हलचल…नेताजी के दिन ठीक नहीं चल रहे

नेताजी के दिन ठीक नहीं चल रहे

इन दिनों एक महिला विधायक के तेवर की जमकर चर्चा हो रही है। विधायक के तेवर को देखकर मौजूद नेता, अधिकारी, पत्रकार सब दंग रह गए। महिला विधायक एक कांग्रेसी नेता पर जमकर बरसीं। विधायक इस तरह आक्रामक रही कि उन्होनें कांग्रेसी नेता को कोयला चोर तक कह दिया। कहते हैं कि नेता जी के दिन तब से ठीक नहीं चल रहे। आये दिन कोई न कोई उनकी फजीहत कर दे रहा है। अब संगवारी ने शराब से बचाने की गुहार लगाई है। वैसे तो जिन माननीय ने शराब से बचाने की गुहार लगाई है, उनके संस्कृति का अहम हिस्सा है शराब। लेकिन जब मामला चुनाव का हो तो बात कहां रुकने वाली है। पिछले चार साल में इन माननीय ने अपनी छवि क्षेत्र में विकास पुरुष की बनाई। अपने निर्वाचन क्षेत्र में खूब काम कराया। अब चुनावी साल में यह विधायक चीख चिल्लाकर कह रहे हैं कि शराब से बचा लो, मेरी छवि खराब हो रही है। कहते हैं संगवारी के इस गुहार से नेताजी आग बबूले हो गए। और हो भी क्यों न क्योंकि कोयला के साथ-साथ अब नेताजी पर अवैध शराब के संरक्षण का भी खुलेआम आरोप लगा है। कुल मिलाकर नेताजी के दिन ठीक नहीं चल रहे।

खचाखच भीड से भाजपा उत्साहित, बॉस की बधाई

15 मार्च को भाजपा ने गरीबों के आवास को लेकर प्रदेश स्तरीय आंदोलन कर विधानसभा का घेराव किया। जिसमें एक लाख लोगों के जुटने का दावा किया गया। पिरदा चौक से लेकर विधानसभा तक खचाचक भीड़ जुटी रही। और जुटे भी क्यों न मामला सपनों के घर का जो है। कहते हैं कि रोटी, कपड़ा और मकान इंसान की सबसे अहम जरुरत होती है। बीते चार साल में भूपेश सरकार की धान खरीदी से गांव-गांव खुशहाली तो आई। या यूं कहें कि शुरुआती के 2 महत्वपूर्ण जरुरतें रोटी, कपड़ा आसानी से पूरी होने लगी। लेकिन तीसरी सबसे महत्वपूर्ण जरुरत मकान को भाजपा ने हाइजेक कर लिया है। भूपेश सरकार के एक जबावदार मंत्री द्वारा दिये गए इस्तीफे को भाजपा ने गांव-गांव तक प्रचारित किया। लोगों के अन्दर भाजपा यह विश्वास पैदा करने में सफल हुई कि सरकार के एक मंत्री ने आवास न दे पाने के कारण अपने विभाग से इस्तीफ  दे दिया है। गांव के हर गरीब का सपना होता है कि उसका घर हो, छत हो। बीते चार वर्षों में पहली बार जनहित का मुद्दा भाजपा के हाथ लगा है। भला भाजपा इसे भुनाने में कहां पीछे हटने वाली है। अब यह चुनावी मुद्दा बन गया है। भाजपा ने ऐलान किया कि हमारी सरकार बनते ही सबसे पहले गरीबों के आवास को मंजूरी मिलेगी। भाजपा का मुख्यमंत्री इस योजना पर हस्ताक्षर करने के बाद ही मुख्यमंत्री निवास में प्रवेश करेगा। इसके लिए भाजपा ने 7 लाख परिवारों से फ़ार्म भरवाने की शुरुआत कर दी है। कहते है कि इसके आधार पर आवास दिये जाने की बात कही जा रही है। बहरहाल आंदोलन में खचाखच भीड देखकर भाजपा उत्साहित है। तो वहीं पहली बार दिल्ली से बॉस ने सफ ल आन्दोलन के लिए बधाई दी है।

पुलिस की सख्ती से भाजपा को मिली सुर्खियां

गरीबों के आवास को लेकर विधानसभा घेरने निकली भाजपा को पुलिस की सख्ती का भरपूर फ़ायदा मिला। रायपुर के चारों दिशाओं में बेरिकेट्स लगाकर मार्ग को अवरुद्व कर दिया गया। पहले दिन माननीयों ने सदन में मार्ग अवरुद्व होने का मुददा उठाकर जमकर हंगामा किया। पुलिस पर अभद्रता का आरोप लगाया। जिसपर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत ने साफ तौर पर कहा कि किसी को कर्तव्य से रोका नहीं जा सकता। पुलिस की सख्ती जारी रही आंदोलन के दौरान मौजूद अफसरों ने धारा 144 का हवाला देकर पहले मीडिया को भी कव्हरेज से रोक दिया पत्रकारों को बेरिकेट्स से बाहर कर दिया गया। जब हजारों की संख्या में भाजपा कार्यकर्ता शांतिपूर्ण ढंग से आगे बढ रहे थे, तो गोले फेक दिये गए। पुलिस की सख्ती का असर मीडिया में जमकर दिखा। नतीजन आंदोलन की खबरें दो दिनों तक मीडिया की सुर्खियां बनी रही।

