बालोद- जिले में हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है। प्रति वर्ष जिले में सैंकड़ो लोगों की जान सड़क हादसे में जा रही है। वहीं कई लोग गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं। हादसों का एक कारण सड़क पर दौड़ रहीं अनफिट गाडिय़ां भी मानी जा रहीं हैं। सड़क हादसों को रोकने में अहम कड़ी माने जाने वाले आरटीओ विभाग ही जमकर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। चढ़ावा मिलते ही आरटीओ अफसरों द्वारा कंडम वाहनों का भी फिटनेस सर्टिफिकेट बड़ी ही आसानी से जारी कर दिया जा रहा है। इससे हो यह रहा है कि कागजों पर तो हर गाड़ी फिट है। लेकिन सड़क पर आधे वाहन भी इसका पालन नहीं करते हैं। हालत यह है कि कंडम बसें धड़ल्ले से सवारी ढो रहीं हैं जिनकी हालत खस्ताहाल हो चुकी है। मालवाहक वाहनों का भी यही हाल है।
फिटनेस जांच करानी है तो आरटीओ दफ्तर को भी करना होगा ‘फिट’-
गौरतलब हो कि वाहनों की फिटनेस नियमित रूप से करानी होती है। किसी भी व्यावसायिक वाहनों की फिटनेस हर साल करानी होती है। इसके लिए विभाग में फिटनेस शुल्क जमा करना होता है। ये शुल्क वाहन के हिसाब से अलग-अलग होता है। लेकिन बालोद के आरटीओ कार्यालय में सारा काम एजेंटों के माध्यम से होता है। इसके लिए एजेंट वाहन मालिकों से हर काम के लिए ज्यादा रुपए वसूलते हैं। वहीं आरटीओ के कुछ लोग भी इस काम में पूरी तरह से संलिप्त हैं। बता दे कि वाहनों की फिटनेस जांच करानी है तो आरटीओ दफ्तर को भी ‘फिट’ करना होता है। यहां वाहन फिटनेस कराने पर निर्धारित फीस के अलावा मोटी रकम भी देनी होती है। वसूली का पूरा खेल उजागर करने वाली खबरों के बाद विभाग में खलबली है। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक एजेंट ने बताया कि हम लोग वाहन मालिक से ज्यादा रुपए नहीं लेंगे तो काम ही नहीं हो पाएगा, विभागीय अमला फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने के लिए हर फाइल पर मोटी रकम की मांग करते हैं।
जनसंपर्क विभाग के भरोसे विभाग की छवि चमकाने की कोशिश-
पायनियर में दलालराज की लगातार खबरों के बाद बालोद आरटीओ दफ्तर में खलबली है। इस मामले में बैकफुट पर आए संलिप्त अधिकारी व कर्मचारी विभाग की साख बचाने हाथ-पांव मार रहे है। आरटीओ के बाहर दलालों की दुकानें कैसे सजती हैं। डीएल से लेकर वाहनों की फिटनेस और पंजीकरण तक दलालों के बिना नहीं हो पाता ये सब जगजाहिर है। बावजूद इसके बालोद जनसंपर्क विभाग के भरोसे विभाग की छवि चमकाने की कोशिश हो रही है। जनसंपर्क विभाग सरकार और मीडिया के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी है। उनकी सजगता और कार्य कुशलता शासन-प्रशासन की छवि निर्माण में योगदान होता है। लेकिन जिले का जनसंपर्क विभाग खंडन समाचार के बूते इस कोशिश में लगा हैं कि किसी तरह से आरटीओ की भर्राशाही पर लीपापोती कर लें। कुछ ऐसा ही जनसंपर्क विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी खबरो में देखने मिला।