सावन का तीसरा सोमवार आज: हर तरह का सुख मिलता है इस व्रत से

आज सावन का तीसरा सोमवार है। शुक्लपक्ष का पहला सोमवार होने के साथ ही सूर्य, चंद्रमा और बुध के एक ही नक्षत्र में होने से इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। इस शुभ संयोग में की गई शिव पूजा का पूरा फल मिलेगा। भगवान शिव ने ब्रह्माजी के पुत्र सनत्कुमार को सोमवार का महत्व बताया है। काशी और पुरी के विद्वानों का कहना है कि सावन सोमवार का व्रत सबसे पहले भगवान कृष्ण ने किया था।

भगवान शिव का ही स्वरूप है सोमवार
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य और धर्मग्रंथों के जानकार पं. प्रवीण द्विवेदी का कहना है कि भगवान शिव ने खुद सनत्कुमार को बताया कि सोमवार मेरा ही स्वरूप है। इसलिए इसे सोम कहा गया है। सोमवार सभी श्रेष्ठ व्रतों में एक है। इस दिन व्रत करने से हर तरह का सुख मिलता है। साथ ही कहा है। शिवजी कहते हैं 12 महीनों में सोमवार श्रेष्ठ है। अगर किसी भी महीने में सोमवार का व्रत नहीं कर पाए तो सावन सोमवार को व्रत जरूर करना चाहिए। इससे सालभर के सभी सोमवार के व्रत का फल मिल जाता है।

सावन सोमवार को शिवपूजा का महत्व
सिर्फ सोमवार को भी भगवान शंकर की पूजा करने से हर तरह का पुण्य मिलता है। सोमवार को उपवास करके संयम के साथ वैदिक या लौकिक मंत्रों से विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। ब्रह्मचारी, गृहस्थ, कन्या या सुहागिन स्त्री कोई भी भगवान शिव की पूजा करके मनोवांछित फल पाता है। सावन महीने के सोमवार को रुद्राभिषेक करके ब्राह्मण भोजन और वस्त्र, दक्षिणा दान करने से सुख और संपत्ति बढ़ जाती है।

सावन सोमवार को पूजा का समय
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र और काशी के डॉ. रामनारायण द्विवेदी का कहना है कि सोमवार को शिवजी की पूजा सुबह और शाम यानी दोनों समय करनी चाहिए। लेकिन सावन सोमवार के व्रत में पूजा का सबसे अच्छा समय शाम को यानी प्रदोष काल है। भगवान शिव ने ही ये समय बताया है। इसका जिक्र स्कन्दपुराण में हुआ है।

प्रदोष काल में शिव पूजा का पूरा फल
शाम को सूर्यास्त के बाद शिवजी की पूजा करने का विशेष महत्व है। क्योंकि सूरज डूबते ही प्रदोष काल शुरू हो जाता है और रात शुरू होने तक ये समय रहता है। इस तरह दिन और रात के बीच का समय जो तकरीबन 2 घंटे 24 मिनट का माना गया है। शिव महापुराण में बताया गया है कि इस वक्त शिवजी प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं। इसलिए प्रदोष काल में विशेष पूजा से भगवान जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं।

सावन सोमवार की विशेष पूजा
शिव मंदिर में जाकर दीपक और धूपबत्ती लगाएं। घर पर भी पूजा कर सकते हैं। नदी या कुएं से शुद्ध जल लाएं। बोरवेल का पानी भी ले सकते हैं। उसमें गंगाजल और कच्चा दूध (बिना गर्म किया हुआ) मिला लें। फिर शिवजी पर चढ़ा दें। जल चढ़ाते वक्त ‌ऊं नम: शिवाय मंत्र बोलें। इसके बाद भगवान को चंदन लगाएं। फिर बिल्वपत्र, धतूरा और मदार के फूल चढ़ाएं। इनके साथ ही जो भी पूजा सामग्री उपलब्ध हो, सब भगवान पर चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। फिर भगवान को मिठाई का प्रसाद चढ़ाकर बांट दें।

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