लड़कियों के विवाह की उम्र बढ़ाने पर क्या है सुप्रीम कोर्ट की राय

नई दिल्ली: लड़कियों के विवाह की उम्र लड़कों के समान यानी 18 से बढ़ाकर 21 किए जाने को लेकर देश में अलग-अलग दलीलें दी जा रही हैं। कुछ लोग सरकार के इस फैसले की प्रशंसा कर रहे हैं, तो किसी को यह अनावश्यक कदम लग रहा है। हालांकि, अब ऐसी खबरें हैं कि केंद्र सरकार ने लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने का फैसला साल 2017 में सर्वोच्च न्यायालय के दिए उस फैसले के बाद लिया जिसमें दुष्कर्म संबंधी कानून को लेकर सवाल किए गए थे।
अक्टूबर 2017 में शीर्ष अदालत ने मैरिटल रेप से छूट के केस की सुनवाई के दौरान दिया था। उस वक़्त अपने आदेश से कोर्ट ने एक विवाहित नाबालिग और एक अविवाहित नाबालिग के बीच गैरजरूरी भेद को खत्म कर दिया था। अपने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि कोई भी कानून संकीर्ण और स्थिर नहीं हो सकता है। कानून को समाज की आवश्यकता के अनुसार बदलना चाहिए। माननीय न्यायालय की इसी टिप्पणी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने शादी की न्यूनतम उम्र को बढ़ाने का निर्णय लिया है।
मामले से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि शीर्ष अदालत के आदेश के मद्देनज़र सरकार के कानूनी विशेषज्ञों ने महिलाओं की शादी की वैध उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल करने की सलाह दी। दिलचस्प बात यह है कि अगस्त 2018 में कानून आयोग ने भी यह सलाह दी थी कि पुरुषों और महिलाओं के लिए समान रूप से विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए।

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