14 सितंबर को हिंदी दिवस के मौके पर सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोग दे रहे हिंदी दिवस की शुभकामनाएं

हिंदी दिवस पर हम सभी को हिंदी के सर्वाधिक उपयोग का लेना चाहिए संकल्प- उषा केडिया साहित्यकार एवं संपादिका अग्र ज्योति पत्रिका मैसूर कर्नाटक-

सक्ती-आज हिंदुस्तान में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के मौके पर लोग एक दूसरे को हिंदी दिवस की सोशल मीडिया पर तथा सोशल मीडिया के विभिन्न सशक्त माध्यमों से शुभकामनाएं दे रहे हैं, किंतु आज भी हिंदी के सर्वाधिक शासकीय कार्यों एवं अन्य संस्थाओं में उपयोग पर और अधिक बढ़ावा देने की आवश्यकता महसूस की जा रही है, आज हिंदी दिवस का यह पुनीत दिवस हम सभी के लिए एक गौरवशाली दिन है, तथा इसी अवसर पर देश के कर्नाटक राज्य के मैसूर शहर की प्रतिष्ठित साहित्यकार, अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन के मासिक अग्र ज्योति पत्रिका की वरिष्ठ संपादक एवं देश भर में स्कूली बच्चों को वर्चुअल माध्यम से कोविड-19 काल में भी जिन्होंने विभिन्न गतिविधियों में भागीदारी करवा कर एक नई पहल की, ऐसी क्रिएटिविटी कैफे की डायरेक्टर उषा केडिया ने अपनी भावनाएं पंक्तियों के माध्यम से तथा विचारों के माध्यम से प्रस्तुत की है उषा केडिया मैसूर कर्नाटक कहती हैं कि 14 सितंबर हिंदी दिवस का यह अवसर हम सभी के लिए एक गौरवशाली है, हमें अधिक से अधिक हिंदी का उपयोग करना चाहिए तथा लोगों को हिंदी के उपयोग के प्रति बढ़ावा भी देना चाहिए,एवम आज 14 सितम्बर हिंदी दिवस की आप सभी को शुभकामनाये,हिंदी है तो हम है,हिंदी हमारी मातृ-राष्ट्र भाषा है, उषा केडिया कहती है कि क्या आप जानते है कि अमेरिका में साढ़े छः लाख लोग हिंदी बोलते और समझते है, विदेशो के 91 विश्वविद्यालयों में हिंदी की विशेष पीठ है,यूनेस्को की सात प्रमुख भाषाओ में हिंदी शामिल है,अंग्रेजी के मुकाबले हिंदी अखबारो की बिक्री दो गुना है,विदेशो के 150 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढाई जाती है, देश के 75 फीसदी लोग हिंदी बोल और समझ सकते है, भारत के 41 फीसदी लोगो की मातृ भाषा हिंदी है,भारत में हिंदी भाषी राज्यो की आबादी 46 करोड़ है, पूरी दुनिया में 80 करोड़ लोग हिंदी बोल और समझ सकते है,तो फिर क्यों न हम भी आज 14 सितम्बर को इस हिंदी दिवस के अवसर पर यह संकल्प करे की अपने दैनिक कार्यो-बोलचाल में हिंदी के ही सर्वाधिक प्रयोग को बढ़ावा देंगे,केन्द्र एवम् राज्य शासन भी अपने शासकीय विभागों में आम नागरिको से हिंदी में ही कामकाज करने पहल कर रहा है अतः हम भी अपने जीवन में हिंदी को पूर्णतः अपनाएं

हिंद महासागर के हृदय से निकली

बनी वह राष्ट्रभाषा
शंखनाद सी ध्वनि है
गूँजती है सम्पूर्ण राष्ट्र में

एक माँ की तरह है हिंदी
जिसमें समाहित हो जाती
हर भाषाएं
अभिव्यक्ति को वह चित्रित कर
सम्मुख लाती है कोरे कागज पर

म संग आ और चंद्र बिंदु मिल
बन जाती है माँ
जिसमें समा जाती है
पूरी सृष्टि

दौहा ,चौपाई की साड़ी पहन कर
वो आती है
रस, छंद अलंकार के गहनो से
ख़ूब सज जाती है
दुल्हन के लिबास में
चौदह सितम्बर को आती है
हर जगह अपनी छँटा
वो दिखलाती।

उषा केडिया मैसूर कर्नाटक ने यह पंक्तियां प्रस्तुत की हैं

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