कर्नाटक के मैसूर शहर की प्रसिद्धि पर प्रसिद्ध साहित्यकार एवं रचनाकार श्री लाल जोशी जी की भावनाएं उनके शब्दों में

सक्ती- कर्नाटक राज्य के मैसूर शहर की प्रसिद्धि एवं उसकी पौराणिक मान्यताओं को लेकर साहित्य मधुशाला के सदस्य एवं प्रसिद्ध रचनाकार लाल जोशी मैसूर ने अपनी पंक्तियों के माध्यम से मैसूर की सुंदरता एवं उसकी प्रसिद्धि की व्याख्या करते हुए अपनी भावनाएं प्रस्तुत की हैं
मेरा शहर – मैंसूर शहर
कर्मयोगी राजांओ की राजधानी
विद्वानो, विचारको का शहर
जीवन का मतलब है यहाँ
ज़िंदगी ज़ाती है ठहर ,
ऐसा है शांत शहर
मेरा प्यारा मैसूर शहर !
मिर्जा इस्माएल् की बसावट है ये
केवंपू की लिखावट है ये
हाथियो के झूंड घुमते
विजय दशमी की सजावट है ये
पाना तो सादगी यहां
कमाने के लिये मत आना यहां ,
बहारे यहां ,नजारे यहां
भुलाने के लिये मत आना यहां !
विरासत का घर है ये
कावेरी की शांत लहर है ये
देखो तो व्रंदावन यहां
माताजी का मन यहां
बाजारो में चहल – पहल
राजांओ के महल यहां
सुनो तो गहरा संगीत यहां
कवियो के मधुर गीत यहां
योगीयो के योग यहां
बडे बडे संजोग यहां
प्रकरुती सजती आठो पहर ,
ऐसा है साफ अलग शहर
मेरा सुन्दर मैंसूर शहर
परम्पराए यहां जीवित है
विरासत की यहां कीमत है
जीवन यहां का व्यवहार है
अनमोल कला का संसार है
शांती ज़िनकी मंजिल है
ऐसे यहां कोमल दिल है
जहां शिव के नन्दी गये ठहर
जहां चामुंडी मां की हुयी महर
ऐसा है शांत शहर
मेरा सुन्दर, मैंसूर शहर
श्रीलाल जोशी ‘श्री’मैसूर

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