‘धर्म का जहाज हिलता-डुलता है, लेकिन डूबता नहीं’, धर्म-धम्म सम्मेलन में बोली राष्ट्रपति मुर्मू

भोपाल: भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में हो रहे 7वें अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन में 15 देशों के 350 से ज्यादा विद्वान एवं 5 देशों के संस्कृति मंत्री सम्मिलित हुए। ‘नए युग में मानववाद’ के सिद्धांत पर केंद्रित सम्मेलन 5 मार्च तक चलेगा। पहले दिन सम्मेलन में संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर एवं सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा गुप्ता भी शामिल हुईं। धर्म-धम्म के वैश्विक विचारों को मंच प्रदान करने वाले सम्मेलन में भूटान, मंगोलिया, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाइलैंड, वियतनाम, नेपाल, दक्षिण कोरिया, मॉरिशस, रूस, स्पेन, फ्रांस, अमेरिका एवं ब्रिटेन की सहभागिता है।

वही इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, धर्म का जहाज हिलता-डुलता है, लेकिन डूबता नहीं। यह सम्मेलन मानवता की दिशा में एक बड़ी आवश्यकता को पूरा करने के लिए सार्थक प्रयास है। राज्यपाल ने कहा, यह सम्मेलन युद्ध और पीड़ा से कराहते विश्व को शांति का मार्ग दिखाएगा। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, धर्म-धम्म का पहला सिद्धांत सभी जीवों के साथ दया एवं सम्मान के साथ बर्ताव करना है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, महर्षि पतंजलि, गुरु नानक, भगवान बुद्ध ने दुख से निकलने के मार्ग सुझाए हैं। मानवता के दुख की वजह से का बोध करना और इस दुख को दूर करने का मार्ग दिखाना पूर्व के मानववाद की विशेषता है। ये आज के युग में और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की पद्धति स्थापित की। भगवान बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग प्रदर्शित किया। गुरु नानक देव जी ने नाम सिमरन का रास्ता सुझाया, जिसके लिए बोला जाता है- नानक नाम जहाज है, चढ़े सो उतरे पार। कभी-कभी बोला जाता है कि धर्म का जहाज हिलता-डुलता है, किन्तु डूबता नहीं है। धर्म-धम्म की अवधारणा भारत चेतना का मूल स्तर रही है। हमारी परंपरा में कहा गया है- धारयति- इति धर्मः। अर्थात जो सब को धारण करे, वही धर्म है। धर्म की आधारशिला मानवता पर टिकी है। राग और द्वेष से मुक्त होकर, अहिंसा की भावना से व्यक्ति और समाज निर्माण करना पूर्व के मानववाद का प्रमुख संदेश रहा है। नैतिकता पर आधारित व्यक्तिगत आचरण और समाज पूर्व के मानववाद का व्यवहारिक रूप है।

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