क्या होता है ‘छठ का खरना’, जानिए इसका महत्व और पूजा विधि

छठ पूजा का आरम्भ हो चूका है. वर्ष में 4 दिन छठी मईया को समर्पित है. पहले दिन नहाय खाय की प्रथा निभाई गई तथा आज 29 अक्टूबर 2022 को दूसरे दिन खरना की परंपरा का निर्वहन किया जाएगा. छठ का पर्व सूर्य देव की आराधना के लिए बहुत अहम माना जाता है. छठ को सूर्य षष्ठी भी बोलते हैं. इसमें व्रती संतान की सुख-समृद्धि, लंबी आयु के लिए 36 घंटे अन्न, जल का त्याग करती है. खरना का प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात् ये व्रत आरम्भ हो जाता है. आइए जानते हैं खरना का मुहूर्त, महत्व और विधि…

छठ पूजा 2022 खरना मुहूर्त:-
कार्तिक माह की पंचमी तिथि का दिन खरना कहलाता है. इसे लोहंडा के नाम से भी जाना जाता है. खरना के दिन महिलाएं शाम को मीठा भोजन कर व्रत आरम्भ करती हैं.
सूर्योदय – प्रात: 06 बजकर 31 मिनट पर
सूर्योस्त – शाम 05 बजकर 38 मिनट पर

खरना महत्व:-
खरना का मतलब है खरा यानी कि शुद्धिकरण. नहाए खाए में जहां बाहरी यानी कि तन की स्वच्छता करते हैं तो वहीं खरना में आंतरिक यानी कि मन की स्वच्छता पर जोर दिया जाता है. खरना के दिन महिलाएं शाम के वक़्त चूल्हे पर गुड़ी की खीर तथा साठी के चावल का का भोग बनाती हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, खरना पूजा के साथ ही छठी मइया घर में प्रवेश कर जाती हैं तथा महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास आरम्भ  हो जाता है.

खरना विधि:-
खरना पूजन के दिन छठ व्रती सूर्योदय से पूर्व स्नान कर सबसे पहले सूर्य देवता को अर्घ्य दें. शाम के वक़्त मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी लगाकर साठी के चावल, गुड़ तथा दूध की खीर बनाई जाती है. इस दिन एक समय ही भोजन किया जाता है. प्रसाद सबसे पहले छठी मईया को अर्पण करें तथा फिर व्रती यही भोजन खाएं एवं फिर घर के बाकी सदस्य यही खाना खाएं. इसके पश्चात् से अन्न, जल का 36 घंटे के लिए त्याग कर निर्जला व्रत किया जाता है. इस उपवास का समापन छठ पूजा के चौथे दिन भोर अर्घ्य के साथ समाप्त होगा.

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