तिल्दा -नेवरा / सट्टा का काला कारोबार तिल्दा -नेवरा नगर के लिए एक सामाजिक अभिशाप बन चुका है। प्रशासन के लाख दावा करने के बावजूद इस पर लगाम कसने में प्रशासन असफल रहा है। ऐसे तो कहा जाता है कि कानून की हाथ काफी लंबी होती है ,इसके नजर से कोई भी अपराधी बच नहीं सकता। लेकिन सट्टा के मामले में यह कहावत मिथ्या साबित हो रही है।देखा जावे तो रायपुर जिला क्षेत्र के तिल्दा नेवरा नगर में जब-जब संबंधित विभाग के अधिकारियों का नवपदस्थ हुआ है तब तब नगर की जनता में एक आशा की किरण दिखाई दिया कि सामाजिक बुराई माने जाने वाले कथित कोरोबार पर नकेल कसी जावेगी। फिर ओपन क्लोज का खेल धरातल पर हिचकोले मारने लगे। तिल्दा -नेवरा नगर में सट्टा कारोबार के खेल में छोटी मछली से लेकर मगरमच्छ तक समाज को लुटने में लगे हुए हैं। कहा जाता है कि प्रशासन के समीप इनकी पूरी दस्तावेज रहती है ,मगर कुछ ऐसी ताकत है जिसके चलते प्रशासन भी कठोर कदम उठाने के अपेक्षा खानापूर्ति में लगा रहता है। सूत्रों का माने तो इस समय सट्टा खाईवालों के मध्य शह मात का खेल चल रहा है। इस खेल में किसकी जीत होगी ,कौन तिल्दा -नेवरा का सट्टा किंग बनेगा या फिर प्रशासन इस खेल को ही ताबूत मे गाड़ देगा यह भविष्य के गर्भ में है। लेकिन जानकारी में आया है कि कुछ इस काऱोबार से से जुड़े शुरवीर सिंहासन हथियाने के फेर में संबंधित विभाग पर दबाव बना रहे हैं। देखा जा रहा है कि तिल्दा नेवरा थाने मे नये प्रभारी की पदस्थ होते ही इस काले कारोबार से जुड़े कारोबारी थाना परिसर में नजर आ रहे था इधर क्षेत्रवासियो की नजर कथित मामले पर पुलिस प्रशासन की रवैया पर टिकी हुई है।