हलचल… स्थानीय भाजपा नेताओं के हाथ खाली

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स्थानीय भाजपा नेताओं के हाथ खाली

दुर्ग में चुनावी सभा की शंखनाद करने पहुंचे अमित शाह भीड़ देखकर भले ही गदगद हो गए हो। लेकिन अभी भी राज्य के भाजपा नेताओं के हाथ खाली है। शाह ने सभा में जुटी भीड़ को मुठ्ठी बांधकर भाजपा की सरकार बनाने का संकल्प तो जरुर दिलाया। लेकिन राज्य के भाजपा नेताओं को यह समझ नहीं आ रहा कि वह छत्तीसगढ़ की जनता के सामने कौन से मुद्दे को लेकर वोट मांगने जाएं और कैसे सरकार बनाएं। प्रदेश में महज 4 माह बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन भाजपा अभी भी धान का काट नहीं ढूंढ पाई है। शाह से राज्य के तमाम भाजपा नेताओं को आस थी कि वह किसानों के बारे में कुछ बोलेंगे, कुछ नया करने की बात कहेंगे, लेकिन शाह ने ऐसा कुछ नहीं किया। कुल मिलाकर अभी भी प्रदेश भाजपा नेताओं के हाथ खाली है।

उषा बारले अहिवारा से भाजपा प्रत्याशी होंगी ?

दुर्ग प्रवास के दौरान केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह अनुसूचित जाति वर्ग के वोटरों को साधने के मकसद से उषा बारले के घर पहुंचे। जहां पर उन्होनें तकरीबन 20 मिनट समय बिताया। उषा बारले प्रदेश की नामचीन कलाकार है। उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित भी किया जा चुका है। अमित शाह बारले के घर पहुंचे तो अब राजनीतिक कयास भी लगाये जाने लगे हैं। कहते हैं कि भाजपा अहिवारा निर्वाचन क्षेत्र से नए प्रत्याशी की तलाश में है। ऐसे में यदि बारले की सहमति बनती है, तो भाजपा को इस सीट के लिए नया प्रत्याशी मिल जाएगा। शाह के आने से ठीक एक महीने पहले उषा बारले पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के निवास गुलदस्ते लेकर भेंट करने पहुंची थी। अब शाह का उनके निवास जाना राजनीतिक कयासों पर मुहर लगाती है।

सरोज के शाही लंच पर फिरा पानी

22 जून को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की दुर्ग में विशाल आम सभा थी। इसी दिन राज्यसभा सांसद, भाजपा नेत्री सरोज पांडे का जन्म दिवस भी था। कहते है कि शाह की रैली से ज्यादा सांसद सरोज पांडे की होर्डिंग शहर में लगाई गई थी, समाचार पत्रों में सरोज गाथा के विज्ञापन भी प्रकाशित किए गए थे। शाह का दौरा कार्यक्रम जारी होने के पहले यह माना जा रहा था कि अमित शाह सरोज के शाही लंच पर उनके निवास जाएगें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शाह ने सरोज के यहां जाने से बेहतर पद्मश्री उषा बारले के यहां जाना समझा। कुल मिलाकर सरोज के शाही लंच पर पानी फिर गया। बहरहाल पानी किसने फेरा यह सरोज के लिए शोध और मंथन का विषय है।

बेबस मरकाम

कांग्रेस में गुटबाजी कोई आम बात नहीं है। और जब चुनाव सामने हो तो यह गुटबाजी खुलकर सामने आ ही जाती है। कहने को तो मोहन मरकाम के पास प्रदेश कांग्रेस चीफ का ओहदा है, ठीक वैसे ही जैसे दिवंगत नेता अजीत जोगी के कार्यकाल में दुर्ग के रामानुज लाल यादव का था। दरअसल मेें पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने विगत दिनों संगठन में बड़े बदलाव करते हुए महामंत्रियों का प्रभार बदला था। मरकाम के इस आदेश को प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा ने 24 घंटे के अंदर रद्दी की टोकरी में डाल दिया। शैलजा के पत्र के बाद तमतमाये मरकाम ने कहा पदाधिकारी जारी आदेश के आधार पर ही काम करेंगे। लेकिन बाद में मरकाम के स्वर बदल गए, उन्होनें कहा कि प्रभारी शैलजा के आदेश माने जाएंगे। यह सब क्यूं हुआ, कैसे हुआ यह तो स्वयं मरकाम ही जानेंगे। लेकिन शैलजा के पत्र ने यह साबित कर दिया कि भले ही पीसीसी चीफ का ओहदा मरकाम के पास है, लेकिन वह डिसीजन नहीं ले सकते। कुल मिलाकर मरकाम चीफ होकर भी बेबस है।

निरंजन दास के बाद अब कौन ?

2000 करोड़ के शराब घोटाले मामले पर आबकारी आयुक्त रहे रिटायर्ड आईएएस निरंजन दास पर ईडी का शिकंजा कसता जा रहा है। गिरफ्तारी से बचने के लिए दास ने पहले ईडी की कार्रवाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई। बाद में तकनीति त्रुटि का हवाला देते हुए याचिका को वापस ले लिया गया। कुछ दिन बाद ईडी की विशेष अदालत में अग्रिम जमानत याचिका लगाई गई। याचिका में दो दिन की सुनवाई होने के बाद जज ने फैसला सुरक्षित रखा, बाद में दास की याचिका खारिज कर दी गई। दास की याचिका खारिज होने के बाद उन पर कभी भी ईडी का शिकंजा कस सकता है। जानकारों का मामना है शराब घोटाले में कार्रवाई यहीं नहीं रुकनी है। सवाल यह उठता है कि दास के बाद ईडी का अगला टारगेट कौन?

फारेस्ट में फिर लौट रहा प्रभारी कल्चर

इसी माह के आखिरी में रायपुर सीसीएफ जे आर नायक का रिटायरमेन्ट हैं। उनके रिटायर होते ही सीसीएफ की नई लिस्ट जारी होगी। कहते हैं कि इसके लिए प्रस्तावित नाम भी जा चुके हैं। जिसमें दुर्ग, रायपुर, बस्तर, कांकेर सीसीएफ बदले जांएगे। अभी तक डीएफओ स्तर के अधिकारियों को प्रभारी का पद सौंपा जा रहा था। अब चर्चा है कि अगली लिस्ट में प्रभारी सीसीएफ भी बनाए जाएगे। दुर्ग सीसीएफ बीपी सिंह को हटाया जाना तय माना जा रहा है। उनके स्थान पर प्रभारी सीसीएफ नियुक्त किया जा सकता है।

नन्द कुमार साय पत्थलगांव से लडेंगे चुनाव ?

कहते है कि नई सम्भावनाओं के साथ दिग्गज भाजपा नेता नन्दकुमार साय ने कांग्रेस का दामन थामा है। वह एक बार फिर प्रदेश की सक्रिय राजनीति में वापस आना चाहते है। निश्चित ही कांग्रेस ने भी उनसे कुछ वादे किए होंगे। 2023 के विधानसभा चुनाव में एक नई आस के साथ साय कांग्रेस में शामिल हुए हैं। भाजपा में अपने आप को उपेक्षित समझने वाले साय अब 2023 के विधानसभा चुनाव में दो-दो हाथ करते नजर आ सकते है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रामपुकार सिंह ने 2018 का चुनाव यह कहकर लड़ा था कि यह उनका अंतिम चुनाव है। साय के कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद यह माना जा रहा है कि पत्थलगांव से कांग्रेस साय को टिकट दे सकती है।

 

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