आरटीओ विभाग के संरक्षण में सड़कों पर बेधड़क दौड़ रही बिना परमिट और अनफिट बस, ट्रक और स्कूल वाहने, कंडम वाहनों पर भी कार्यवाही नही, सुरक्षा मापदंडों का नही हो रहा पालन, अनफिट वाहनों पर जुर्माने और परमिट निरस्त के बजाय अधिकारी कर रहे अपनी जेब गर्म

बालोद– जिले के परिवहन विभाग के संरक्षण में सड़कों पर बिना परमिट और अनफिट बस, ट्रक और स्कूल वाहने बेधड़क दौड़ रही हैं। कही भी सुरक्षा मापदंडों का पालन नही किया जा रहा। नियमो से परे वाहन सड़को पर दौड़ रही हैं। बिना परमिट व अनफिट वाहनों पर जुर्माने और परमिट निरस्त के बजाय अधिकारी अपनी जेब गर्म करने में लगे हुए हैं। अनफिट व कंडम वाहनों से बेधड़क सड़को पर दौड़ने से आये दिन हादसे भी हो रहे हैं। जिसमें चालक-परिचालक एवं लोगो मौत की भी खबर सामने आती हैं। बावजूद जिम्मेदार विभाग कार्यवाही के बजाय खानापूर्ति कर रहा हैं।

आरटीओ अधिकारी कार्यवाही के बजाय उदासीन होकर बने मुकदर्शक-
क्षेत्र में चलने वाली यात्री बसें नियम कायदे को ताक में रखकर संचालित हो रही है। परमिट रूट की बसें बारात और अन्य स्थानो पर भेजकर बस संचालक उनके स्थान पर अनफिट एवं खटारा बसे धड़ल्ले से सड़कों पर दौडा रहे है। जिसकी वजह से हादसे भी हो रहे हैं। जिन पर आरटीओ अधिकारी कार्यवाही के बजाय उदासीन होकर मुकदर्शक बने हुए है। शायद विभाग को किसी बड़े हादसे का इन्तेज़ार हैं। वैसे भी विभाग तब तक सर्तक नहीं होता, जब तक की जिले में एवं प्रदेश में कोई बड़ी दुर्घटना नहीं घट जाए। हादसा होने के बाद चंद दिन विभाग को नियम कायदो का पालन कराना जरूर याद रहता है। जिन्हें कुछ ही दिन बाद पुरानी यादों की तरह भुला दिया जाता है। इतने वर्षो में जमीनी स्तर पर लागू उन नियमो की बात करें तो बसों में नियमानुसार आपातकालीन खिड़की, दो दरवाजे, फिटनेस सर्टिफिकेट, रूट एवं समय सारणी, किराया सुची, शिकायत पेटी, फर्स्ट एड बॉक्स, इमजेंसी नंबर भी होना चाहिए। लेकिन जिले से आने-जाने वाली लगभग 200 से अधिक बसों में यह नियम ताक पर रखे हुए है।

नए बस स्टैंड में खड़ी रहती है कंडम बसें-
जिला मुख्यालय बालोद स्तिथ नए बस स्टैंड में भी कई कंडम बसे खड़ी रहती हैं। जरूरत पड़ने पर संचालक द्वारा उसे सड़को पर दौड़ाया जाता है। आपको बता दे कि जिले की सड़कों पर दौड़ने वाली अधिकांश बसे बिना परमिट और अनफिट है। बस संचालक यात्रियों के जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे है। बसों में यात्रियों से अनाप शनाप किराया, यात्रियों से बदसुलकी की खबरे तो अब आम हो चली है। जिस पर विभाग कोई कार्यवाही नही करता। कार्यवाही करें भी तो कैसे, बस संचालकों पर आरटीओ के अधिकारी मेहरबान जो है। बताया यह भी जाता है कि बस संचालकों से आरटीओ विभाग का महीना फिक्स हैं। जिसकी वजह से विभाग कार्यवाही के लिए गुरेज भी करता हैं।

