क्या होता है सूतक

चंद्र ग्रहण को महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाओं में गिना जाता है। इस वर्ष का अंतिम चंद्र ग्रहण आज यानि 8 नवम्बर (Chandra Grahan 2022 Date) के दिन लगने जा रहा है। बता दें कि चंद्र ग्रहण से 9 से 10 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। शास्त्रों में सूतक काल के संदर्भ में कई नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूर्य और चंद्र ग्रहण के सूतक काल की अवधि अलग-अलग होती है? साथ इस अवधि में क्यों कई चीजों पर पाबंधी लग जाती है? अगर नहीं! तो आइए जानते हैं।

क्या है सूतक काल?

हर वर्ष सूर्य ग्रहण व चंद्र ग्रहण लगते हैं। ग्रहण लगने से कुछ समय पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। बता दें कि सूतक का अर्थ यह निकला जाता है कि ‘वह समय जब पृथ्वी पर प्रकृति संवेदनशील स्तिथि में होती है।’ इस अवधि में अनहोनी की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। यही कारण है कि शास्त्रों में सूतक काल की अवधि के लिए कुछ नियम बताए गए हैं। जिनका पालन करना व्यक्ति के लिए अनिवार्य होता है। जानकारी के लिए यह भी बता दें कि सूतक शुरू होने की अवधि ग्रहण पर भी निर्भर करती है। अगर सूर्य ग्रहण लग रहा है तो सूतक 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है और यदि चंद्र ग्रहण लगने वाला है तो सूतक काल 9 से 10 घंटे पहले शुरू हो जाता है।

  • सूतक के समय पूजा-पाठ पर पाबंधी लग जाती है। शास्त्रों में यहां तक कहा गया है कि सूतक के दौरान भगवान की प्रतिमा को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। इसे दोष की श्रेणी में रखा गया है।
  • इस दौरान गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि छोटी सी गलती से भी अजन्मे बच्चे को ग्रहण के प्रभाव से हानी हो सकती है।

    सूतक के दौरान भोजन पकाने और ग्रहण करने पर पाबंदी होती है। इस दौरान भोजन पर ग्रहण का अशुभ प्रभाव पड़ता है। लेकिन यह नियम बच्चों, वृद्ध और गर्भवती महिलाओं पर लागु नहीं होती है।

  • सूतक काल के दौरान तुलसी के पौधे को छूने से भी बचना चाहिए। साथ ही ग्रहण को भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए।
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