उषा केडिया के नेतृत्व में साहित्य मधुशाला ( मैसूर)का प्रथम वार्षिकोत्सव वर्चुअल सम्पन्न, देश- विदेश से कवि हुए शामिल

सक्ती-साहित्य मधुशाला मैसूर कर्नाटक का प्रथम वार्षिकोत्सव वर्चुअल रूप से संस्थापक  उषा केडिया मैसूर के मार्गदर्शन में 19 दिसम्बर को मनाया गया जिसमें देश विदेश से कवि हुए शामिल,साहित्य मधुशाला के प्रथम वार्षिक उत्सव पर बैंगलुरु से शुभ-लाभ समाचार पत्र के स्थानीय सम्पादक मुख्य अतिथि राजेंद्र शेखर “व्यास” ने दीप प्रज्ज्वलित कर साहित्य मधुशाला के वार्षिक उत्सव की संस्थापिका उषा केडिया( मैसूर) को अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित की साथ ही अरफ़ान- तूफ़ान के आने पर अपनी रचना बहुत खोफनाक तेज़ झोंकों कविता के माध्यम से बहुत सजीव चित्रण किया, आमंत्रित कविगण नंदलाल सारस्वत,“स्वदेशी”(बैंगलुरु)अपनी पुस्तक देशभक्षी इल्लिया में से पूंजीवाद पर तीखा व्यंग करती कविता अक़्लमंदो कोई रास्ता बताओ, स्कूल को पंच सितारा बना दिया, कहाँ मिलेगा बच्चों का बस्ता बताओ को सुनाया। लखनऊ से जुड़े कहानीकार लेखक श्री राजेश “बादल” जी अपने प्रमुख शेर सबके वादे झूठे निकले सबने यही कहा था,जब भी तुम शहर आना मेरे घर आ जाना द्वारा आज की सच्चाई को बताया। महाराष्ट्र वर्घा से जुड़े अनिकेत तापडिया ने देश भक्ति के मुक्तक के साथ राम भक्ति की कविता सुना यथार्थ चित्रण किया। छत्तीसगढ़ चाम्पा से जुड़े मुकेश
सिंघानिया ने माँ के लिए एक कविता इस जहाँ में मुहब्बतबची है कहाँ,कोई पूछे तो बस याद आती है माँ को सुना मंच को भाव विभोर कर दिया,भागवत गीता को तीन भाषाओं में लिखने वाले लेखक एवं कवि जय प्रकाश जी (काठमांडू नेपाल) बुढ़ापे से पहले आए बुढ़ापे पर अपनी नज़्म

शाम के साथ- साथ आ गई शहर कैसे कोई बताओ का सुंदर वर्णन किया,अँजूलीभर गीत काव्य ग्रंथ के रचयिता वसंत जमशेदपूरी जी ने महाराज अग्रसेन जी को नमन करते हुए शृंगार रस की कविता शांत सरोवर में पूनम की ध्वल चाँदनी जैसी तुम पढ़ मंच को शृंगारमय कर दिया,छत्तीसगढ़ रायपुर से किशोर धनावत ने जीवनपथ पर चलने के लिए~ ज़िंदगी की सड़क पर संभल कर चलना को बताया,अंत में साहित्य मधुशाला की संस्थापक उषा ने अपनी रचना ग़म पर थोड़ा पर्दा डालिए मुस्कुराने की आदत डालिए सुना सबको जीवन में कुछ नया करने की सिख दी।
अंत में छत्तीसगढ़ कोरबा से उमा बंसल ने सभी कवियों का और कार्यक्रम में जुड़े सभी लोगों का बहुत सुंदर शब्दों में धन्यवाद ज्ञापन किया,राजकुमार मित्तल ( कोलकाता), प्रदीप सर्राफ़( कोलकाता),ओमप्रकाश (जयपुर), गणेश भरतिया ( रानिगंज) पी. डी. अग्रवाल (दिल्ली),किरण अय्यर( केरल)डॉ पारस( पंजाब)जतेंद्र नेगी( उत्तराखंड) संगीत चौधरी जी (कोलकाता) सुलोचना धनावत (रायपुर छत्तीसगढ़)संदीप अग्रवाल( डिब्रुगढ़,असम)डॉ चैत्रा( मैसूर) वीणा बंका( गोरखपुर) एवं अन्य लोगों ने कार्यक्रम से जुड़कर अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित की जिसके लिए उषा केडिया( मैसूर) ने उनका आभार व्यक्त किया।

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