20 हज़ार से ज्यादा किसानों को नहीं मिला बोनस

बलौदाबाजार। प्रदेश के किसानों के लिए 2 वर्ष के धान खरीदी के बोनस की घोषणा किए जाने की भाजपा सरकार की योजना किसानों तथा तहसील कार्यालय के सुस्त रवैया के चलते जिले में धूल खाती हुई नजर आ रही है। जिले के 25 हजार से अधिक किसानों को अब तक नहीं मिल पाया है। कुछ किसानों ने बोनस के लिए आवेदन किया है तो वह फाइल तहसील में कछुआ गति से कार्य कर रही है, वहीं बहुतेरेे किसानों ने अब तक बोनस के लिए आवेदन ही जमा नहीं किया है। बैंक द्वारा मुनादी कराई जाने तथा घर-घर जाकर किसानों से अपील किए जाने के बाद भी अब तक उचित रिस्पांस नहीं मिल सका है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के समय भाजपा ने वर्ष 2014-15 और वर्ष 2015-16 के दो वर्षो की खरीफ फसल की फसल के बोनस की घोषणा कर मास्टर स्टॉक मारा था उसका परिणाम चुनाव के समय फिर से भाजपा की सट्टा की वापसी के रूप में मिला था। लेकिन जिले के तस्वीर उल्टी नजर आ रही है जिले में अब तक 25 हजार से अधिक किसान बोनस से अछूते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो 25 हजार से अधिक किसानों को अब तक बोनस नहीं मिल पाया है। आंकड़ों के हिसाब से यह बड़ा इसलिए हो जाता है क्योंकि जिले में धान बेचने वाले कुल किसनों की संख्या 1.49 लाख है। उसमें से 25468 किसानों को बोनस नहीं मिल मिला है। यानी लगभग 25 प्रतिशत किसानों को बोनस नहीं मिल पाया है।

जानकारी के अनुसार बोनस ना मिल पाने के मुख्य वजह हो में खाताधारक की मृत्यु होना बैंक में लंबे समय से लेनदेन ना होना खाता बंद होना ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में ग्रामीण किसानों का दीगर प्रदेशों में पलायन बड़ी वजह माना जा रहा है। इसके अलावा सबसे बड़ी वजह तहसील कार्यालय का सुस्त रवैया भी है शासन के निर्माण अनुसार किसी भी कारण वर्ष बोनस से अछूते छूट किसानों द्वारा बोनस के लिए समिति या तहसील में पूरी औपचारिकताओं के साथ आवेदन किया जाना है। इसका संबंधित तहसीलदार द्वारा सत्यापन होने के बाद निश्चित दिनों के भीतर निराकरण होना चाहिए, लेकिन तहसील कार्यालय के सुस्त रवैया के चलते आवेदन करने वाले किसान भी अब तक बोनस से अछूटें हैं। जानकारी के अनुसार बोनस से वंचित 25468 किसानों में से लगभग 20 हजार किसानों ने बोनस के लिए आवेदन किया है इसमें से अब तक महज 12041 किसानों को ही तहसील द्वारा सत्यापित किया गया है। वर्तमान में 13427 किस बोनस की स्वीकृति के लिए प्रतिदिन अपने-अपने तहसील कार्यालय का चक्कर काटने को विवश हैं। जिले में 25468 किसानों का बोनस के रूप में कुल 7872 लाख रुपए दिया जाना है। तहसीलदार के सत्यापन के बाद बोनस की राशि किसानों के खातों में ट्रांसफर की जानी है, लेकिन अब तक महज 12041 किसने की कुल 4482 लाख रुपए की सत्यापन हो पाई है। वर्तमान में 1327 किसानों के 339 लाख रुपए सत्यापन के अभाव में लंबित हैं। भाजपा सरकार द्वारा दो वर्षों के बोनस की घोषणा को सुनकर किसानों को जो खुशी हुई थी, वह अब तहसील कार्यायलयों के चक्कर काट कर उड़ चुकी है। अपनी ही फसल की बोनस राशि के लिए विधिवत आवेदन करने के बावजूद किसान निराकरण के लिए प्रतिदिन तहसील कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।

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