हलचल… राहुल के लिए मां का घर शुभ

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राहुल के लिए मां का घर शुभ
कर्नाटक में कांग्रेस को बहुमत

राहुल गांधी को मां का घर शुभ साबित हुआ। कर्नाटक चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। कर्नाटक में राष्ट्रीय कांग्रेस को स्पष्ट जनादेश मिल चुका है। भाजपा की करारी हार हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तमाम कोशिश के बाद भी कर्नाटक में भाजपा को जीत नहीं दिला सके। राहुल गांधी को मां का घर शुभ साबित हुआ। वहीं बजरंगवली का हाथ भी कर्नाटक में कांग्रेस के साथ रहा।

बंद कमरे में सिंहदेव और महंत की गुफ्तगू

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास मंहत अचानक राज्य के कद्दावर नेता मंत्री टीएस सिंहदेव के बंगले पहुंचे। सिंहदेव के बंगले में दोनों ही नेताओं के बीच घंटो गुफ्तगु हुई। महंत और सिंहदेव के मिलन की खबरें इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। पारिवारिक कार्यक्रमों को छोड दें तो विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद डॉ. महंत बहुत ही कम मंत्रियों के बंगले गए होगें। डॉ. महंत और सिंहदेव के बीच शुक्रवार दोपहर घंटों हुई चर्चा के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। हालंकि बंद कमरे में हुई चर्चा के विषय सामने नहीं आ सके। लेकिन मंहत और सिंहदेव की बढ़ती नजदीकियां इन दिनों राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर रही हैं।

शैलेष नितिन त्रिवेदी की वापसी

वर्षो तक कांग्रेस के संचार विभाग की जिम्मेदारी सम्भाल चुके पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी की सक्रियता को देखते हुए इन दिनों यह खबर उडऩे लगी है कि विधानसभा चुनाव से पहले शैलेष नितिन त्रिवेदी की फिर से संचार विभाग में वापसी हो सकती है। दरअसल में शैलेष नितिन त्रिवेदी इन दिनों फिर से मीडिया में काफी सक्रिय हैं। वह ईडी की कार्रवाई को लेकर लगातार भाजपा और केन्द्र सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे। टी.व्ही. चैनलों एवं समाचार पत्रों में शैलेष की खबरें शुक्ला से ज्यादा दिखाया जा रहा है। जिसको लेकर यह कयास लगाया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले शैलेष नितिन त्रिवेदी की एक बार फिर से संचार विभाग में वापसी हो सकती है।

चावल घोटाला

छत्तीतसगढ में आने वाले दिनों में क्या होगा इसको लेकर सब चिंतित हैं। राजनीतिक रुप से मजबूत कांग्रेस इन दिनों कथित भ्रष्टाचार में घिरते नजर आ रही है। राज्य में ईडी, आईटी, सीबीआई की दिन-प्रतिदिन सक्रियता बढ़ रही है। कोल स्कैम में आईएएस समेत कई कारोबारी और अधिकारी पिछले सात माह से सलाखों के पीछे हैं। ईडी कोल स्कैम के बाद अब शराब में लगातार कार्रवाई कर रही है। शराब कारोबार से जुड़े व्यापारियों के दिन लद गए हैं। कुछ सलाखों के पीछे पहुंच गए, कुछ निशाने में हैं। कारोबारियों और अफसरों की सम्पत्तियां अटैच कर दिया गया है। शराब और मनी लांड्रिग मामले में लगातार गिरफ्तारियां हो रही हैं। इसी बीच चावल घोटाला आ गया। कोरोना काल में चावल वितरण में बड़ी खामियां उजागर हुई हैं। जिसके जांच के लिए केन्द्रीय अधिकारियों का दल राजधानी पहुंचा। बताते हैं कि कथित चावल घोटाले के पूरे दस्तावेज एकत्रित किये जा चुके हैं। इस मामले की जांच भी किसी सेन्ट्रल एजेन्सी को सौंपी जा सकती है। कोयला और शराब का मामला आग की तरह जल रहा है। अब इसी बीच चावल घोटाले की गूंज भी सुनाई देने लगी है।

