लखीमपुर हिंसा: मृत किसानों के परिवार को मिलेगा 45-45 लाख मुआवज़ा, एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी

लखनऊ: लखीमपुर खीरी में हिंसा भड़कने के बाद से पूरा यूपी इस समय सियासी अखाड़ा बना हुआ है. विपक्षी नेता लखीमपुर जाकर किसानों से मुलाकात करना चाहते हैं, किन्तु प्रशासन सख्त है. लखीमपुर जाने से रोके जाने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लखनऊ में सड़क पर ही धरने पर बैठ गए थे, जिसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया. इससे पहले प्रियंका गांधी को सीतापुर में कस्टडी में लिया गया था. लखीमपुर खीरी में रविवार को किसान प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसान एक पत्रकार और 3 भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी.
जिसके बाद आज लखीमपुर खीरी में किसानों और सरकार के बीच समझौता हुआ है. इसमें सरकार सभी मृतक किसानों को 45-45 लाख रुपये देने का ऐलान किया है. वहीं घायलों को 10-10 लाख रुपये दिए जाने की बात कही है. सरकार ने कहा है कि इस पूरे मामले की न्यायिक जांच होगी, इसके साथ ही परिवार के 1 सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी. इससे पहले भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया में भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा की बर्खास्तगी और उनके बेटे के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर उसे अरेस्ट करने की मांग की है।
राकेश टिकैत ने सोमवार सुबह प्रेस वालों से बातचीत में कहा कि सरकार से उनकी मांग है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त किया जाए और किसानों पर गाड़ी चढ़ाकर उनका क़त्ल करने के आरोप में मिश्रा के बेटे आशीष के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया जाए। इसके साथ ही टिकैत ने सरकार से इस घटना में मारे गए किसानों के परिजन को अनुग्रह राशि के रूप में एक-एक करोड़ रुपये तथा आश्रितों को सरकारी नौकरी देने की मांग भी की थी।

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