मधुमक्खी के डंक से जनजीवन को सुरक्षित रखने की रूपरेखा तय, स्थानीय अवकाश को देखते हुए छत्तों को हटाने बनी रणनीति

जशपुरनगर। जिला मुख्यालय सहित पत्थलगांव, कांसाबेल और कुनकुरी विकासखण्ड में मधुमक्खियों के अनगिनत छत्तों को लेकर आम लोगों के साथ ही खास लोगों में बढ़ती असुरक्षा को देखते हुए डीएफओ की पहल पर जिला प्रशासन ने महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जिसको लेकर बीते 10 अप्रैल को वर्चुअल कांफ्रेंस हुआ।
विदित हो कि 9 अप्रैल 2024 को सरहुल पूजा के दौरान धुंए से परेशान मधुमक्खियों का झुंड पूजा कर रहे बैगाओं व अन्य लोगों पर टूट पड़ा था। जिसके बाद जिले भर में मधुक्खियों के छत्ते समाचारों की सुर्खियों में हैं। मधुक्खियों के ऊंचाई पर छत्ते बनाने की वजह से ऊंचे पेड़ों और भवनों में इनका डेरा दिखता है। कई बार ये पक्षी की चोंच मारने से तेज हवा के झोंके से और छत्तों के नीचे आग लगाने, धुँआ करने से भड़क जाते हैं और हमला कर देते हैं। इन सब परिस्थितियों को देखते हुए मधुक्खियों और इंसानों के बीच के संघर्ष की भावी संभावनाओं को खत्म करने की दिशा में वनमण्डलाधिकारी जितेंद्र उपाध्याय ने पहल करते हुए विभाग प्रमुखों के साथ वर्चुअल कांफ्रेंस की।
वनमण्डलाधिकारी उपाध्याय ने बताया कि जशपुर जिले में कई विभागीय दफ्तरों और सार्वजिक स्थानों में मधुमक्खियों के बड़े-बड़े छत्ते हैं जिन्हें तकनीकी मार्गदर्शन देते हुए हटाने की प्रक्रिया शुरू किए जाने के लिए आपसी समन्वय बना है। राजस्व, पुलिस, वन विभाग, स्वास्थ्य विभाग और नगरीय क्षेत्र के अधिकारियों के बीच यह तय हुआ है कि जहाँ-जहाँ ऐसे छत्ते हैं वहां के कार्यालयीन प्रमुख स्थानीय अवकाश, स्थानीय परिस्थिति तथा एक्सपर्ट की राय के अनुरूप तिथि तय कर कार्रवाई करना ही सही प्रक्रिया है। जिस दिन छत्ता हटाना है उस दिन आसपास के लोगों को सूचना देकर अलर्ट कर दें। सभी को विशेषज्ञ के संपर्क नम्बर दे दिए गए हैं वहीं मधुमक्खियों के रहन-सहन,उनकी गतिविधियों के साथ उन्हें हटाने के लिए रौनी में दो लोगों की प्रशिक्षित टीम है जिसे वन विभाग की ओर से वर्धा में प्रशिक्षण दिलाया गया है।

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