हलचल…

मोदी-भूपेश का होली मिलन…

छत्तीसगढ़ में अभी भी होली का रंग चढ़ा हुआ है। चहुंओर होली मिलन समारोह आयोजित  हो रहे हैं। इसी बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शुक्रवार को दिल्ली प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। कहते हैं कि यह मुलाकात होली मिलन समारोह से कम नहीं था। प्रधानमंत्री मोदी ने खुलकर सीएम के फाग की भी तारीफ की। सीएम ने इस बात जिक्र मीडिया के सामने भी खुलकर किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लौटकर कहा कि उन्होनें प्रदेश की योजनाओं के साथ ही कई मागों पर पीएम से चर्चा की। आम तौर पर पीएम मोदी को राजनीतिक रुप से घेरने में सीएम भूपेश तनिक भी कसर नहीं छोड़ते। लेकिन जब राज्य के विकास की बात हो तो वह राजनीतिक प्रतिद्वंदता से परे आत्मीय रुप से मुलाकात करते हैं। जारी तस्वीर में प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री ठहाके लगाते नजर आते हैं। इस तस्वीर को देखकर भाजपा तथा कांग्रेस दोनों ही दल के नेता अगल-अलग मंथन में जुटे हुए हैं।                                                         

राजनीति में कब कौन अपना, कब पराया

कहते हैं कि राजनीति में कब कौन अपना हो, कब कौन पराया हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसा ही कुछ पीसीसी चीफ मरकाम के साथ हो रहा है। फार्म में रहते हुए मोहन मरकाम ने कांग्रेस के संगठन में बड़ी सर्जरी की थी जिसमें सत्ता के करीबी रहे पदाधिकारियों की संगठन से विदाई कर दिया गया था। कई वर्षो से संगठन में एक महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सम्भाल रहे सत्ता के करीबी नेता को पद से हटाकर, आयोग की चाह रख रहे एक नेता को जिम्मेदारी सौपी गई। समय जैसे-जैसे बीतता गया मरकाम के हाथ से यह सिपाही भी बाहर निकल गया। इसलिए कहते हैं कि राजनीति में कब कौन अपना, कब पराया इसका कोई ठिकाना नहीं ।                                                            

 घट रहा साहब का कद और पद

विगत माह ईडी ने नवा रायपुर स्थित तीन सरकारी कार्यालयों में दबिश दी। एक विभाग से पिछले तीन माह में की गई पूरी कार्यवाही का पूरा काला चिटठा ईडी ने जब्त किया है। विभाग के कर्ताधर्ता छापे के बाद काफी बेचैन है। ईडी दस्तावेजों की जांच कर रही है। ईडी की दबिश के बाद साहब के पूरे कारनामे का खुलासा बड़े साहब के सामने हो गया। साहब के कारनामों को सुनते ही बड़े साहब ने खूब फटकार लगाई। कहा जा रहा है कि ईडी कार्रवाई करे उससे पहले ही साहब का पद और कद दोनो कम किया जा सकता है।                                                

जंगलराज ने सब कुछ छीना

जंगल यानी कि वन विभाग, इस विभाग में इन दिनों जंगल राज है। सबसे सीनियर आईएफएस को उनके हक से वंचित कर दिया गया। राज्य में यह परिपाटी पहली दफा शुरु हुई। जंगलराज के शिकार अफसर ने सिस्कियां तक नहीं ली, पहले उन्हें अरण्य भवन से विधानसभा के पास स्थित एक कार्यालय में शिफ्ट कर दिया गया। बाद में जंगलराज का चाबुक ऐसा चला कि विभाग से बाहर कर, उनके पूरे हक से ही उन्हें वंचित कर दिया गया। फल से वंचित हुए अफसर अपनी बची नौकरी शुकून से काटकर रिटायरमेंन्ट के बाद की दिनचर्या को अभी से जीना शुरु कर दिया है। कहतें हैं कि हमेशा प्रभावशील पदों में बनें रहने के बाद रिटायरमेन्ट के दिन आसानी से नहीं कटते, जंगलराज के शिकार इस अफसर के खामोशी का नुकसान आने वाले दिनों में कई सीनियर आईएफएस को भुगतना पड़ सकता है। इस निर्णय के बाद से जंगल विभाग के ज्यादातर अफसर भी कहना चालू कर दिए हैं कि यहां तो जंगलराज है।                                                        

 डीपीसी को लेकर बेचैनी

पीसीसीएफ पदों के लिए डीपीसी न होने के कारण वाइल्ड लाइफ में रुचि रखने वाले एक अफसर इन दिनों मुख्यालय आना ही छोड़ दिये हैं। कहा जा रहा है कि इस सीनियर अफसर का धैर्य अब जबाब देने लगा है। बीते 20 फरवरी को डीपीसी की बात सामने आई लेकिन उसमें भी गोल-गोल से अफसर अब काफी परेशान हैं। बताया जा रहा है कि पीसीसीएफ के लिए दो पद ही रिक्त हैं। लेकिन पैनल में 3 अफसरों के नाम शामिल है। एक अफसर का सीआर बिगड़ा हुआ है कम से कम 40 अंक होने चाहिए उसमें पेंच फंस सकता है। इसी बीच जीएडी से रिक्त पदों के लिए अभिमत लेने की बात उड़ रही है। इस बात को सुनकर पदोन्नत होने वाले अफसर अब खासे बेचैन हैं।
                                                      

आर-आर का करार, एक आर फरार

एक कद्दावर मंत्री के विभागों में आर-आर शब्द से शुरु होने वाले नाम के ठेकेदारों/व्यापारियों का बोलबाला है। प्रदेश में ईडी की दबिश के बाद से एक आर को कुछ दिनों के लिए अंडरग्राउन्ड रहने यानि कि गतिविधियों को कम करने का फरमान है। वहीं दूसरा आर एम नाम के अफसर का बेहद करीबी है। उसे मंत्री जी का भी काफी विश्वस्त कहा जाता है। ईडी की दबिश से एम नाम का अफसर इतना घबराया की सबके फरमान को साइड करके ईडी के फरमान को 24 घंटे के भीतर ही पूरा कर दिया। जाहिर सी बात है कि ईडी यदि इन अफसरों को फिर तलब करती है तो यह कुछ भी बयान दे सकते हैं। यदि कहीं ऐसा हुआ तो आर-आर का करार बेकार हो जाएगा।

 

शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *