होलिका दहन से जुड़ी खास खबरे जानिए- खरसिया शहर में 7 मार्च को होलिका दहन और 8 को रंग वाली होली-योगेश कबुलपुरिया, होलिका दहन से जुड़ी क्या है मान्यताएं,इस पर भी योगेश ने दी जानकारी, पूरी खबर पढ़ने के लिए नीली लिंक को टच करें

सक्ति– खरसिया नगर के प्रतिष्ठित समाजसेवी स्व महावीर कबुलपुरिया के सुपौत्र योगेश कबुलपुरिया ने होलिका दहन की तारिख पर हो रहे कंफ्यूज़न पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि होलिका दहन के अवसर पर हिंदु बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए होलिका दहन करते है। हिन्दू शास्त्रों और पुराणों की माने तो होलिका दहन प्रदोष काल के दौरान यानी सुर्यास्त के बाद किया जाना चाहिए और प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी धर्म की नगरी खरसिया के लम्बा खचुआ (गंज पीछे) में होलिका पूजन का कार्य 7 मार्च की सुबह से दोपहर तक अनवरत जारी रहेगा वही होलिका दहन 7 मार्च को शाम 6:45 से 7 बजे के मध्य पूरे विधिवत रूप से किया जाएगा जिसकी तैयारियां शुरू कर दी गई है। कबुलपुरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा 6 और 7 मार्च 2023 को है, लेकिन सोमवार की पूरी रात पूर्णिमा रहेगी और मंगलवार को दिनभर रहेगी। इसीलिए होलिका दहन पूर्णिमा की उदय तिथि पर यानी 7 मार्च को किया जा रहा है। इसे छोली होली भी कहते हैं। होलिका दहन के अगले दिन यानी 8 तारीख को रंगों की होली खेली जाएगी।

होलिका दहन की तिथि को लेकर मतभेद क्यों

होलिका दहन के समय भद्रा काल जरुर देखा जाता है. कई जानकारों का मत है कि होलिका दहन भद्रा के पूर्णता समाप्त होने के बाद यानी 7 मार्च को करना शुभ होगा। वहीं कुछ का कहना है कि भद्रा के पुंछ काल होलिका दहन करने का शास्त्रीय विधान है। जो 6-7 मार्च की दरमियानी रात में रहेगा।

होलिका पूजन की सामग्री

एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गन्ध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, सबूत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, गेहूं की बालियाँ आदि।

होलिका पूजन की विधि

होलिका दहन करने से पहले होली की पूजा की जाती है। इस पूजा को करते समय पूजा करने वाले को होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुहँ करके बैठकर होलिका का पूजन करना चाहिए। बड़गुल्ले की बनी चार मालाएं इनमें से एक पितरों के नाम की, दूसरी हनुमान जी के नाम की, तीसरी शीतला माता के नाम की तथा चौथी माला अपने घर परिवार की होलिका को समर्पित कर कच्चे सूत की तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें फिर लोटे का शुद्ध जल व अन्य पूजन की सभी वस्तुएं होली को समर्पित करें। गंध पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन करें। पूजन के बाद जल से अर्ध्य दे तथा सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में होलिका में अग्नि प्रज्ज्वलित करें। होली की अग्नि में सेंक कर लाये गए धान्यों को खाएं, इसके खाने से निरोगी रहने की मान्यता है।ऐसा माना जाता है कि होली की बची हुई अग्नि तथा राख को अगले दिन प्रातः काल घर में लाने से घर को अशुभ शक्तियों से बचाने में सहयोग मिलता है तथा इस राख को शरीर पर लेपन करना भी कल्याणकारी रहता है।

होली की राख से लाभ

किसी ग्रह की पीड़ा होने पर होलिका दहन के समय देशी घी में भिगोकर दो लोंग के जोड़े,एक बताशा और एक पान के पत्ते पर रखकर अर्पित करना चाहिए।अगले दिन होली की राख लाकर अपने शरीर पर तेल की तरह लगाकर एक घंटे बाद हल्के गर्म पानी से स्नान करना चाहिए।ग्रह पीड़ा से मुक्ति मिलेगी।

