रायपुर। विश्वविद्यालय को गौरव दिलाने के लिए उत्साह के साथ और कड़ी मेहनत करें ताकि यह देश के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में शामिल हो सके। राज्यपाल रमेन डेका ने आज पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के 61वें स्थापना दिवस समारोह में उक्त बातें कहीं।
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित समारोह में डेका बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ एक अदभुत और सुंदर राज्य है। यहां की 70 प्रतिशत आबादी शिक्षित है साथ ही 44 प्रतिशत भूमि वनाच्छादित है, यहां की संस्कृति रामायण काल से भी पुरानी है। राज्य की ये तीनों विशेषताएं उन्हें प्रभावित करती हैं। उन्होंने असम और छत्तीसगढ़ की प्राचीन विरासत और संस्कृति में समानता बताई।
राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि सफलता का कोई शार्टकट रास्ता नहीं है। अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करनी होगी। नेल्सन मंडेला 26 वर्ष जेल में बिताने के बाद द. अफ्रीका के राष्ट्रपति बने थे इसलिए यह दृष्टिकोण रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए कि जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है। उन्होंने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हमने भारत में जन्म लिया है। भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था अत्यंत समृद्ध थी। लार्ड मेकाले द्वारा अंग्रेजी शासन के दबाव में नई शिक्षा व्यवस्था लाई गई। राज्यपाल ने कहा कि मातृ भाषा में शिक्षा ग्रहण करने से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होता है। इसलिए भाषा को लेकर कोई हीन भावना न रखें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में रिसर्च और नवाचार को लेकर उनकी ऊंची अपेक्षाएं है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि शिक्षा संस्थानों में महिला, शिक्षकों एवं छात्राओं को अनुकूल माहौल मिलना चाहिए। कुलपति समय-समय पर अपने संस्थानों के शिक्षकों की बैठक लेकर उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी लें। विद्यार्थियों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को जाने। श्री डेका ने कहा कि वे हर 3 माह में विश्वविद्यालयों के कार्यों की समीक्षा करेंगे। उन्होंने रायपुर को एजुकेशन हब बनाने की दिशा मे कार्य करने कहा।