छत्तीसगढ़ी लोक कला को मिला अंतर्राष्ट्रीय सम्मान

बिलासपुर। किसी भी कला को साधना और संरक्षण की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार के साधक हैं बिलासपुर शहर के अनिल कुमार गढ़ेवाल एवं उनकी गेड़ी लोक नृत्य का दल। छत्तीसगढ़ राज्य के लिए बहुत ही हर्ष का विषय है कि यूनेस्को संयुक्त राष्ट्र संघ का एक घटक निकाय है जो की संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन है जिनके वर्तमान प्रेसिडेंट हैं प्रो. अल्किस राफ्टीस। यूनेस्को द्वारा संचालित अंतर्राष्ट्रीय नृत्य संगठन में अनिल गढ़ेवाल को सदस्यता का प्रमाण पत्र 14 फरवरी 2024 को रजिस्टर्ड डाक से प्राप्त हो चुका है।

ज्ञातव्य हो कि यूनेस्को की स्थापना 1973 में फ्रांस देश के पेरिस शहर में हुई थी जो वर्तमान में 170 देश में कार्य कर रहा है। अनिल गढ़ेवाल की कला के प्रति लगन ऐसी कि इन्होंने रामायण काल से भी अधिक पुराना लोक नृत्य गेड़ी लोक नृत्य को विश्व स्तर पर स्थापित कर पुनर्जीवित किया हैं। गेडी लोक नृत्य के विराट प्रदर्शन ने लगातार तीन बार राष्ट्रीय स्तर पर जो पश्चिम बंगाल, उड़ीसा तथा बरेली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव जिसमें 200 दलों की भागीदारी में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका हैं। इंडियाज गाट टैलेंट एवं नेशनल जियोग्राफी जैसे चैनल तथा अभी तक 18 राज्यों में गेड़ी लोक नृत्य का प्रदर्शन अनिल गढ़ेवाल के कुशल नेतृत्व में किया जा चुका है।

गेड़ी लोक नृत्य को इन्होंने ऐसे संवारा की देखने वाले दांतों तले उंगली दबा लेते हैं और इसी कड़ी में सन 2016 में इनके द्वारा प्रदर्शित गेडी लोक नृत्य को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं देखकर सराहना की तथा उनके मार्गदर्शन से भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में दल को रजिस्ट्रेशन प्रदान करने के पश्चात ही उन्हें यूनेस्को अंतर्राष्ट्रीय नृत्य संगठन का सदस्य बनने का गौरव प्राप्त हुआ है और वर्तमान में संस्कार भारती कला साहित्य संस्कृति की अखिल भारतीय संस्था के प्रांतीय उपाध्यक्ष के पद पर सुशोभित है अनिल गढ़ेवाल एवं उनके दल के अधिकांश सदस्य छत्तीसगढ़ स्कूल तथा डीपी विप्र कॉलेज के विद्यार्थी रहे राष्ट्रीय सेवा योजना के मंच पर इनकी प्रतिभा को निखारने का अवसर प्राप्त हुआ तथा भारत विख्यात रंगकर्मी स्वर्गीय मनीष दत्त के शिष्य रहे हैं।

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