होलिका दहन कथा

नारद पुराण के अनुसार आदिकाल में हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस हुआ था।दैत्यराज खुद को ईश्वर से भी बड़ा समझता था।वह चाहता था कि लोग केवल उसकी पूजा करें,लेकिन उसका खुद का पुत्र प्रहलाद परम विष्णु भक्त था।भक्ति उसे उसकी मां से विरासत के रूप में मिली थी। हिरण्यकश्यप के लिए यह बड़ी चिंता की बात थी कि उसका स्वयं का पुत्र विष्णु भक्त कैसे हो गया और वह कैसे उसे भक्ति मार्ग से हटाए।हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को भक्ति छोड़ने को कहा परंतु अथक प्रयासों के बाद भी वह सफल नहीं हो सका। कई बार समझाने के बाद भी जब प्रहलाद नहीं माना तो हिरण्यकश्यप ने अपने ही बेटे को जान से मारने का विचार किया।कई कोशिशों के बाद भी वह प्रहलाद को जान से मारने में नाकाम रहा।बार बार की कोशिशों से नाकाम होकर हिरण्यकश्यप आग बबूला हो गया। इसके बाद उसने अपनी बहन होलिका से मदद ली,जिसे भगवान शंकर से ऐसा वरदान मिला था जिसके अनुसार अग्नि उसे जला नहीं सकती थी।तब यह तय हुआ कि प्रहलाद को होलिका के साथ बैठाकर अग्नि में स्वाहा कर दिया जाएगा। होलिका अपने इस वरदान के साथ प्रहलाद को गोद में लेकर बैठ गई लेकिन विष्णु जी के चमत्कार से होलिका जल गई और प्रह्लाद की जान बच गई।इसी के बाद से होली की संध्या को अग्नि जलाकर होलिका दहन का आयोजन किया जाता है।

आयोजन समिति ने किया आह्वान

लम्बा खचुआ होलिका दहन की आयोजन समिति से जुड़े श्री बाबूलाल गर्ग और गोवर्धन गर्ग ने खरसिया नगर के समस्त नागरिकों से अपील की है कि जिनको भी होलिका पूजन व दहन 7 तारीख को करना है वे पूरी आस्था के साथ मालधक्का आ कर अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु पूरे विधिविधान के साथ पूजा कर सकते है। आयोजन को सफल बनाने में प्रहलाद गर्ग, श्याम सुंदर गर्ग, मोहन गर्ग, योगेश कबुलपुरिया समेत समिति से सभी सदस्य तैयारियों में लगे हुए है।

देश के विभिन्न शहरो में होलिका दहन का मुहूर्त

देश की राजधानी नई दिल्ली में होलिका दहन 7 मार्च को शाम
06.24 से 08.51 के बीच किया जाएगा। इसी तरह देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में होलिका दहन 7 मार्च को शाम 06.46 से 08.52 के मध्य किया जाएगा। गुलाबी नगरी जयपुर में 7 मार्च को ही शाम 06.31 से 08.58 के बीच शुभ मुहूर्त निकला है,इसी तरह ब्रिटिश राज में देश की राजधानी रही कोलकाता में होलिका दहन 7 मार्च को शाम 05.42 से 06.09 के मध्य की जावेगी। वही झारखंड की राजधानी रांची में 7 मार्च को शाम 05.54 से 06.09 के बीच, देश के दिल मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भी 7 मार्च को शाम 06.26 से 08.52 के मध्य होलिका दहन किया जाएगा। पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में 7 मार्च को शाम 06.25 से 08.53 के मध्य होलिका दहन किया जाएगा। सबसे खास और ध्यान देने वाली बात है कि हमारे प्रिय और गृह राज्य छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होलिका दहन शाम 06.10 से लेकर 08.36 के बीच शुभ मुहूर्त निकाला गया है। इसी तरह बेंगलुरू में 06.29 से 08.54, पटना में 05.54 से 06.09 के मध्य, अहमदाबाद में 06.45 से 09.11 औऱ हैदराबाद में 06.24 से 08.49 के बीच शुभ मुहूर्त में 7 मार्च 2023 को होलिका दहन होगी

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