बालोद– छत्तीसगढ़ सरकार ने मोहल्ला क्लिनिक की तर्ज कर क्षेत्रीय परिवहन सुविधा केंद्र स्थापित किया हैं। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां आसानी से लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए क्षेत्रीय परिवहन सुविधा केन्द्र शुरू किए गए हैं। जिले में 12 परिवहन सुविधा केंद्र खोले जाने की योजना है। लेकिन अभी सिर्फ 8 केंद्र ही शुरू हो पाए हैं। सरकार की मंशा है कि परिवहन विभाग के द्वारा शुरू किए गए परिवहन सुविधा केन्द्रों से लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने या बाकी परिवहन सम्बंधित काम के लिए अब आरटीओ दफ्तर के चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी। इन केंद्रों के खुलने से जनता को न केवल एजेंटो से छुटकारा मिलेगा, बल्कि घर के नजदीक ही परिवहन से जुड़े तमाम कार्य भी पूरे हो जाए। बावजूद इसके आज भी आरटीओ में दलाल हावी है। बिना दलाल और उनके हस्तक्षेप के कोई काम आज भी यहां संभव नही। शासन की मंशा पर पानी फेरते हुए ड्राइविंग लाइसेंस से नाम ट्रांसफर या हर छोटे-मोटे काम के लिए मोटी कमीशन का खेल जारी हैं। लर्निंग लाइसेंस का का जहां 350 रुपये और परमानेंट लाइसेंस का चालान के साथ 1 हजार 450 रुपये लगता हैं। तो वही एजेंट इसे दुगुना और तीन गुना तक कर देते हैं। क्योंकि अगर कोई लाइसेंस बनाने सीधे आरटीओ कार्यालय जाता है, तो प्रक्रिया को पेचीदा कर उसे बार बार विभाग के चक्कर लगाए जाते है। और यही काम एजेंट चंद दिनों में कर देते है। जिसमे विभाग में बैठे अधिकारी कर्मचारीयों की पूरी पूरी संलिप्तता हैं।
आरटीओ दफ्तर में भ्रष्टाचार और दलालों का वायरस
एजेंट की सबसे ज्यादा कमाई और कमीशन वाहन के पंजीयन कराने और वाहन बेचने के बाद नए मालिक का पंजीयन कराने में होती है। यह काम आसान होने के बाद भी आरटीओ के एजेंट, विभाग के कुछ कर्मचारी और अधिकारी के साथ मिलकर इतना पेचीदा कर देते हैं कि यदि वाहन चालक चाहे भी तो खुद यह काम नहीं करवा सकता। तय शुल्क के डेढ़ से दो गुना पैसे देने लोग मजबूर हैं। और कोई मजबूर मिल गया तो फिर शुल्क से तीन गुना भी अधिक राशि ली जाती हैं। पाकुरभाट स्तिथ आरटीओ कार्यालय के सामने और शहर में कई एजेंटों की दुकान हैं। जो कार्यालय के अंदर और कार्यालय के ठीक सामने दिनभर जमघट लगाए होते हैं। इधर विभाग के जिम्मेदार भी इन एजेंटों को रोकने का दुस्साहस नहीं करते। इसकी वजह उन्हें मिलने वाला मोटा कमीशन है। ऐसे में ये कहना गलत नही होगा कि आरटीओ दफ्तर में भ्रष्टाचार और दलालों का वायरस घुस गया है।
दो लाख रुपए से ज्यादा की दलाली हर दिन
आरटीओ दफ्तर ऐसा है जहां घुसते ही पैसे के लेन देन का मीटर घूमने लगता है। जितना जल्दी और बड़ा काम उतना ही फास्ट पैसा मीटर दौड़ेगा। आरटीओ ऑफिस में हर दिन सैकड़ो लोग अलग-अलग कामों के लिए जाते हैं। दलाल सरकारी फीस से दो से तीन गुना तक वसूलते हैं। अब सवाल यह है कि सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर क्या यह मुमकिन है…? आरटीओ ऑफिस में माना जाए कि हर दिन लाइसेंस, फिटनेस, आरसी के करीब 200 लोगों के काम होते हैं और एक व्यक्ति से एक हजार रुपए से अधिक की अवैध वसूली होती है। तो इसके मायने है कि हर दिन दो लाख रुपए सीधे दलालों और सहयोगी कर्मचारियों की जेब में जाते हैं। बाहरी जिलों के वाहनों का भी फिटनेस कार्य कर जमकर वसूली का खेल चलता हैं।
आरटीओ दफ्तर में कैसे होता है करप्शन..?
पड़ताल में हमें बालोद जिले का एक व्यक्ति भी मिला। यह दलालों के संपर्क में था। वह ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आया था। हमने जब उससे बातचीत के लिए कहा तो उसने पहले तो इनकार कर दिया। फिर फोटो और नाम नहीं छापने की शर्त पर कई राज खोले। उसने बताया कि वह कई दलालों से मिला लेकिन ज्यादातर ने दो से ढाई हजार रुपए की फीस बताई। सभी ने कहा कि सरकारी नियमों में आसानी से नहीं बन पाएगा।
“12 परिवहन सुविधा केंद्र स्वीकृत है, जिसमें 8 खोले गए है, बाकियों में कुछ कुछ कमी थी, जो क्राइटेरिया पूरा नही कर पाए, वे अभी वेटिंग में है, प्रोसेस में है, हर काम पारदर्शिता से होता है।”
प्रकाश रावटे, जिला परिवहन अधिकारी, बालोद