प्‍याज का थोक भाव 29 से 30 रुपये प्रति किलो

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में प्‍याज की कीमतों ने आम लोगों को रुलाना शुरू कर दिया है। चुनावी सीजन के बीच प्‍याज की बढ़ती कीमत बड़ा सियासी मुद्दा बन सकता है। बता दें कि छत्‍तीसगढ़ में प्‍याज की खेती नहीं होती है। यहां प्‍लाज की सप्‍लाई मुख्‍य रुप से महाराष्‍ट्र से होती है। कई बार आवक की कमी या महाराष्‍ट्र में मौसम खराब होने का भी असर प्‍याज की कीमतों पर पड़ता है। लेकिन अभी न तो आवक में कोई कमी आई है और न ही महाराष्‍ट्र में मौसम खराब हुआ है, इसके बावजूद प्‍याज की कीमत लगातार बढ़ रही है। भनपुरी स्थित रायपुर की सबसे बड़ी आलू-प्‍याज मंडी में इस महीने की शुरुआत में प्‍याज का थोक भाव 25 से 27 रुपये प्रति किलो था। वहीं, चिल्‍हर बाजार में प्‍याज की कीमत 28 से 30 रुपये प्रति किलो तक थी।

सप्‍ताहभर पहले तक प्‍याज का थोक भाव 29 से 30 रुपये प्रति किलो था। आज (27 अक्‍टूबर) को भनपुरी थोक मार्केट में प्‍याज की कीमत 47 से 40 रुपये प्रति किलो खुला है। ऐसे में चिल्‍हर बाजार में प्‍याज की कीमत 45 से 50 रुपये प्रति किलो तक रहने का अनुमान है। कारोबारी सूत्रों के अनुसार प्‍याज की कीमत अभी और बढ़ेगा, क्‍योंकि प्‍याज की कीमतें राष्‍ट्रीय स्‍तर पर बढ़ रही है। थोक कारोबारियों के अनुसार महाराष्‍ट्र की लासलगांव से पूरे देश की प्‍याज की कीमत नियंत्रित की जाती है। लासलगांव एशिया की सबसे बड़ी प्‍याज मंडी है। बताया जा रहा है कि लासलागांव थोड़ बाजार में पखवाड़ेभर में प्याज की कीमत 24 रुपये से बढ़कर सीधे 38 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है।

इसी तरह महाराष्‍ट्र की दूसरी प्‍याज मंडियों में भाव 45 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। प्‍याज कारोबारियों के अनुसार इस सीजन में लगभग हर साल प्‍याज की कीमतें बढ़ती हैं। प्‍याज की कीमतों में बढ़ोतरी अक्‍टूबर से शुरू होती है जो दिसंबर- जनवरी तक जारी रहती है। दिसंबर में प्‍याज की नई फसल की आवक शुरू होने के साथ कीमतों में कमी का दौर शुरू होता है। इस बीच केंद्र सरकार ने प्‍याज की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए इस पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्‍क लगा दिया है।

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