दंतेवाड़ा जिले में आरटीओ विभाग से कोई भी काम करवाना नागरिकों के लिये कठिन परिश्रम से कम नहीं है , विभाग की उदासीनता का शिकार हो रहे हैं जिले के ट्रांसपोर्टर एवं चालक | दरअसल हेवी लाइसेंस के रिन्यूअल के लिए जिले से 370 किलोमीटर दूर स्थित राजधानी रायपुर जाकर दो दिवसीय ट्रेनिंग चालको को करना पड़ेगा, इससे ग्रामीण बाहुल्य जिला दंतेवाड़ा के चालको को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है , पूर्व में भी भारी भरकम रकम एजेंटो के माध्यम से विभाग को चुकाने के बाद जिले से लाइसेंस रिन्यूअल होता था पर अब विभाग के एजेंटो द्वारा बताया जा रहा है की रिन्यूअल हेतु रायपुर जाकर ट्रेनिंग करने की आवश्यकता है जिससे चालक परेशान है | साथ ही विभाग द्वारा कमर्शियल वाहनों के फिटनेस सिर्फ मंगलवार और बुधवार को किए जाते हैं तथा सप्ताह के अन्य दिनों में फिटनेस संबंधित कार्य विभाग द्वारा नहीं किया जाता जिससे वाहन मालिक तथा चालक चार-पांच दिन खड़े होकर पश्चात भारी रकम चुकाने के बाद फिटनेस करवा पाते हैं, फिटनेस के वक्त जो स्पीड गवर्नर अधिकृत किया जाता है उसे 2 वर्ष बाद जब अगला फिटनेस आए उस फिटनेस सर्टिफिकेट को मान्यता ना दे कर फिर नया लगाया जाता है इससे 4000 से 5000 अतिरिक्त शुल्क वाहन मालिकों को भुगतना पड़ता है साथ ही रेडियम जो बाजार से 2000 से 3000 में उपलब्ध हो उसके लिये भी 4000 से 5000 देकर विभाग द्वारा ही करवाये जाने की प्रतिबंधता के चलते अतिरिक्त शुल्क वाहन मालिकों को भुगतना पड़ता है | पूर्व में भी ग्रामीण क्षेत्रों के चालकों को भारी रकम चुकाने के बाद विभाग द्वारा लाइसेंस दिया जाता था पर अब इस मामले को सुलझाना तो दूर विभाग ने चालकों की समस्या रायपुर जाकर ट्रेनिंग करने से और बढ़ा दी है | साथ ही नेशनल परमिट बनवाने हेतु कमर्शियल वाहनों के चालक तथा मालिकों को संभाग कार्यालय जगदलपुर जाना पड़ता है |
आरटीओ विभाग का जिला कार्यालय उपभोक्ताओं को सुविधा देने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है तथा वाहन मालिकों का कहना है की रोड टैक्स, फिटनेस, परमिट,लाइसेंस रिन्यूअल का शुल्क देने के बाद भी उपभोक्ताओं को विभाग द्वारा कोई सुविधा नहीं दिया जाता | भाजपा जिलाध्यक्ष चैतराम अटामी ने कहा की आरटीओ में अधिकारियों तथा आम आदमियों की नहीं चलती बल्कि विभाग के सारे कामों पर एजेंटों का दबदबा है चाहे वह नाम ट्रांसफर हो, लाइसेंस बनवाना या रिन्यूअल, वाहन का परमिट बनवाना हो, फिटनेस करवाना हो हर काम के लिए कमीशन शुल्क निर्धारित है | आम आदमी खुद से यह कार्य करवा ले तो एवरेस्ट की चोटी फतह करने जैसा है | लेकिन यदि कार्य बिना समस्या के करवाना हो तो कार्यालय में घूमने वाले एजेंटों के पास जाएं, कार्य फटाफट हो जाएगा क्योंकि यहां के एजेंटों को मालूम है कि किस कर्मचारी अधिकारी से कैसे काम लेना है | दंतेवाड़ा के जिला प्रशासन के कार्यालय से 100 मीटर की दूरी पर स्थित है आरटीओ दफ्तर | यहां परिवहन कार्यालय के आसपास एजेंटों की दुकान सजी रहती है | आरटीओ विभाग से कोई भी कार्य करवाना एक जटिल समस्या साबित होता है, स्वयं से किसी कार्य को करवाने पर लोगों को दिन में तारे नजर आ जाते हैं | स्वयं से लाइसेंस बनवाने या किसी कार्य को करवाने पर बार-बार कोई खामी निकाल दी जाती है, अधिकारी जानबूझकर परेशान करने के लिए ऐसा करते हैं, जब कोई व्यक्ति जीद पर आ जाए कि उसे कार्य खुद करवाना है तो 2 दिन में होने वाले कार्य को करवाने में 2 महीने लग जाते हैं | तमाम शिकायतों के बाद भी ना तो विभाग के लोग बदले ना यहां के कार्य का तौर तरीका | लिहाजा अब लोगों ने भी सिस्टम के साथ समझौता करना शुरू कर दिया है | ऐसे में बार बार आरटीओ दफ्तर के चक्कर काटने से ज्यादा अच्छा एजेंटों के माध्यम से समझौता कर कार्य को करवाना मुनासिब समझ रहे हैं लोग | ड्राइविंग लाइसेंस के फॉर्म में कई प्रारूप होते हैं जिसे सामान्य तौर पर पूरा करना हर किसी के बस की बात नहीं, इसमें आंखों की फिटनेस से लेकर, परीक्षा देने तक से गुजरना पड़ता है ड्राइविंग परीक्षा को पास कर पाना हर किसी के लिये संभव नहीं होता जिससे एजेंटो द्वारा करवाये जाने पर आसानी से हो जाता है, ग्रामीणों के लिये अब हैवी लाइसेंस का रिन्यूअल करवाने के लिये रायपुर जाना उनके लिये 4000 से 5000 का अतिरिक्त खर्च होगा अतः इसको संज्ञान में लेते हुए आरटीओ विभाग को जिले मैं ही जो लाइसेंस रिन्यूअल की प्रक्रिया है उसको करवाने हेतु उचित कार्यवाही करनी चाहिए |