अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति में प्राचार्य कर रहे हैं भर्राशाही 

उच्च शिक्षा विभाग केआलाअधिकारी मौन 

शिवरीनारायण – उच्च शिक्षा विभाग रोजगार देने के नाम पर छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षित बेरोजगार युवाओं के योग्यता और भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। वर्तमान में छ.ग. के शासकीय महाविद्यालयों में विभिन्न विषयों के सहायक प्राध्यापक एवं प्रोफेसर के रिक्त पदों के विरूध्द अध्यापन व्यवस्था के लिए अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है जिसमें महाविघालयों के प्राचार्यो व्दारा काफी भर्राशाही की जा रही है जिसे लेकर प्रभावित अतिथि व्याख्याताओं में महाविघालय के प्राचार्यों के प्रति काफी नाराजगी देखी जा रही है । अतिथि व्याख्याता के अभ्यार्यी चन्द्रशेखर तिवारी का कहना है कि अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति हेतु महाविघालयों व्दारा जारी विज्ञापन में आवेदकों को आवेदन जमा करने हेतु मात्र 5 से 7 दिवस का समय दिया जा रहा है और इस विज्ञापन की सूचना समाचार पत्रों में न देकर केवल महाविघालय के सूचना पटल में चस्पा कर रहे है जिसके कारण दूर दराज के लोगों को समय पर इसकी जानकारी नही हो पा रही और किसी को इसकी जानकारी हो भी जाती तो आवेदन जमा करने का समय कम होने के कारण आवेजन जमा नही कर पा रहे हैं यही नही प्राचार्यों व्दारा अतिथी व्याख्याताओं की चयन सूची में भी गड़बड़ी की जा रही है प्राचार्य जानबूझकर अतिथि व्याख्याताओ की चयन सूची सूचना पटल पर चस्पा नही कर रहे है और आवेदनकर्ता के पूछने पर भी उनको उनके मेरिट में स्थान नही बता रहे है जिसके कारण नियुक्ति प्रक्रिया संदेहास्पद है इस कृत्य से उच्च शिक्षा संचालनालय में बैठे आला अधिकारी अवगत होने के बाद भी चुप्पी साधे हुए हैं जिससे महाविघालय के प्राचार्य अतिथी व्याख्याताओ की नियुक्ति प्रक्रिया में नियम को ताक में रख कर मनमानी कर रहे हैं

   

और युवाओं के भविष्य के साथ खिकवाड कर रहे है। तिवारी जी का कहना है कि प्राचार्य किसके दबाव में है और किसको लाभ देना चाहते है जो विज्ञापन में आवेदकों को आवेदन जमा करने मात्र 5 से 7 दिन का समय दे रहे हैं जबकि किसी भी नियुक्ति संबंधी विज्ञापन में आवेदकों को आवेदन जमा करने कम से कम 15 दिवस का समय दिया जाने का प्रावधान है। तिवारी जी ने यह भी कहा कि प्राचार्यों के मनमानी के कारण आज हजारों युवक योग्यता रख कर भी बेरोजगार घूमने को मजबूर है लगता है छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने सभी पढ़े-लिखे युवाओं को बेरोजगारी के भट्ठी में झोंक देने की कसम खा कर सत्ता में आई हो। अभी हाल में शासकीय महाविद्यालय में वर्षों से कार्यरत हजारों अतिथि व्याख्याताओं को भी नियमित सहायक प्राध्यापक भर्ती करके महाविद्यालय से बाहर निकालकर बेरोजगार कर दिए हैं । जबकि इसी कांग्रेस की सरकार ने अपने जन घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि किसी भी अनियमित /दैनिक वेतनभोगी/संविदाकर्मियों को नौकरी नही निकाला जाएगा उनकी छंटनी नही की जाएगी लेकिन इसके उलट सरकार ने नियमित भर्ती करके सभी अनियमित कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रही है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण महाविद्यालयो में वर्षों से अपनी सेवा देने वाले अतिथि व्याख्याता है जो आज बेरोजगार होकर सड़क में बैठे है और पुनः नियुक्ति की फरियाद लेकर सभी अतिथि व्याख्याता माननीय उच्च न्यायालय के शरण मे गए जहां पर उन्हे सभी की नियमितीकरण/अवशोषण या वैकल्पिक व्यवस्था के लिए उच्च न्यायालय द्वारा शासन को आदेश भी दिया गया है किंतु उच्च शिक्षा विभाग द्वारा उस आदेश का भी पालन नहीं किया जा रहा है।

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