नारी तू नारायणी: गोधन न्याय योजना से जुड़कर अकलवारा की सुनीता बनी आत्मनिर्भर, घर में खुला शिक्षा का दरवाजा, 14 हजार की फीस जमाकर बेटी का डीसीए में कराया एडमिशन, अब बेटी के शिक्षा के आगे आर्थिक स्तिथि नही बनेगी रोढ़ा…. देखें वीडियों

बालोद- नारी को अबला और कमजोर कहने वालो को भी आज कई बार सोचना पड़ता है। आज की नारी मध्यकाल की नारी नही रह गई। अब हम यह नही सकते की “अबला जीवन है तुम्हारी यही कहानी, आँचल में है दूध और आँखों मे है पानी”। आज की नारी ने पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर यह साबित कर दिया है कि वह सिर्फ चूल्हे चौकों तक ही सीमित नही है। बल्कि वह अपने नाम का लोहा मनवाना जानती है। आज हम आपको जिले की एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे जिसे देख कर लोग नारी तू नारायणी कहकर सम्मान कर रहे है। जिसने चूल्हा चौके से बाहर निकल न सिर्फ बाहर कदम रखा बल्कि भूपेश सरकार की महत्त्वकांक्षी गोधन न्याय योजना अंतर्गत केंचुआ पालकर उससे खाद बना अच्छी खासी आमदनी अर्जित की। जिससे उसके घर में शिक्षा का दरवाजा खुल गया और अपनी बेटी का 14 हजार रुपये की फीस जमाकर डीसीए में एडमिशन करवाया है। अब बेटी के शिक्षा के आगे आर्थिक स्तिथि रोढा नही बन रही है।

जिले के गुरुर ब्लॉक अंतर्गत एक छोटे से गांव अकलवारा की रहने वाली सुनीता निषाद अपने गांव के दुर्गा शक्ति महिला समूह से जुड़कर अपने सपने को सच कर दिखाया है। केंचुआ पालकर से बीते 6 माह के भीतर 2 लाख 88 हजार का खाद बेचकर कमाई समूह की महिलाओं ने की है। जिससे सुनीता ने 14 हजार रुपये की फीस जमाकर अपनी छोटी बेटी का एडमिशन डीसीए में करवाया है। इतना ही नही अपनी बड़ी बेटी को पीएससी की तैयारी भी करवा रही है साथ ही दोनों ही बेटी को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए 2 मोबाइल भी खरीद कर दिया है। जिससे सुनीता और उसके पति बेहद ही खुश है। सुनीता बताती है की घर की आर्थिक स्तिथि देखते हुए उसने कभी सोचा नही था कि अपनी बेटी को वो कॉलेज में एडमिशन करवा पाएगी। लेकिन घर के चूल्हे चौके से निकलकर काम कर वह आत्मनिर्भर बन अपनी एक पहचान बनाई है। गोधन न्याय योजना से जुड़ वर्मी कंपोस्ट एवं केंचुआ पाल खाद की बिक्री कर अच्छी खासी आमदनी अर्जित की है। सुनीता के पति विषेशर साहू भी अपनी पत्नी की इस उपलब्धि पर बेहद खुश है। वे बताते है कि उनकी आर्थिक स्तिथि पहले से बेहतर हुई है। ग्राम की सरपंच लक्ष्मी साहू का कहना है कि शासन की योजना से समूह की महिलाएं जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही है। सुनीता इसका जीता जागता उदाहरण हैं।

महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर- रेणुका
जिला पंचायत सीईओ डॉ. रेणुका श्रीवास्तव ने बताया की जिले के गौठानो में जो वर्मी खाद बनाया जा रहा है, उससे जुड़कर एसएचजी की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। रोजाना कई उदाहरण देखने मिल रहे हैं। ग्राम अकलवारा की महिलाओं ने जो खाद बेचकर 2 लाख 88 हजार कमाए है, वह काफी सराहनीय है। डॉ. रेणुका में समूह की सदस्य सुनीता की भी अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बताया है। उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह अपनी दोनों बेटियों को पढ़ा रही है, कॉलेज में एडमिशन करवाया है, वह बहुत ही काबिले तारीफ है। शासन की योजनाओं से जुड़कर महिलाएं अपने और अपने बच्चों के जीवन स्तर पर सुधार कर रहे हैं।

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