बाल कल्याण समितियों के आदेश समावेशी होने चाहिये- एडवोकेट नवीन सेलार 

जेजे एक्ट पर देशभर के विभिन्न स्थानों से विषय विशेषज्ञ वक्ताओं ने दिया मार्गदर्शन

जांजगीर-चांपा जिला बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष नम्रता पटेल सहित अन्य सदस्यों ने भी शामिल होकर करी सहभागिता

सक्ती-चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 84 वी ई कार्यशाला में 06 फरवरी को जेजे एक्ट के क्रियान्वयन के लिए निर्धारित मानक कार्य विधि को लेकर प्रशिक्षण प्रदान किया गया

प्रशिक्षण में देश भर के बाल कल्याण समिति एवं जेजेबी पदाधिकारीगणों ने भाग लिया।इस प्रशिक्षण के लिए फाउंडेशन के वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर दिग्गज जेजे एक्ट विशेषज्ञ जुटे, जिन्होंने विभिन्न पक्षों पर बारीकियों से प्रशिक्षणार्थियों को जानकारी दी।
सीनियर एडवोकेट नवीन शेलार ने बताया कि बाल कल्याण समितियों को अपने आदेशों में दार्शनिकता के साथ कानूनी एवं प्रामाणिकता के तत्वों का समावेश करना चाहिये,तभी उनके आदेश क्रियान्वयन के लिए श्रेष्ठतर साबित होंगे

कटनी के पूर्व अध्यक्ष राकेश अग्रवाल ने बताया कि जेजे एक्ट में व्यापकता के साथ नियम दिए गए है। इसलिए सभी समिति सदस्यों को इन नियमों को ध्यान से देखना चाहिए। उन्होंने बताया कि कुल 46 प्रपत्र किशोर कानून में जेजेबी और सीडब्ल्यूसी के लिए हैं।लेकिन ये प्रपत्र अंतिम नही है।समय काल,परिस्थितियों के हिसाब से अन्य पत्राचार भी किया जाता है। अग्रवाल ने बताया कि उन्हें प्रत्येक पत्र में धारा उपनियम का हवाला दिया जाना चाहिए

ग्वालियर के पूर्व समिति अध्यक्ष डॉ के के दीक्षित ने कहा कि आदेशों के प्रभावी क्रियान्वयन में प्रतिलिपि बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जारीकर्ता को अपनी आधिकारिता को अवश्य लिखा जाना चाहिये।साथ ही प्रकरण को जिस धारा में ग्राह्य किया जाता है उसका उल्लेख भी किया जाना चाहिये।धारा 3 एवं 4 का लेख अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिये आदेश में किया जाए तो उपयुक्त रहता है, उन्होंने बताया कि थाना प्रभारी को लिखे आदेश को डीएम एवं एसपी को प्रतिलिपि देना उचित है।पत्र में समय सीमा का उल्लेख भी किया जाना चाहिए

हरियाणा के विधिवेत्ता डॉ अभय खुरानिया ने बताया कि जेजेबी एवं बालकल्याण समिति में दो तरह के आदेश जारी किए जाते है। अंतरिम एवं अंतिम प्रकृति के होते है। बच्चों को दो ही स्थिति में ऑब्जर्वेशन होम्स में भेजा जा सकता है,जब गलत लोगों के संगति में जाने अथवा बालक की जान को खतरा होने पर ही ऐसा किया जाना चाहिये। खुरानिया ने बताया कि बच्चों के लिए जमानत आवेदन की कोई बाध्यता नही है। कानून के अनुसार अभिभावकों की सहमति लेकर बच्चों को सौंपना आवश्यक होता है,उन्होंने यह भी बताया कि सीडब्ल्यूसी में अंतिम आदेश तभी मान्य है जब आदेश पर तीन सदस्य मय अध्यक्ष के सहमति के साथ हस्ताक्षर करें

राकेश अग्रवाल ने निजता के उल्लंघन के मामलों को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि किसी भी आदेश में इस पक्ष को संवेदनशीलता के साथ अनुप्रयोग करना चाहिए।धारा 2 एवं 3 को सभी स्टेकहोल्डर्स को ध्यान से समझने की आवश्यकता है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी सदस्य जेजे एक्ट के साथ पॉक्सो,बाल श्रम,बाल विवाह अधिनियम का अध्ययन भी अनिवार्य रूप से करें ताकि अन्य सह सम्बंधित प्रकरणों में आदेशों को समावेशी बनाया जा सके। नवीन शेलार ने कहा कि सभी ऐसे निकायों में अध्यक्ष की भूमिका न्यायिक प्रकृति की है इसलिए इस तथ्य को हर निर्णय में अनुपालन अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि आपका आदेश की भाषा जारीकर्ता की गंभीरता और लोकनियमों के प्रति आपकी समझ प्रदर्शित करता है।शेलार ने कहा कि आदेश की भाषा सक्षमता को अभिव्यक्त करनी चाहिय। प्रशिक्षण को फाउंडेशन के सचिव डॉ कृपाशंकर चौबे ने भी सम्बोधित किया उन्होंने समिति एवं बोर्ड से जुड़ी व्यवहारिक समस्याओं को लेकर उपचारात्मक दृष्टिबोधन प्रदान किया

वर्चुअल बैठक में जांजगीर चाम्पा जिला बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष श्रीमती नम्रता पटेल ने भी शामिल होते हुए विस्तार पूर्वक जेजे एक्ट की बारीकियां जानी एवं अपने सुझाव भी दिए तथा नम्रता पटेल ने जांजगीर-चांपा जिले में सीडब्ल्यूसी द्वारा किए जा रहे कार्यों की भी जानकारी देते हुए अपने सुझाव प्रस्तुत किए, जिस पर बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने भी जांजगीर-चांपा जिला सीडब्ल्यूसी के कार्यों की प्रशंसा की

शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *