बिलासपुर। बिनौरी गांव से लाए गए घायल तेंदुए यदि 15 दिन तक कानन पेंडारी जू में रहता है तो उसे जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा। यह नियम में भी है। इस स्थिति में उसका वापस जंगल जाना मुश्किल है। उसे कानन में ही रखा जा सकता है। दरअसल वह घायल है और घाव काफी गहरा होने के कारण उसे तकलीफ भी है। दर्द की वजह से वह भरपेट खाना भी नहीं खा रहा है।
घायल तेंदुआ शावक है। मां से बिछड़कर जंगल से गांव पहुंच गया था। हालांकि वह खुद से चला जाता लेकिन, जब उसे देखकर दहशत फैल गई और घायल होने की सूचना मिली तो वन विभाग ने रेस्क्यू कर पकड़ने का निर्णय लिया। इसके लिए वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ से अनुमति भी ली गई। अनुमति मिलने के बाद ही उसे पकड़कर कानन पेंडारी जू में लाया गया है। जू लाकर जब जांच की गई, तो वन अमला भी दंग रह गया। दरअसल उसके पेट में काफी गहरा घाव है। उसमें कीड़े में बिलबिला रहे हैं। ऐसे में उसकी जान को खतरा भी है। इसीलिए पहली प्राथमिकता उपचार में दी जा रही है। उपचार के साथ- साथ यह भी चर्चा है कि जब वह स्वस्थ्य हो जाएगा, उसके बाद जंगल छोड़ देंगे या फिर कानन पेंडारी जू में ही रखा जाएगा।
नियमानुसार तो 15 दिन के भीतर वह स्वस्थ्य हो जाता है, तब उसे जंगल में छोड़ दिया जाएगा। लेकिन, जख्म नहीं भरते है तो वह कानन पेंडारी में ही रहेगा। हालांकि जू प्रबंधन के लिए अभी भी परेशानी बनी हुई है। यह परेशान के स्वास्थ्य को लेकर है। दर्द अधिक होने के कारण वह भरपेट खाना नहीं खा रहा है। थोड़ी बहुत आहार खाने के बाद वह छोड़ दे रहा है। दर्द के कारण शरीर में उतनी फुर्ती नहीं है, जितना स्वस्थ्य तेंदुए की रहती है।