छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। किसान का सामर्थ्य, किसान का परिश्रम, मिट्टी से भी सोना निकालने की ताक़त रखता है। इसलिए हमारी सरकार पूरे देश के किसान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। मोदीजी के शासनकाल में क़रीब पचीस करोड़ लोग ग़रीबी रेखा से बाहर निकल आयें है। यह मैं नहीं नीति आयोग कह रहा है।
एक बार और केंद्र में सरकार बनने पर हम एक भी व्यक्ति को ग़रीबी रेखा से नीचे नहीं रहने देंगे। इस समय फर्टिलाइजर की क़ीमतें दुनिया में तो काफ़ी ऊँची हैं मगर इसका असर हमारे मोदीजी ने किसानों पर नहीं पड़ने दिया। यूरिया की जिस बोरी के लिए आप 300 रुपए से भी कम देते हैं उसी बोरी के लिए अमेरिका के किसानों को 3000 रुपए से ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं।
अब हमारी सरकार ने मोटे अनाजों को नई पहचान दी है। प्रधानमंत्री मोदीजी भी मोटा अनाज खाते हैं, मैं भी इसका उपयोग करता हूँ। पिछले साल जब भारत में G20 समिट हुआ तो दुनिया के बड़े बड़े नेताओं ने भी मोटे अनाज से बना भोजन किया। साल 2014 में कृषि बजट केवल 25 हजार करोड़ रूपये था जो बढ़कर 1 लाख 25 हजार करोड़ हो गया है। इसी तरह 10 सालों में किसानों के लिए बैंक से आसान लोन में 3 गुना वृद्धि दी गई। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अब तक किसानों ने 30 हज़ार करोड़ रुपए प्रीमियम भरा। इसके बदले उन्हें डेढ़ लाख करोड़ रुपए का क्लेम मिला है।