8000 किलो का छप्पन भोग- अष्टोत्तर सहस्त्र श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन भगवान गिरिराज पर्वत के समक्ष लगाया गया 8000 किलो का छप्पन भोग का प्रसाद, छत्तीसगढ़ की प्रमुख हस्तियां भी पहुंची कथा श्रवण करने

जिले के प्रभारी मंत्री, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सहित पूर्व मंत्री भी पहुंचे बाराद्वार, कथा सुनने उमड़ रही भीड़, बाराद्वार शहर वासियों ने भी कथा कार्यक्रम में दर्ज कराई अपनी शत-प्रतिशत उपस्थिति

सक्ति– शक्ति जिले के बाराद्वार शहर के जैजैपुर रोड में मटरू सेठ ब्रिक्स प्लांट परिसर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ अष्टोत्तर सहस्त्र महायज्ञ के पांचवे दिन 29 दिसंबर को कथा परिसर में ही भगवान गिरिराज के प्रतीकात्मक स्वरूप में सुंदर ढंग से साज सज्जा कर 8000 किलो का छप्पन भोग का प्रसाद लगाया गया, कथा के पांचवे दिन जहां छत्तीसगढ़ की विभिन्न हस्तियों ने पहुंचकर कथा श्रवण किया तथा परम पूज्य गुरुदेव गोस्वामी गोविंद बाबा का आशीर्वाद प्राप्त किया, जिसमें प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व मंत्री एवं जांजगीर-चांपा जिले के प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल, छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल,छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल, छत्तीसगढ़ राइस मिल एसोसिएशन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष योगेश अग्रवाल रायपुर,छत्तीसगढ़ प्रांतीय मारवाड़ी युवा मंच के प्रदेश अध्यक्ष अमर सुल्तानिया जांजगीर सहित अन्य लोग पहुंचे थे

51 वर्षों में पहली बार बाराद्वार के श्री राधा मदन मोहन मंदिर से ठाकुर जी श्री राधा रानी के साथ भव्य शोभा यात्रा के साथ कथा स्थल पर विराजमान हुए, जिसमें आचार्य बाँके बिहारी व पवन कृष्ण गोस्वामी सेवा करते हुए एवं भक्तों द्वारा नाचते गाते और राधे राधे श्याम मिला दे जैसे नारों के साथ अपने कान्हा का स्वागत किया,श्रीमद्भागवत कथा भवसागर से पार लगाने का सर्वोत्तम आधार है। इसलिए भागवत कथा जरूर सुने और कथा में सुनाए गए प्रसंगो को अपने जीवन में आत्मसात करें। इससे मन को शांति भी मिलेगी और मानव जीवन का कल्याण होगा, उक्त बाते बाराद्वार में आयोजित 1008 श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस को व्यासपीठ से भागवताचार्य गोस्वामी गोविंद बाबा ने व्यक्त की,व्यासपीठ से कथा वाचक गोस्वामी गोविंद बाबा ने अपनी मधुर वाणी से आध्यतम का ऐसा रंग बिखेर रहे हैं कि जिसे सुनकर श्रध्दालु मंत्र मुग्ध होकर आनंद ले रहे है

आचार्य श्री ने इस अवसर पर कृष्णलीला, गोवर्धन पूजा, महारास, कंस वध के साथ अनेकों प्रसंगो का सुंदरता के साथ वर्णन करते हुए बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेते ही कर्म का चयन किया। बाल अवस्था में ही नन्हे कृष्ण ने शकटासुर का वध किया, पूतना को मौत की नींद सुला दिया। तीन महीने के थे तो कान्हा ने व्योमासुर को मार गिराया, प्रभु ने बाल्यकाल में ही कालिया का वध किया और सात वर्ष की आयु में गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र देवता के अभियान को चूर-चूर कर दिया। प्रभु ने गोकुल में गोचरण किया तथा गीता का उपदेश देकर हमें कर्मयोग्य का ज्ञान सिखाया

कथा के पांचवें दिन भी जहां घंटो तक धर्म प्रेमी कथा श्रवण करने डटे रहे, तो वही श्रीमद् भागवत कथा आयोजन समिति द्वारा भी आगंतुकों का सम्मान स्वागत करते हुए कथा श्रवण की सुंदर व्यवस्था की गई है, एवं पूरे परिसर को आकर्षक ढंग से साज सज्जा की गई है, तथा कथा में बैठे हुए यजमानो के लिए सुंदर प्रसाद की व्यवस्था भी चल रही है, साथ ही पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में आचार्य बांके बिहारी गोस्वामी, पवन कृष्ण गोस्वामी सहित श्रीमद् भागवत कथा आयोजन समिति के सारे सदस्य जुटे हुए हैं, एवं कथा के पांचवे दिन कथा के दौरान बाराद्वार शहर की महिलाओं एवं युवतियों ने भी भगवान श्री कृष्ण के भजनों पर सुंदर नृत्य करते हुए लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया तथा गोस्वामी गोविंद बाबा ने भी कथा में पधारे समस्त श्रोताओं का आयोजन समिति की ओर से आभार व्यक्त किया

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