महिलाओं ने रखा संतान की लंबी उम्र के लिए रखा कमरछठ व्रत, दोपहर के बाद की जाएगी पूजा

भाद्र माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को संतान प्राप्ति व उनके दीर्घायु की कामना के लिए माताएं कमरछठ व्रत को रखती हैं. इस दिन व्रत के दौरान महिलाएं भैंस दूध की चाय पीती हैं. दोपहर के बाद घर के आंगन में मंदिर या गांव के चौपाल  में तालाब (सगरी) बनाकर जल भरकर पूजा-अर्चना करती हैं. मान्यता है कि इस दिन श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था. इसी के कारण इस दिन बलराम जी की पूजा करने का विधान है.

पूरे छत्तीसगढ़ में षष्ठी (कमरछठ) का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु की कामना करते हुए व्रत रखती है. व्रत को लेकर महिलाओं में उत्साह देखा जा रहा है. एक दिन पहले शुक्रवार को महिलाओं ने हाथों में मेहंदी रचाई. इस दिन व्रती महिलाएं पसहर चावल खाती हैं. यह चावल बिना हल से जुताई किए उत्पादन किया जाता है. बाजार में जमकर पसहर चावल की बिक्री हुई है. इस साल हल छठ व्रत 24 अगस्त को रखा जाएगा. पंचांग अनुसार हल षष्ठी व्रत का प्रारंभ 24 अगस्त की सुबह 7 बजकर 51 मिनट पर होगा और इसकी समाप्ति 25 अगस्त की सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर होगी.

इस व्रत में महिलाएं 6 प्रकार की चीजों का उपयोग करते हैं जिसमें छह प्रकार की भाजी, छह प्रकार के खिलौने, छह प्रकार के अन्न वाला प्रसाद एवं छह कहानी की कथा का संयोग होता है. पूजन के बाद महिलाएं भोजन के लिए बैठती है, तो पसहर चावल का भात, छह प्रकार की भाजी, जिसमें मुनगा, कद्दू , सेमी, तरोई, करेला शामिल होता है. भैंस दूध, दही व घी, सेंधा नमक, महुआ के पत्ते का दोना आदि का उपयोग करती हैं.

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