ईडी की कार्यवाई से भयभीत अफसर

ईडी की कार्रवाई से इन दिनों प्रदेश के अफसरशाही में भय का माहौल स्पष्ट दिखाई दे रहा है। विगत माह नवा रायपुर स्थित सरकारी दफ्तरों में ईडी की दबिश की गूंज अभी तक है। मनमानी ढंग से इंड्रस्ट्रियों को बंद करने खोलने के खेल में ईडी की दृष्टि पड़ते ही अधिकारियों का गला सूखने लगा है। अधिकारियों का पूरा काला चिट्ठा ईडी ने जब्त कर लिया है। मंडल के अधिकारियों ने इस मामले में ईडी के समक्ष बयान भी दर्ज कराया है। ईडी इस मामले को भी कोल स्कैम से जोड़कर अन्य अफसरों के गिरफ्तारी के फि राग में है। जिसको लेकर अधिकारी घबराये हुए हैं। वहीं दूसरी ओर एक नेता के शिकायत पर राज्य सरकार नें भी मामले की जांच चालू कर दी है। हालही में एक विभाग के कुछ अफसरों को तलब किया गया था। अधिकारियों ने साफ तौर पर कह दिया कि हमने ईडी के समक्ष जो बयान लिखित में दिया है वही हमारा बयान है। एक अफ सर तो इतने भयभीत हैं कि सरकारी नौकरी से इस्तीफ़ा देने तक की भी बात कह डाली।

अगले माह प्रभारी पीसीसीएफ ?

पीसीसीएफ पद पर प्रमोट होने वाले अफ सर दिन गिनते-गिनते प्रमोशन की आस ही छोड़ दिये हैं। सीनियर आईएफएस तपेश झा, अनिल राय, अनिल साहू, संजय ओझा को पीसीसीएफ पद में प्रमोट किया जाना है। लेकिन कई बार मंथन के बाद भी हल नहीं निकला। इनके प्रमोशन की फ़ाइलें चक्कर काट रही हैं। अभी तक डीपीसी में मुहर नहीं लगी। दरअसल में यदि इन चारों अफ सरों का प्रमोशन कर दिया जाएगा तो पीसीसीएफ के लिए कई दोवदार तैयार हो जाएगें। जिससे एक चहेते अफ सर की राह बाधित होगी। इसलिए इन चारों अफ सरों का प्रमोशन गोल-गोल रानी हो गया है। वर्तमान पीसीसीएफ संजय शुक्ला की रेरा में जाने की कार्रवाई तेज कर दी गई है। संजय शुक्ला अगले माह कभी भी रेरा के चेयरमेन बन सकते हैं। तो वहीं प्रमोशन होने वाले अफ सरों को जून तक और इंतजार करना पड़ सकता है। तब तक एक चहेते अफ सर को पीसीसीएफ का प्रभार दिया जा सकता है। जाहिर सी बात है चुनावी साल में कार्य में निपुण बेहतर प्रबंधन की क्षमता रखने वाले विश्वासनीय अफसर को ही विभाग की चाभी सौंपी जाएगी।

पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के तेवर बदले?

पीसीसी चीफ मोहन मरकाम का कार्यकाल पूरा हो चुका है। दिल्ली प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पीसीसी चीफ को बदलने के संकेत दिए थे। खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, संसद दीपक बैज के अध्यक्ष बनने की खबरें मीडिया में छपने लगीं। इस बीच मरकाम के तेवर बदले विधानसभा में उन्होनें अपनी ही सरकार के उपर डीएमएफ में बंदरबांट का आरोप लगाया। उससे बड़ी बात तो यह थी कि जिस अधिकारी पर आरोप लगाया वह बस्तर के एक प्रभावशील नेता के रिश्तेदार और एक युवा कांग्रेसी नेता के पिता हैं। मरकाम को मंत्री टीएस सिंहदेव तथा छत्तीसगढ़ की प्रभारी कुमारी शैलजा का साथ मिला। सिंहदेव ने कहा कि जब पार्टी 75 सीटों के लक्ष्य के साथ फि र सत्ता में वपासी का दावा कर रही है, तो अध्यक्ष बदलने का औचित्य क्या है? हालाकि सिंहदेव ने यह भी कहा कि यह निर्णय आलाकमान का है। मरकाम के बदले जाने की खबरों को छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी शैलजा ने भी फि लहाल बयान देकर विराम लगा दिया है। लेकिन उसके बाद से मरकाम के तेवर बदले- बदले से नजर आ रहे।

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