ग्रामीण अंचल में पड़त भूमि पर सामूहिक खेती की सफल शुरुआत

राज्य सरकार की प्रेरणा से ग्रामीणों के आजीविका विकास की पहल

सरगुजा – राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल)के सामाजिक सहभागिता के तहत अदाणी फाउंडेशन द्वारा ग्रामीणों के सतत आजीविका विकास के लिए सामूहिक कृषि कार्यक्रम की पहल की गयी है। जिले के उदयपुर विकासखंड के अन्तर्गत ग्राम परसा में अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से ग्रामीणों का समूह बनाकर सामूहिक कृषि द्वारा ग्रामीणों की आय में वृद्धि का कार्य शुरु किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत फाउंडेशन द्वारा पांच किसानों का समूह बनाकर उनके लगभग दो एकड़ अनुपयोगी जमीन पर सामूहिक खेती करने के लिए आवश्यक जरुरी सुविधाएं उपलब्ध करवाईं गयी हैं। इस तरह गत जनवरी माह से इन किसानों द्वारा जैविक खेती कर सब्जियों का उत्पादन और फलदार वृक्षों का रोपण किया गया था। अपनी आजीविका में वृद्धि के लिए सामूहिक खेती के इस कार्यक्रम को किसान बड़े उत्साह के साथ कर रहे हैं।

 हरी मिर्च, फूल गोभी, टमाटर इत्यादि की कर रहे खेती

ग्रामीणों व कृषकों के पास पर्याप्त सुविधाओं की कमी से वे एक मौसम में एक फसल की खेती किया करते थे। अदाणी फाउंडेशन द्वारा जमीन समतलीकरण, घेराबंदी तथा सिंचाई जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी तथा उन्हें विभिन्न सब्जियों जैसे हरी मिर्च, लौकी, फूलगोभी, पत्तागोभी, भिंडी और टमाटर के उत्पादन के साथ-साथ मौसम अनुरूप फलदार वृक्षों की खेती हेतु प्रेरित किया गया। इन प्रयासों से उनकी आय में सतत वृद्धि एवं निरंतरता आएगी। वहीं अब अगले महीने के अंत तक सब्जियों की अच्छी पैदावार होने से इस समूह को ढाई से तीन लाख रुपये की आय की संभावना है।

छत्तीसगढ़ सरकार की ‘मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना’ का अनुसरण

अदाणी फाउंडेशन द्वारा आरआरवीयूएनएल के विभिन्न सामाजिक सरोकारों में छत्तीसगढ़ सरकार की योजना के अनुसार ही पड़त भूमि को उपयोगी बनाकर कृषकों की आय वृद्धि के कार्य करवाए जा रहे हैं। जिनमें ग्रामीणों का सशक्तिकरण तथा आजीविका संवर्धन के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ जैसे मशरूम, लाख उत्पादन, लघु वनोपज संग्रहण, कौशल विकास तथा सामूहिक खेती इत्यादि शामिल है।

क्या कहते हैं ग्रामीण किसान?

ग्राम परसा के किसान संदीप कुमार का कहना है कि, “मैं सामूहिक जैविक कृषि करने से पहले बेरोजगार था, मेरे पास कार्य करने लिए खेतों में घेराबंदी एवं सिंचाई जैसी मूलभूत सुविधा नहीं थी, जिसके फलस्वरूप मैं आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। अदाणी फाउंडेशन ने हमें सामूहिक कृषि करने के लिए हमें आवश्यक भूमि समतलीकरण, घेराबंदी एवं सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध करायी है। जिसके फलस्वरूप मुझे और मेरे साथियों को एक निश्चित रोजगार के साथ आर्थिक रूप से सशक्त होने का अवसर प्राप्त हुआ। हम सभी अदाणी फाउंडेशन के आभारी हैं।”

इसी ग्राम के एक और किसान भाई, बनवारी जो सामूहिक खेती समूह के सदस्य भी हैं कहते हैं कि, “मैं अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से वर्तमान में अपने जीविकोपार्जन हेतु सामूहिक जैविक खेती का कार्य कर रहा हूँ। इस गतिविधि से मैं और मेरे समूह के किसान साथ मिलकर अब हर मौसम में अलग-अलग फसलों का उत्पादन करेंगे। जिससे हमें अतिरिक्त आय की उम्मीद है। फाउण्डेशन द्वारा हमें जैविक खेती के लाभ एवं उसे करने की प्रक्रिया बताई गयी, जिससे हमारी भूमि की उर्वरता एवं फसल की जैविक गुणवत्ता में सुधार आ रहा है। मैं इस कार्य में सहयोग के लिए अदाणी फाउंडेशन को धन्यवाद देता हूँ।“

सही भाव पर सब्जियाँ बेचने का है इरादा

सब्जियों की पहली फसल मई माह के अंत तक आने की पूरी संभावना है। जिसे एक अनुबंध के तहत अदाणी विद्या मंदिर में करीब 800 बच्चों के मिड डे मील के लिए तथा अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से ही अभी हाल ही में महिला उद्यमी बहुउद्देशीय सहकारी समिति द्वारा शुरू किये गए “दीदी की रसोई” टिफिन वितरण कार्यक्रम जिसमें खदान में कार्यरत कर्मचारियों को उचित मूल्य में खाना उपलब्ध कराया जाता है, के साथ किया जायेगा। साथ ही ये किसान साप्ताहिक हाट बजार में भी इसका विक्रय उचित मूल्य में करेंगे।

आरआरवीयूएनएल द्वारा क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका संवर्धन तथा अधोसंरचना के गुणवत्तायुक्त कई कार्य संचालित हैं। वहीं कृषि संवर्धन में अदाणी फाउंडेशन की बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर सामूहिक जैविक खेती से लाभ कमाने की योजना से समूह के कृषक भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं। वर्तमान में इन किसानों की लगभग दो एकड़ में टपक सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत स्थापित किया गया है। जिससे कृषि लागत में कमी आई है और लाभ में वृद्धि होने की संभावना है। भविष्य में इसी गांव के और किसान सामूहिक जैविक कृषि से जुड़ने और आत्मनिर्भर बनने का मन बना रहे हैं।

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