हलचल… भूपेश भारी

भूपेश भारी


15 साल तक छत्तीसगढ़ में सत्ता की बागडोर सम्भालने वाली भाजपा पर इन दिनों भूपेश बघेल अकेले ही भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं। भूपेश की रणनीति का ही कमाल है कि भाजपा नेता नंदकुमार साय अब कांग्रेस पार्टी जिन्दाबाद के नारे लगा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में भाजपा को जिंदा करने वाले प्रथम नेता प्रतिपक्ष साय अब कांग्रेसी हो गए है। साय भूपेश बघेल से खासे प्रभावित हैं। कहते हैं कि भूपेश बघेल की कार्यशैली से भाजपा के एक और कद्दावर नेता कॉफी प्रभावित हैं। साय के कांग्रेस में जाने के बाद आशंका यह जताई जा रही है कि कहीं यह खाटी भाजपाई कांग्रेस का गमछा पहनने राजीव भवन न निकल जाए। कुल मिलाकर इन दिनों भाजपा नेताओं को भूपेश का भय सताने लगा है।

चुनाव के पहले मरकाम ने पांसे फेंके

कुछ दिनों पहले तक कांग्रेस के अन्दरखाने में चल रहा था कि पार्टी लगभग 38 विधायकों की टिकट काट सकती है। कुछ सर्वे रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई है कि ज्याादातर विधायकों से क्षेत्र की जनता सतुष्ट नहीं है। लेकिन हाल ही में पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के बयान ने सबको चौंका कर रख दिया है। मरकाम ने 75 के लक्ष्य को रखते हुए किसी भी विधायक की टिकट न काटने की बात कही है। जाहिर सी बात है मोहन मरकाम के इस बयान से वर्तमान विधायकों का झुकाव उनकी ही ओर बढ़ेगा। कहते हैं कि चुनावी साल में मरकाम ने भी अपना पांसा फेंक दिया है। एक ओर अभी तक यह चल रहा था कि कांग्रेस खराब परफारमेंस वाले तकरीबन 38 विधायकों की टिकट काट सकती है। दूसरी ओर पीसीसी चीफ की विधायकों की टिकट न काटने की वकालत ने सबको हैरान कर दिया है। इसके पीछे मरकाम की क्या रणनीति है यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट हो सकेगा। लेकिन मरकाम आने वाले विधानसभा चुनाव में बड़ा दांव खेलने की तैयारी में हैं।

दोस्त दोस्त न रहा

कहते हैं कि सत्ता और कुर्सी ऐसी चीज है जिसके लिए हजार दोस्त कुर्बान कर दिये जाते हैं। ऐसा ही मामला इन दिनों अरण्य भवन में सामने आया है। मुख्यालय में एपीसीसीएफ रहते तक दो दोस्तों की चर्चाएं हुआ करती थीं। एक दोस्त ने अपनी तगड़ी सेटिंग जमाई और एपीसीसीएफ रहते हुए माता लक्ष्मी की कृपा से पीसीसीएफ की कुर्सी हासिल कर ली। दूसरे दोस्त को पीसीसीएफ बनने के बाद भी सेकण्ड ही नहीं थर्ड सीट भी नशीब नहीं हुई। दरअसल में उत्तर वाले अफ सर को यह भय सता रहा था की इसी बिल्डिंग में रहने से दोनों दोस्तों का प्रतिदिन आमना-सामना होगा। काम को लेकर भी आने वाले दिनों में ठन सकती है। इसलिए एक दोस्त ने ही दूसरे दोस्त को पूरी ताकत लगाकर बिल्डिंग से बाहर भेजवा दिया। कहते हैं कि दूसरे दोस्त को सरकार भी सेकण्ड कुर्सी देने के फूल मूड में थी, लेकिन पहले दोस्त ने पूरी ताकत लगाकर आखिरी समय में सीट तो दूर उन्हें अरण्य भवन से ही बाहर करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब लोग कह रहे हैं कि दोस्त दोस्त न रहा।

आईएएस से दो-दो हाथ करेंगे संतराम ?

