किरन्दुल- शारदीय नवरात्र महापर्व के अवसर पर गजराज कैम्प पंडाल में नवदुर्गा समिति द्वारा जगतजननी माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जा रहीं है।समिति के अध्यक्ष बालाराम साहू सचिव गोवर्धन साहू ने बताया कि इस वर्ष समिति द्वारा 18 वां दुर्गोत्सव मनाया जा रहा हैं। नवरात्र पर्व के द्वितीय दिवस द्वितीया तिथि को आज सुबह माँ नवदुर्गा के द्वितीय स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की गई। पुजारी बैकुंठ ने कहा कि सत्येंद्र प्रसाद शुक्ल ने बताया कि ब्रह्म का मतलब होता है तपस्या और चारिणी मतलब होता है आचरण करना।मान्यता के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. यही वजह है कि उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला है और देवी ने बाएं हाथ में कमंडल धारण किया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक विधि विधान से देवी के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करता है,उसकी कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हो जाती है। देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ज्योर्तिमय है। ये मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति हैं। तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा इनके अन्य नाम हैं।