राज्य मत्स्य विकास सलाहकार मंडल के पूर्व सदस्य डाॅ शांति कुमार कैवर्त्य ने मुख्यमंत्री से मछुआ पालन नीति में केवल केंवट ,ढीमर ,कहरा ,भोई ,बिंद, मल्लाह, कहार आदि मछुआ समाज जातीय के व्यक्ति को ही शामिल करने की मांग किया है 

शिवरीनारायण — राज्य मत्स्य सलाहकार मंडल के पूर्व सदस्य डां शांति कुमार कैवर्त्य ने मुख्यमंत्री को प्रेषित अपने पत्र में लिखा है कि आपने 10 जुलाई को छत्तीसगढ़ निषाद( केंवट) समाज के नवनिर्वाचित प्रांतीय पदाधिकारियों की शपथ ग्रहण समारोह में कैबिनेट की बैठक में ” मछुआ- नीति ” की मंजूरी घोषणा की है। कृपया 14 जुलाई की कैबिनेट बैठक में मछुआ नीति के पृष्ठ 05 पैरा 04 पर उल्लेखित मछुआ से तात्पर्य के शब्दों को विलोपित कर उसके स्थान पर केंवट, कहार, धीवर, बिंद, मल्लाह, कहार ,भोई आदि मछुआ समाज के जातीय व्यक्ति ही प्रतिस्थापित कर नई मछुआ पालन नीति लागू करने का कष्ट करेंगे। अभी शासन की जो मत्स्य योजनाएं है, वह एससी, एसटी और महिला वर्ग के लिए 60% तथा सामान्य वर्ग के लिए 40% निर्धारित है और मछुआ समाज जातीय वर्ग के लिए नहीं है।


उन्होने मुख्यमंत्री से कहा है कि आपकी भी मंशा यहीं रही है,इसीलिए आपने 21 नवंबर 2020 को विश्व मछुआ दिवस के अवसर पर इन जातियों के व्यक्ति को मछुआ से तात्पर्य में प्रतिस्थापित करने की बात कही थी। इसकी जानकारी उसी दिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता खेलन सिंह तारक ने दी थी ,साथ ही राम-जानकी मंदिर केवट समाज शिवरीनारायण के एक महती कार्यक्रम के दौरान मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष एमआर निषाद ने भी इन जातियों को निश्चित तौर पर इस नीति की परिभाषा में शामिल कराने की बात कही है। कैवर्त्य ने मुख्यमंत्री से कहा है कि आपने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 के पूर्व और पश्चात 03 महत्वपूर्ण अवसरों पर आपने मछुआ आरक्षण की घोषणा तीन बार किये थे। सामाजिक शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर आरक्षण लागू करने की आपसे अपेक्षा थी। लेकिन आपने इस पर कोई चर्चा नहीं की। अतः माननीय मुख्यमंत्री जी अपने कैबिनेट बैठक में मछुआ समाज से तात्पर्य मछुआ समाज के व्यक्तियों को स्थापित कर उसके अनुरूप मछुआ पालन नीति में आवश्यक संशोधन कर नई मछुआ पालन नीति लागू करते हुए मछुआ समाज से किए आरक्षण के वायदे भी यथाशीघ्र पूरा कर करने का कष्ट करेंगें।

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