छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता बघेल ने शुक्रवार को एक ओर अपने समर्थक मंत्रियों और विधायकों को दिल्ली बुलाकर पार्टी हाईकमान को अप्रत्यक्ष तौर पर अपनी ताकत दिखाई।
वहीं, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को करीब साढ़े तीन घंटे लंबी मैराथन बैठक में अपने कामकाज से संतुष्ट भी कर दिया। बघेल ने राहुल गांधी को छत्तीसगढ़ आकर उनके कामकाज और विकास कार्यों की समीक्षा करने का निमंत्रण भी दिया है। बघेल समर्थक विधायक देर शाम तक कांग्रेस मुख्यालय में वरिष्ठ नेताओं के मुलाकात कर उनके समर्थन में फील्डिंग सजाते रहे।
बघेल ने बैठक के बाद मीडिया से कहा कि मैंने बतौर मुख्यमंत्री राहुल गांधी जी को राज्य में आने का न्यौता दिया है ताकि वे खुद आकर सरकार के विकास कार्यों की समीक्षा कर सकें। मुख्यमंत्री कौन रहेगा के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं बतौर मुख्यमंत्री उनके साथ रहूंगा।
दरअसल वरिष्ठ नेता टीएस सिंह देव के राहुल से मिलने के बाद उनके और बघेल के बीच ढाई-ढाई साल के लिए सत्ता के बंटवारे पर विचार शुरू हो गया था। इसलिए अचानक तीन दिन बाद ही बघेल को राहुल से मुलाकात के लिए बुला लिया गया।
बघेल ने भी इस बात की भनक लगते ही अपने मंत्रियों समेत 57 विधायकों को दिल्ली भेज दिया। इन विधायकों को बाकायदा दो बसों में कांग्रेस मुख्यालय लाया गया।
हालांकि राज्य के पार्टी प्रभारी पीएल पुनिया लगातार विधायकों को बुलाए जाने से इंकार करते रहे। एक ओर राहुल के घर बैठक चल रही थी और दूसरी ओर इतनी संख्या में विधायकों के पंहुचने की जानकारी भी नेतृत्व को थी। यही कारण है कि नेतृत्व का भरोसा फिलहाल भूपेश बघेल पर ही जम रहा है।
राहुल के घर बैठक समाप्त होने पर भूपेश बघेल और पीएल पुनिया कांग्रेस मुख्यालय पंहुचे, जहां छत्तीसगढ़ से आए विधायकों में जश्न का माहौल दिखा। राज्य के मंत्री रवींद्र चौबे ने कहा कि संकट जैसी कोई बात नहीं थी। विधायक अमरजीत भगत ने बताया कि सब ठीक है, हम सब वापस जा रहे हैं। विधायक महेंद्र जायसवाल ने कहा कि सभी विधायक बघेल के साथ काम करने को तैयार हैं।
असंतुष्टों को साथ लेकर चलने की नसीहत
राहुल गांधी ने बैठक में बघेल से असंतुष्ट नेताओं को भी सम्मानपूर्वक टीम की तरह साथ लेकर चलने की नसीहत दी है। छत्तीसगढ़ के समाधान को लेकर महासचिव प्रियंका गांधी भी बैठक में पंहुच गई थीं।
बताते हैं कि बघेल बार-बार अपने काम की समीक्षा करने और विधायकों की राय भी जानने का दबाव हाईकमान पर बनाते रहे। इसके चलते राहुल ने फिलहाल उन्हें हरी झंडी दिखते हुए अगले सप्ताह राज्य का दौरा करने को कहा है।