बस्तर की एक-एक सीट पर भाजपा ने चुनावी जाल बिछा दिया है। वर्तमान में केशकाल से संतराम नेताम विधायक हैं। सरल छवि के संतराम को इस बार एक आईएएस अफसर से दो-दो हाथ करना पड़ सकता है। भाजपा केशकाल से एक आईएएस अफसर को टिकट देने की तैयारी में हैं। कहते हैं कि इस अफसर ने चुनाव के नजदीक आते ही सामाजिक गतिविधयों को बढ़ा दिया है। प्रभावशील पद पर रहते हुए इस अफसर ने केशकाल क्षेत्र में जमकर काम किया है। सूरज उगने वाली दिशा में संत का प्रभाव है तो डूबने वाली दिशा में इस अफसर का जनाधार है।

आईएएस ही नहीं आईएफएस भी चुनावी रेस में

आगामी 6 बाद राज्य में होने वाला विधानसभा चुनाव वेहद ही रोमांचक होने जा रहा है। इस चुनाव में आईएएस ही नहीं एक रिटायर्ड आईएफएस भी चुनावी मैदान में दो-दो हाथ करते नजर आ सकते हैं। तकरीबन 1 साल पहले रिटायर हुए इस अफसर ने चुनावी तैयारी शुरु कर दी है। इस आईएफएस अफसर के चुनावी गणित से भाजपा काफी प्रभावित है। खास बात यह है कि इनके द्वारा जिस सीट से टिकट की दावेदारी की गई है वहां से भाजपा की ओर से कोई बड़ा नेता दोवेदार नजर नहीं आ रहा है। कहते हैं कि वर्तमान विधायक इसी सीट पर टिकट देने की शर्त पर भाजपा प्रवेश करने वाले थे, लेकिन भाजपा की ओर से टिकट का कोई वादा नहीं किया गया। जिससे उनका भाजपा प्रवेश अटक गया था। अब इस सीट पर एक रिटायर्ड आईएफएस को भाजपा टिकट देने की रणनीति बना रही है। वैसे सर्विस पर रहते हुए इस अफसर ने किसी नेता को निराश नहीं किया। अमूमन सभी के कामों को प्राथमिकता दी, जिसका लाभ उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में मिल सकता है।

अनवर की गिरफ्तारी, अब किसकी बारी?

छत्तीसगढ़ में ईडी ने शनिवार को मनी लांड्रिंग मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए शराब कारोबारी अनवर ढेबर को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया। ईडी की कार्रवाई से छुप रहे अनवर को आधी रात राजधानी के एक होटल से गिरफ्तार करने की बात सामने आई है। मेडिकल परिक्षण के बाद उन्हें कोर्ट पेश किया गया। कोर्ट ने अनवर को चार दिनों के लिए ईडी के हिरासत में सौंप दिया है। ईडी चार दिनों तक अब अनवर से पूछताछ करेगी उसके बाद उन्हें फिर कोर्ट में पेश किया जाएगा। इसी बीच ईडी नेे 20 महिला शसस्त्र बलों की मांग की है। जिसको लेकर एक और बड़ी गिरफ्तारी की आंशका जताई जा रही है। जिससे यह कहा जा रहा है अनवर की गिरफ्तारी, अब किसकी बारी।

माइनिंग, शराब के बाद अब कैम्पा में भी ईडी के दबिश के संकेत

छत्तीसगढ़ में ईडी मनी लांड्रिंग मामले की जांच कर रही है। सर्वप्रथम अक्टूबर 2022 में कार्रवाई की जद में कोल कारोबारी, आईएएस अफसर समेत अन्य को ईडी ने गिरफ्तार किया। मनी लांड्रिंग मामले का चैन माइनिंग के बाद शराब तक पहुंच चुका है। शनिवार को मनी लांड्रिंग मामले में कारोबारी अनवर ढेबर को ईडी ने आधी रात गिरफ्तार कर लिया। जानकारों का कहना है कि भाजपा ईडी के माध्यम से कांग्रेस की पूरी फंडिंग को ब्रेक करने की रणनीति पर काम कर रही है। वहीं कांग्रेसी नेताओं द्वारा भी ईडी की कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण किए जाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने भी ईडी को भाजपा की सह पर कार्रवाई करने का आरोप लगाया है। माइनिंग और शराब में सफलता हासिल करने के बाद अगली कार्रवाई कैम्पा में होने की खबर है। राज्य तमाम भाजपा नेताओं द्वारा केन्द्र सरकार तथा लोकसभा ने भी छत्तीसगढ़ में कैम्पा राशि के दुरुपयोग का आरोप लगा चुके हैं। कई बार विधानसभा में भी कैम्पा को पॉकेट खर्च की राशि भी भाजपा नेताओं ने कहा है। अब शराब के बाद ईडी कैम्पा में हुए बंदरबांट के चैन को तलासने में जूट सकती है।

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