बाराद्वार में बही काव्य रस की धारा,मित्रता दिवस पर कला कौशल साहित्य संगम छत्तीसगढ़ का हुआ आयोजन, जिला अध्यक्ष रमेश सिंघानिया के नेतृत्व में आयोजन में पधारे प्रदेश के विभिन्न स्थानों से साहित्यकार

नारे खूब लगाते हैं वे, दूर गरीबी करने को,माल हड़पने को सरकारी, प्लान बनाने बैठे हैं-रमेश सिंघानिया

सक्ति– कला कौशल साहित्य संगम मंच छत्तीसगढ़ के तत्वावधान में 06 अगस्त दिन- रविवार को बाराद्वार नगर के शासकीय कन्या शाला में मित्रता दिवस के अवसर पर नगर के सजलकार राष्ट्रीय कवि संगम के जिलाध्यक्ष रमेश सिंघानिया की अध्यक्षता एवं अंबिकापुर से पधारे साहित्यकार छंद मर्मज्ञ मुकुंद लाल साहू के मुख्य आतिथ्य में भव्य काव्य पाठ का आयोजन किया गया। वरिष्ठ नागरिक मोहन तोदी, युवा पत्रकार संजय शर्मा एवं शाला के प्राचार्य दाताराम काठले विशिष्ट अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में शामिल रहे। इन सभी विशिष्ट जनों के माॅं शारदे की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के पश्चात कार्यक्रम प्रारंभ हुआ

कवियों ने काव्य की अनेक विधाओं सजल, गजल, दोहे, घनाक्षरी, मुक्तक आदि के माध्यम से काव्य रस की गंगा बहा दी कुछ कवियों ने सुंदर छत्तीसगढ़ी रचनाएं पेश कीं, सर्वप्रथम अंचल के वरिष्ठगीतकार रामसाय श्रीवास “राम” के द्वारा माॅं शारदे की स्तुति की गई। उसके पश्चात अंबिकापुर से पधारे सुप्रसिद्ध दोहा रचयिता
मुकुंद लाल साहू ने “जलूॅं चरागों की तरह, है जितनी औकात।कुछ तो रौशन हो सके , यह अंधियारी रात।।” सक्ती से आयीं सुश्री सुचिता साहू ने “मैं शीशा हूॅं तुम दर्पण हो” जैजैपुर के प्रहलाद चंद्रा ने “गाॅंव हर गाॅंव कहाॅं अब तो शहर होगे। आरुग पच्छर हवा घलोक जहर होगे।।” जैजैपुर से के ही शत्रुघ्न धीवर ने “मन में ना हो वैर कपट,ना किसी से हम दुर्व्यवहार करें।” सक्ती से आए गजल के महारथी अनीस अरमान ने “तलाशी ले लो यहाॅं सिर्फ गम ही निकलेंगे। हमारे घर से तो कागज कलम ही निकलेंगे।।” सक्ती के ही नरेन्द्र वैष्णव ने “छत्तीसगढ़ के सुघ्घर धरती, सक्ती बन के उभरे हे।”

जांजगीर-खोखरा के युवा कवि अनुभव तिवारी ने “मत कर नशा जहां में हर नशा खराब है” सक्ती के गिरधारी लाल चौहान ने “बजाओ न मोहन तुम ऐसी मुरलिया।” छाल से पधारे कुमार कारनिक ने “बेटियां घर में खुशियाॅं की घूमती फुलवारी हैं।” सक्ती के ही रघुनाथ जायसवाल ने “देखो चांद सितारों को,वश में रखो नजारों को।” कार्यक्रम के अध्यक्ष सजलकार रमेश
सिंघानिया ने “आपस के मतभेदों की दीवार गिराने बैठे हैं।” कला कौशल साहित्य संगम मंच
छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष ग्राम मौहाडीह के कौशल महंत ने “हृद कुंज प्रेम संग जब घिसता है, चंदन बनता है।” किरारी के वरिष्ठ कवि रामसाय श्रीवास “राम” ने देश भक्ति से पूर्ण गीत “हे मातु तुम्हारा क़र्ज़ चुका नहीं पाऊॅंगा।
एक नहीं सौ बार जनम ले आऊॅंगा।।” जांजगीर से पधारे वरिष्ठ कवि अरुण तिवारी ने जो मंच का संचालन भी कर रहे थे ने “हिन्दू हूॅं ना मुसलमान हूॅं मैं, नहीं सिख ईसाई। भारत माॅं का बेटा हूॅं मैं, यही है एक सच्चाई।।” की प्रस्तुति दी। नगर के युवा पत्रकार संजय शर्मा ने राष्ट्र निर्माण में कवियों की भूमिका पर प्रकाश डाला। अंत में शासकीय कन्या शाला बाराद्वार के प्राचार्य दाताराम काठले ने आए हुए समस्त सम्मानित काव्य मनीषियों का आभार व्यक्त किया। आज का यह कार्यक्रम पूर्णरूपेण सफल रहा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मुकुंद साहू को स्मृति-चिंह देकर सम्मानित किया गया।

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