किरंदुल-सुहागिनों के खास पर्व करवा चौथ पर कुँवारी लड़किया भी मनचाहे पति के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है।करवा चौथ पर सौभाग्य की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखने का विधान है। दो दिन पूर्व से ही करवा चौथ पर्व की तैयारी शुरू कर दी जाती है।करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला उपवास रखती है। कार्तिक मास की चतुर्थी में मनाया जाने वाला करवा चौथ का व्रत भारत के कई प्रान्तों में मनाया जाता है। परंतु मुख्य रूप से उत्तर भारत में करवा चौथ के पवित्र पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखते हुए इस पर्व को मनाया जाता है। टीवी चैनलों एवं हिंदी फिल्मों में करवा चौथ पर्व को महिमा मंडित किये जाने के बाद से अब बस्तर संभाग के भी कई क्षेत्रों में सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ के पर्व को मनाने लगी है। इस ही कड़ी में किरंदुल नगर में कई सुहागिनों ने देवस्थान राघव मंदिर जाकर पति की लंबी उम्र की कामना की। तो कई स्थानों पर सुहागिन महिलाओं ने सामूहिक रूप से करवा चौथ पर्व की पूजा अर्चना करते हुए चंद्र देवता के आगमन पर चंद्रमा के दर्शन करने के साथ साथ अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना की। किरंदुल नगर में लंबे इंतजार के बाद करीबन 9 बजे चंद्र देवता ने महिलाओं को दर्शन दिए। तत्पश्चात व्रतधारी महिलाओं ने चंद्र देवता को अर्ध्य देकर अपने पतियों की लंबी उम्र की मनोकामना पूरी की।तत्पश्चात उपवासी महिलाओं ने अपने पतियों के हाथों से जल ग्रहणकर दिन भर के निर्जला उपवास को तोड़ा।