स्कूल वाहन बने बच्चों के लिए जान का खतरा-
जिले के ज्यादातर स्कूलों में खासतौर पर जो ब्लॉक मुख्यालय और ग्रामीण अंचलों में है, वहां अवैध रूप से बिना परमिट वैन, टाटा मैजिक, टेम्पो ट्रैक्स जैसी वाहने दौड़ाई जा रही हैं। बिना फिटनेस कराए दौड़ रहे स्कूल वाहनों में बच्चों के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है। प्राइवेट स्कूलों से संबद्ध वाहनों का परिवहन विभाग से परमिट लेना जरूरी है। लेकिन यहां तो ज्यादातर स्कूलों में बिना परमिट ही वाहने दौड़ाई जा रही हैं। प्रत्येक वर्ष इन वाहनों का फिटनेस होना है। लेकिन कई वाहन तो लंबे समय तक फिटनेस प्रमाण पत्र लिए बगैर ही दौड़ रहे हैं। बिना फिटनेस दौड़ रही स्कूल वाहनों से कभी भी हादसा हो सकता है। दरअसल, वाहनों की हर साल फिटनेस जांच इसलिए कराई जाती है ताकि उनमें मिलने वाली खामियों को दूर किया जा सके।

संचालकों की मनमर्जी बनती हैं यात्रियों के लिए मुसीबत-
कुछ बसों के कंडक्टर संचालकों द्वारा मनमर्जी से रोज-रोज बदल दिए जाते है। जिससें आए दिन कंडक्टर एवं यात्रियों के बीच कहासुनी होना आम बात है। महिला व विकलांग सीट के आरक्षण का पालन भी इन बसों में नहीं हो रहा है। भेड़-बकरी की तरह वाहनों में सवारी भरने के पश्चात बस स्टाप द्वारा उनके साथ र्दुव्यवहार किया जाता है।

इन नियमों की भी उड़ रही धज्जियां-
बस संचालक निर्धारित स्थानों के बजाय पूरे रास्ते मनमर्जी से सवारी उतारते-चढ़ाते हैं। जिससे जाम की स्थिति बनी रहती है। ग्राम झलमला से लेकर जिला मुख्यालय तक ऐसे नज़ारे रोज देखने मिलते हैं। बस चालक बस स्टेैंड पर पहुंचने के लिए अंधाधुंध गति से बसे दौडाते है। अलग अलग रूटों में हर मिनट 20 मिनट के अंतराल में बस होने की वजह से बस चालको के बीच भी कहा सुनी होती है।

परमिट कहा का और कहा दौडती है बसें-
कई यात्री बसों एवं अन्य यात्री वाहनों के परमिट ग्रामीण क्षेत्रों के होते है। लेकिन ये वाहन हाईवे पर दौडते नजर आते है। इसके अलावा कई वाहन 15 साल पुराने अनफिट की श्रेणी में होने के बाद दौडते देखे जा सकते है। कई यात्री वाहन बिना फिटनेस और वैधता के चल रहे है। परमिट किसी गाड़ी का और परिचालन किसी अन्य गाडी का कर रहे है।

ओव्हरलोड और अनफिट ट्रके दौड़ रही बेझिझक-
नियम कायदों को ताक पर रख ट्रके भी सड़को पर दौड़ रही हैं। कई ट्रके अनफिट, बिना परमिट दौड़ रही हैं। इन दिनों धान व चावल के परिवहन में भी लगे ट्रके ओव्हरलोड दौड़ रही है। जिसपर किसी भी प्रकार से कोई कार्यवाही विभाग नही करता। सूत्र यह भी बताते है कि कुछ ट्रकों के तो इंसयूरेन्स तक खत्म हो जाते है, और ट्रक मालिको द्वारा उसे भी सड़को पर दौड़ाया जाता हैं। कंडम ट्रकों को भी ओव्हरलोड भर सरपट सड़को पर दौड़ाया जा रहा है।

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