गीदम :- भगवान छपन भोग के भूखे नहीं है अगर प्रेम से एक पुष्प भी अर्पण कर दे तो वो भी उसे स्वीकार है:- संत कृपाराम

सोनी परिवार द्वारा श्रीमद भागवत ज्ञान सप्ताह का किया जा रहा आयोजन

गीदम :- जे आर पेलेस मूली देवी स्व जोगराज सोनी की स्मृति में परिवार की ओर से श्रीमद भागवत कथा ज्ञान सप्ताह का आयोजन किया गया जिसमे राजस्थान जोधपुर से पधारे हुए संत कृपाराम जी महाराज के श्रीमुख से कथा वाचन किया जा रहा है जिसका आज तृतीय दिवस है गुरुवर राजाराम जी महाराज के पावन सानिध्य में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन कथा वाचक कृपाराम महाराज ने कथा का वाचन करते हुए बताया कि मनुष्य जैसा कर्म करेगा वैसा फल अवश्य मिलेगा, मनुष्य को कर्म का फल भोगना ही पड़ेगा इसलिए मानव मात्र को हमेशा अच्छे कर्म कर मनुष्य जीवन का उद्धार करना चाहिए ।
परमात्मा को भजने वाला परमात्मा का हो जाता है, सच्ची श्रद्धा हेतु व्यक्ति को भगवान से पहले खुद पर भरोसा होना जरूरी है।


संतो की महिमा का गुणगान करते हुए बताया कि संत तपस्या के बल से महकता है , संतो का लगाव भगवान से होता है ओर जो हरि को भजता है वो हरी का हो जाता है।
भागवत कथा का वाचन करते हुए कृष्ण व दुर्योधन के बीच युद्ध का वर्णन किया । संत कृपाराम जी ने विदुरानी द्वारा श्री कृष्ण को केले के छिलके खिलाने वाले प्रसंग को सुनते हुए कहा की भगवान छपन भोग के भूखे नहीं है अगर प्रेम से एक पुष्प भी अर्पण कर दे तो वो भी उसे स्वीकार है भगवान दुष्टों का उद्धार करने व भक्तों को आनंद देने इस धरती पर आते है, अगर भगवान पैसे लते देखते तो भगवान श्री राम कभी भी आदिवासियों व शबरी के वहा कभी नहीं जाते और श्री कृष्ण भी कभी भी सुदामा को अपना परम मित्र नहीं बनाते अगर पैसे ऐश्वर्य को देखते क्यों की ये सब इन भक्तों के पास नहीं था और जो भी था वो सच्चा प्रेम था जिस से भगवान खुद इन के वहा पधार गए और कहा अगर जीवन में समस्या आ जाए तो भगवान से ये मत कहो की समस्या बहुत है बल्कि ये कहो की समस्या तो बहुत है लेकिन तेरी कृपा भी बहुत है

| आज इस भाग – दौड़ की जिंदगी में जो व्यक्ति चार घंटे एक जगह बैठ कर ध्यान से कथा सुनाता है समझो उस पर भगवान की बड़ी कृपा है, और कहा की जीवन में कर्म की बड़ी महानता है कर्म करने में सावधान रहो, अगर कर्म अच्छे नहीं करेगे तो आगे जाकर दुख भोगना पड़ेगा, जो अच्छे कर्म करेगा वो जीवन में सुख पाएगा, आज की कथा में संत श्री ने विधुर विधुरानी के आंगन में श्री कृष्ण आगमन की कथा सुनाई, श्री कृष्ण ने विधुर और विधुरानी के प्रेम को स्वीकार किया और कथा में बाल संतों से बड़े ही सुन्दर वाणी से प्रवचन व भजनों की प्रस्तुति दी श्रीमद भागवत ज्ञान कथा से गीदम की पावन नगरी भक्तिमय हो गई है|

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