ध कराना चुनौती भी है। हम सभी को इसके लिए प्रयास करने होंगे ताकि लक्ष्य को 2035 तक पूर्ण किया जा सके। अंत में प्रो. सोमेश कुमार घिटोड़े ने प्राचार्य सहित सभी प्राध्यापक एवं छात्र छात्राओं को कार्यक्रम में शामिल होने पर आभार व्यक्त किया और कार्यक्रम की समापन की घोषणा की|

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