साहित्य मधुशाला मैसूर कर्नाटक में हिंदी दिवस पर किया राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन, भारत सहित दुनिया के अन्य देशों से भी जुड़े प्रसिद्ध साहित्यकार

हिंदी दिवस पर ऑनलाइन गोष्ठी द्वारा साहित्य मधुशाला( मैसूर) ने हिंदी भाषा की अलख जगायी

सक्ती-साहित्य मधुशाला के तत्वाधान में ऑनलाइन आयोजित काव्य संध्या में देश के विभिन्न क्षेत्रों के सुप्रसिद्ध कवियों ने हिंदी दिवस पर एक से बढ़कर एक रचनायें प्रस्तुत कर हिंदी दिवस को मनाया, लगभग सभी कवियों ने हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने पर बल दिया।
शनिवार की देर शाम आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ (काठमांडू,नेपाल) से जुड़ी उषा अग्रवाल ने “कर जोड़ हम करें प्रार्थना, विद्या दायनी माँ वीणा की” इस स्तुति के माध्यम से माँ सरस्वती’ की वंदना प्रस्तुत की

दीप प्रज्ज्वलन के बाद कवि जयप्रकाश अग्रवाल (नेपाल) की अध्यक्षता में गोष्ठी का शुभारम्भ हुआ। गोष्ठी का कुशल संचालन संस्था की संस्थापिका अध्यक्ष उषा जैन केडिया ने किया,कवियित्री संगीता चौधरी कोलकाता ने हिंदी के लिए कहा- ‘मेरी अभिव्यक्ति में हिंदी,मुझे सरलता देती है।’कोलकाता से जुड़ी कवियित्री ऊषा जैन उर्वशी ने हिंदी भाषा को नमन करते हुए कहा -‘नमन है ए हिंद तुमको नमन हिन्दी दिवस को।’कर्नाटक बेंगलुरु से जुड़े कवि नन्द सारस्वत स्वदेशी ने गीत के माध्यम से अपनी रचना की सुंदर प्रस्तुति दी ‘वतन की आन है हिंदी,वतन का मान है हिंदी’बैंगलोर से जुड़े कवि जैन राजेंद्र गुलेच्छा ‘ राज’ हिंदी भाषा को महान बताते हुए कहा-भाषा सब महान है सबका गुणगान है…’बैंगलोर से जुड़े कवि बाँसुरी वादक दिलीप गाँधी ने हिन्दी का शृंगार करें रचना प्रस्तुत करने के साथ ही देश भक्ति गीतों की धुन पर बाँसुरी वादन कर मंच पर शमा बांध दिया

छत्तीसगढ़ के चाम्पा से जुड़े कवि मुकेश सिंघानिया ने अपनी ग़ज़ल – है ये राहत की खबर मसनदें साही के लिए ‘ पेश कर शमा बाँध दिया।टाटानगर के कवि प्रमोद खीरवाल ने कहा-हिंद की महारानी हैं हिंदी।कवयित्री शकुन्तला सरावगी ने हिंदी के लिए कहा-देवनागरी लिपि से निकली आन बान और शान है ,रायपुर से जुड़ी कवियत्री सुलोचना धनावत ने कहा-हिंदी हमारी जान है। उर के अंदर बसती है,रायगढ़ की कवियित्री स्वाति चरण पहाड़ी ने कहा- देखो.. आज हिंदी दिवस मना रहे हैं लोग। काठमांडू नेपाल से कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कवि जयप्रकाश अग्रवाल ने हिंदी के लिए कहा-प्राथमिक शिक्षा दिलायेंगे हिन्दी में, लें प्रण। संस्थापिका उषा केडिया मैसूर ने हिंद महासागर के हिय से निकली रचना को पढ़ा

कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष ने सब की रचनाओं की समीक्षा की और संगीता चौधरी ने सभी का आभार व धन्यवाद सुंदर शब्दों में व्यक्त किया,ज्ञातव्य है कि मैसूर से संचालित इस साहित्य मधुशाला में देश के विभिन्न अंचलों के अनेक कवि-कवयित्रियाँ जुड़ी हुई है

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