भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ रायगढ़ क्षेत्र ने 21 फरवरी को किया विरोध प्रदर्शन एवं धरना कार्यक्रम, भारत सरकार के कोयला मंत्री सहित कोल इंडिया प्रबंधन के उच्चाधिकारियों को सौंपा ज्ञापन

सक्ति– 21 फरवरी को भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ रायगढ़ क्षेत्र के द्वारा 11 वा वेतन समझौता की बैठक विलंब होने के चलते महासंघ के आव्हान पर रायगढ़ क्षेत्र की छाल स्थित खुली खदान में गेट मीटिंग के माध्यम से प्रथम पाली में सुबह से ही विरोध प्रदर्शन चालू किया गया और छाल उप क्षेत्रीय कार्यालय में सुबह 10:00 बजे से यह धरना प्रदर्शन प्रारंभ हुआ तथा शाम 5:00 बजे धरना प्रदर्शन के पश्चात भारत सरकार के कोयला मंत्री एवं गोल इंडिया प्रबंधन के उच्चाधिकारियों के नाम संघ द्वारा ज्ञापन सौंपा गया जिसमें भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ रायगढ़ क्षेत्र के महामंत्री ननकीराम साहू द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार ज्ञापन अमृतलाल मीणा कोयला सचिव, भारत सरकार, नई दिल्ली को,क्षेत्रीय महाप्रबंधक रायगढ़ क्षेत्र के माध्यम से प्रेषित किया गया है

एवं इस ज्ञापन में कहा गया है कि जे.बी.सी.सी.आई की बैठकों में प्रबंधन के उदासीन रवैये एवं बैठक के आयोजन में, अनावश्यक विलम्ब करने के विरुद्ध संघ के द्वारा गेटमीटिंग, धरना प्रदर्शन आहुत किया गया है,तथा आपको विदित है कि कोल इंडिया लिमिटेड एवं सिंगरेनी में कार्यरत कोयला श्रमिको के 11 वे वेतन समझौता को सम्पन्न कराने हेतु कोल मंत्रालय की सकारात्मक पहल पर (राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता -10 की अवधि समाप्त होने के पूर्व) 10 जून 2021 को जे. बी. सी. सी. आई- 11 का गठन हो गया । इस प्रकार गठन होने के पश्चात 19 माह बीत जाने के उपरान्त भी जे. बी. सी. सी. आई- 11 की अब तक कुल 08 बैठके ही सम्पन्न हो सकी है। यह प्रबंधन की वेतन समझौता वार्ता-11 के प्रति उदासीन मनःस्थिति को प्रकट करता है,इसी उदासीनता एवं बैठको में प्रबंधन के नकारात्मक रवैया से क्षुब्ध होकर चारो श्रम संगठनों क्रमशः बीएमएस, एचएमएस, एटक, सीटू के द्वारा एक संयुक्त हस्ताक्षरित पत्र को कोयला मंत्री को प्रेषित करते हुये, प्रबंधक के रवैया की जानकारी दी गई थी कोयला मंत्री ने त्वरित संज्ञान लेते हुये चारों श्रम संगठनों के प्रमुखों को बुलाकर वार्ता की तथा मंत्री जी के हस्तक्षेप के पश्चात प्रबंधन ने पुनः बैठकों के आहुत करने का सिलसिला प्रारम्भ कर समझौते के प्रति थोड़ी तेजी दिखाई | किन्तु यह स्थिति ज्यादा देर बरकरार न रह सकी,यह स्थिति तब और भयावह हो गई जब दिनांक 30 नवंबर 2022 को आयोजित सातवीं बैठक के दौरान प्रबंधन के नकारात्मक व्यवहार के कारण इससे क्षुब्ध होकर चारों श्रम संगठन (बीएमएस, एचएमएस, एटक, सीटू) के द्वारा 07 जनवरी 2023 को राँची (झारखंड) में संयुक्त सम्मेलन का शंखनाद करना पड़ा ताकि वेतन समझौते को शीघ्र पूर्ण करने हेतु संयुक्त रणनीति बनाई जा सके

इस पत्र के जारी होने के उपरान्त एक बार पुनः कोल मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा हस्तक्षेप करने के कारण आनन-फानन में प्रबंधन ने 03 जनवरी 2023 को जे.बी.सी.सी. आई -11 की आठवीं बैठक आहुत की तथा बैठक में काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार 19% न्यूनतम गारंटी लाभ पर आपसी सहमति बन सकी, हम सभी को यह ज्ञात है कि 01 जुलाई 2021 को वेतन समझौता -11 की अवधि प्रारम्भ हो चुकी है। इस प्रकार 19 महीने बीत जाने के उपरान्त केवल एक बिन्दु (MGB) न्यूनतम गारंटी लाभ पर ही श्रमसंघों एवं प्रबंधन के बीच आपसी सहमति बन पाई है। माँग पत्र के शेष विषय बिन्दु जैसे भत्ते, सामाजिक सुरक्षा, पर्क, छुट्टियां, रिटायरमेन्ट बेनिफिट एवं अन्य विषय बिन्दुओं पर अभी वार्ता के माध्यम से चर्चा एवं निर्णय होना बाकी है

03 जनवरी 2023 को सम्पन्न आठवीं बैठक के उपरान्त पुनः एक माह से ज्यादा की समयावधि बीत चुकी है किन्तु प्रबंधन ने आगामी बैठक उपरोक्त विषय बिन्दुओं पर चर्चा करने हेतु आज तक बैठक आहुत नहीं किया है। प्रबंधन के इस व्यवहार के कारण कोयला उद्योग का कामगार अत्यन्त ही आक्रोशित है, जिसका असर आने वाले दिनो में कोयला उत्पादन पर भी पड़ सकता है,संगठन के स्तर पर उपरोक्त समस्त विषय बिन्दुओं का समाधान निकालने हेतु “अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ (भारतीय मजदूर संघ) की एक वर्चुअल बैठक दिनांक 10/02/2023 को सम्पन्न हुई जिसमें प्रबंधन की वेतनसमझौता के प्रति उदासीनता तथा श्रमिकों में बढ़ते आक्रोश तथा सम्पूर्ण वेतन समझौता शीघ्रताशीघ्र सम्पन्न कराने हेतु सर्वानुमति से निम्नलिखित आन्दोलनात्मक कार्यक्रमों की रचना की गई है, दिनांक 19,20,21 फरवरी2023 खदान के मुहानों पर गेटमीटिंग, श्रमिक जागरण का कार्यक्रम किया जाएगा, दिनांक 21 फरवरी 2023 को समस्त क्षेत्रीय महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन एवं ज्ञापन प्रेषण का कार्यक्रम किया जाएगा ,अतः आपसे अनुरोध है कि, आप पूर्व की भाति पुनः त्वरित संज्ञान लेते हुये उपरोक्त विषय में त्वरित कार्यवाही करें, अन्यथा संघठन को मजबूरन तीव्र आन्दोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा|

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