शक्ति शहर का एक ऐसा दुर्गा पंडाल, जहां महिलाएं ही संभालती हैं, स्थापना से लेकर प्रतिमा विसर्जन तक का संपूर्ण कार्य, विगत 3 वर्षों से हो रहे नवरात्रि स्थापना को लेकर मोहल्लेवासी भी करते हैं नारी शक्ति के कार्यों को सलाम

सक्ती- कोमल है,कमजोर नहीं। शक्ति का नाम नारी है। वैसे तो भारतीय संस्कृति में यह बात बताने और दोहराने की नहीं है। जब समय नवरात्रि का आ रहा हो तब तो नारी की महत्ता और महानता निश्चित तौर से बढ़ जाती है। वैसे तो हर सफल आदमी के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है। हमारे देवताओं के लिए भी जब कोई काम बहुत कठिन लगा तो उन्होंने देवियों की शरण ली, इसी क्रम मे पिछले तीन वर्षों से कसेर पारा मे एक दुर्गा पंडाल खास रहा है, इस पंडाल की विशेषता ये ह की इस पंडाल के आयोजन समिति मे सिर्फ महिलाएं ही है, आयोजन से संबंधित सभी कार्य महिलाएं खुद करती हैं

लोगो से चंदा लेना से लेकर टेंट वाले से बात करना, मूर्तिकार के पास जा कर मूर्ति पसंद करना, पंडाल मे पूजा की व्यवस्था करना, जागरण करना, भंडारा करना ये जितने भी कार्य होंते ह ये सब कार्य महिला समिति ही करती है, अध्यक्ष पूर्णिमा कसेर, सचिव रीता कसेर, कोषाध्यक्ष कुसुम देवांगन, सदस्य कमलेश्वरी देवांगन, कुमारी देवांगन, रवीना कसेर, तेजस्वनी तम्बोली, सुनीता देवांगन, अंबिका कसेर से बात करने पे उन्होंने बताया कि कसेर पारा मे रामसप्ताह तो होता ही है जिसे पूरा कसेर पारा हर वर्ष बड़े धूमधाम से मनाता हैं

तो उन्होंने सोचा कि क्यो न दुर्गा पंडाल का आयोजन महिलाएं अपने कंधों पे ले ले, बस ये विचार आया और इस विचार के सार्थक करने के लिए सब लग गए,तीन वर्ष पहले शुरू किए अभियान को आज भी निरंतर आगे बढ़ाते हुए इसी दिशा मे कार्य चल रहा है, दुर्गा उत्सव समिति का ये कार्य समाज मे महिलाओं की बढ़ती भागीदारीता का एक बढ़िया उदाहरण है

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