अशोक अग्रवाल का पीछा नहीं छोड़ रहे राउत

रिटायर्ड आईएएस अशोक अग्रवाल के साथ जो हो रहा है वह महज इत्तेफाक है। या फिर मामला कुछ और है। दरअसल में आईएएस अशोक अग्रवाल के रिटायर होने के बाद उन्हें सूचना आयोग में नियुक्ति मिल गई। अग्रवाल के सूचना आयोग जाते ही एमके राउत को मुख्य सूचना आयुक्त बना दिया गया। अब एक बार फिर अशोक अग्रवाल को रेडक्रास सोसाइटी का चेयरमेन नियुक्त किया गया। तो राउत वहां भी पीछा नहीं छोड़ रहे। राउत को सीइओ बना दिया गया है। अब लोग कह रहे हैं कि यह एक महज इत्तेफाक है या मामला कुछ और है।

नहीं फल रही संविदा नियुक्ति

कहते हैं कि कोई भी मुसीबत बताकर नहीं आती। सेवाकाल पूरा कर आईएएस निरंजन दास कुछ महीने पहले ही रिटायर हुए थे। वह रिटायरमेन्ट के पहले आबकारी आयुक्त की जिम्मेदारी सम्भाल रहे थे। रिटायरमेन्ट के बाद उन्हें संविदा नियुक्ति मिल गई। सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग का सचिव बनाकर सरकार ने कुछ दिन बाद उन्हें फिर से आबकारी आयुक्त की जिम्मदारी सौंप दी। नियुक्ति के कुछ माह पहले तक तो सब ठीक चल रहा था लेकिन अचानक से शराब घोटाले के मामले ने सभी को परेशान कर दिया है। निरंजन दास बेदाग होकर रिटायर हो चुके थे। रिटायरमेन्ट के बाद आगे की लाइफ घर परिवार के साथ बिताने का मौका था। लेकिन संविदा नियुक्ति लेकर उन्होंने अपने लिए मुसीबत खड़ी कर ली। आबकारी घोटाले में ईडी लगातार धर-पकड़ कर रही है। निरंजन दास के अधीननस्त काम कर चुके एपी त्रिपाठी को ईडी ने हाल ही में गिरफ्तार कर लिया है। कार्रवाई से परेशान निरंजन दास ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। कुल मिलाकर दास को संविदा नियुक्ति नहीं फल रही है।

कई आईएफएस अफसरों का सपना रह जाएगा अघूरा

हर आईएएस का सपना होता है कि वह एक दिन चीफ सेके्रट्री बने, आईपीएस का सपना होता है कि वह डीजीपी बने ठीक उसी तरह हर आईएफएस का सपना होता है कि वह एक दिन वनबल प्रमुख बने, लेकिन जूनियर अफसर की नियुक्ति ने कई आईएफएस अफसरों के सपनों को कुचल दिया है। राज्य सरकार ने एपीसीसीएफ व्ही श्रीनिवास राव को प्रभारी पीसीसीएफ नियुक्त कर दिया है। एपीसीसीएफ राव से 7 अफसर सीनियर हैं। वह अभी तक पीसीसीएफ भी प्रमोट नहीं हुए, लेकिन प्रमुख सीट में विराजमान हो गए। उनके नियुक्ति के बाद से विभाग में सन्नाटा पसरा हुआ है। कहते हैं कि सीनियर अफसर सरकार के इस निर्णय से बेहद खफा हैं। यदि आने वाले दिनों में राव अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे तो वह लम्बी पारी खेलेंगे। इस दरम्यान कई आईएफएस अफसरों का सपना चकनाचूर हो जाएगा। कई आईएफएस पीसीसीएफ की प्रमुख सीट पर नहीं बैठ पायेंगे। राव 31.05.2026 को रिटायर होंगे। इस बीच अतुल शुक्ला, सुधीर अग्रवाल, आशीष भट्ट, तपेश झा, संजय ओझा, अनिल राय, सुनील मिश्रा, टी नंदी, अनिता नंदी, समेत कई अफसर रिटायर हो जाएंगे। अनिल साहू एवं प्रेमकुमार राव के रिटायर होने के दो माह पश्चात् रिटायर होंगे, इसलिए शायद ही इन्हे अवसर मिल पाये। वहीं अरुण पांडे 01 जुलाई 2027 और ओपी यादव 28 फरवरी.2027 को रिटायर होंगे। श्रीनिवास राव के रिटायर होने के पश्चात् अरुण पांडे या ओपी यादव में से किसी एक को एक वर्ष के लिए पीसीसीएफ बनने का अवसर मिल पायेगा। कुल मिलाकर इस निर्णय से कई आईएफएस अफसरों के सपने पूरे नहीं को सकेंगे।

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