बलौदा बाजार। आगामी खरीब सीजन में धान बेचने के लिए शासन ने किसानों का एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीयन अनिवार्य किया है परंतु किसानों की सबसे बड़ी समस्या है कि इस पोर्टल में पंजीयन बार बार कराने के बाद भी दूसरे या तीसरे दिन रिजेक्ट का मैसेज आ रहा है तथा समिति से जानकारी लेने पर पंजीयन रिजेक्ट होने की जानकारी मिल रही है। किसानों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि कृषि विभाग ने पोर्टल में दो साल पुराना ही डाटा सबमिट किया है जबकि हकीकत में बीते दो सालों के दौरान ग्रामीण ईलाकों में सैकड़ो ही नहीं बल्कि हजारों खातों में स्वामी परिवर्तन हो गया है तथा कई अन्य अपडेट जैसे बंटवारा, नयी भूमि खरीदी बिक्री हो चुकी है जिसके चलते किसानों का पंजीयन ही नहीं हो पा रहा है। कृषि विभाग के पोर्टल में अब तक लगभग एक दर्जन से अधिक खामियां अब तक सामने चुकी हैं जिसकी वजह से किसान हलाकान हैं वहीं बगैर पंजीयन कराए किसान इस वर्ष अपना धान नहीं बेच पाएंगे कृषि विभाग के इस अल्टीमेटम ने भी किसानों की नींद उड़ाकर रख दी है। जिले में अब तक 19 हजार से अधिक किसानों का पंजीयन नहीं हो पाया है जिसे पंजीयन कराना कृषि विभाग के अधिकारियों के लिए बड़ी चुनौती है। पंजीयन को लेकर एक ओर जहां किसान हलाकान समितियों के चक्कर काट रहे हैं वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग के अधिकारी संबंध में कुछ भी स्पष्ट कहने से बचते हुए नजर आ रहे हैं।
गौरतलब हो कि शासन द्वारा इस वर्ष किसानों को एग्रीस्टेक पोर्टल में रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य कर दिया है परंतु पोर्टेल में आ रही ढेरों खामियों का निराकरण किस प्रकार होगा तथा इस बारे में किसानों को कोई भी अधिकारी बताने को तैयार नहीं है। एग्रीस्टेक पोर्टल की सबसे बड़ी खामी इसका पुराना डाटा है। एग्रीस्टेक पोर्टल में 2022-2023 का डाटा लोड है यानि इसके बाद की खरीदी बिक्री की गयी कृषि भूमि, वारिसान, मुखिया की मृत्यु पश्तात फौती उठाने के बाद भी पुराना भूमिस्वामी ही पोर्टल में नजर आ रहा है। पोर्टल में पुराना डाटा होने की वजह से नए भूमिस्वामी का पंजीयन रिजेक्ट हो जा रहा है। जानकारी के अनुसार अब तक दस से बारह खामियां या इस पोर्टल में नजर आ चुकी हैं जिसके चलते किसानों का पंजीयन ही नहीं हो पा रहा है।
॰ तकनीकी खामियों के चलते किसान परेशान – बीते वर्ष जिले की 15 शाखाओं अन्तर्गत लगभग 1 लाख 60 हजार किसानों ने धान बेचा था जिसमें से अब तक 1 लाख 40 हजार किसानों का पंजीयन हो गया है तथा लगभग 20 हजार किसानों का पंजीयन नहीं हो पाया है। इन 20 हजार किसानों में अधिकांश किसान पोर्टल की किसी ना किसी तकनीकी खामियों के शिकार हो रहे हैं जिसके चलते इनका पंजीयन नहीं हो पा रहा है परंतु इन खामियों का निराकरण कब तक होगा इसके बारे में कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसी प्रकार का मार्गदर्शन नहीं किया जा रहा है। किसानों के पूरे साल का बजट केवल धान पर ही निर्भर करता है लिहाजा पंजीयन नहीं होने से किसानों को बेहद परेशानी झेलनी पड़ रही है।
॰ अब तक कौन कौन सी खामियां आ रही है – जिन किसानों की नगरीय निकायों में कृषि भूमि है, जिन किसानों की एक ग्राम से अधिक ग्राम में कृषि भूमि है, 2023 के बाद की खरीदी बिक्री वाली भूमि, वारिसान भूमि, सम्मिलित खातों में कृषि भूमि है, 2023 के बाद की गयी फौती दूरूस्तीकरण की कृषि भूमि, वन पट्टा में कृषि भूमि आदि इस प्रकार की कृषि भूमि हैं जिनका वर्तमान में एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीयन हो ही नहीं रहा है। इन समस्याओं का हल क्या है तथा कैसे पंजीयन होगा इस बारे में एक ओर जहां किसान परेशान हैं वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग के अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है। ग्रामीण ईलाकों के अधिकांश कृषक कम शिक्षित हैं जिसकी वजह से वे च्वाईस सेंटर जाकर पंजीयन करा रहे हैं। च्वाईस सेंटर में पंजीयन कराने पर उन्हे शुल्क तो देना पड़ रहा है परंतु घर पहुंचते पहुंचते किसानों को पंजीयन रिजेक्ट का मैसेज आ रहा है यानि ना तो पंजीयन हो रहा है और पंजीयन का शुल्क भी देना पड़ रहा है। उपरोक्त वजहों से किसानों का एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीयन नहीं हो पाने तथा पंजीयन कैसे होगा इस संबंध में कृषि विभाग द्वारा किसानों का मार्गदर्शन भी नहीं किया जा रहा है जो किसानों के लिए चिंता की बड़ी वजह है।
॰ किस शाखा में कितने किसानों का पंजीयन नहीं हुआ है – जिले की बलौदा बाजार शाखा से 1971, लवन शाखा से 1568, कसडोल शाखा से 987, बया शाखा से 2070, टुण्ड्रा शाखा से 1309, पलारी शाखा से 1119, रोहांसी शाखा से 1002, कोदवा शाखा से 1213, वटगन शाखा से 909, कोसमंदी शाखा से 746, भाटापारा शाखा से 1355, निपनिया शाखा से 1252, सिमगा शाखा से 2219, हथबंद शाखा से 861 तथा भटभेरा शाखा से 1065 किसानों इस प्रकार जिले में अब तक कुल 19646 किसानों का एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीयन नहीं हो पाया है।
॰ एग्रीस्टेक पोर्टल की तकनीकी खामियों के संबंध में कृषि विभाग द्वारा जानकारी दी गयी कि पोर्टल की तकनीकी खामियों से प्रदेश कार्यालय को अवगत कराया जा रहा है तथा पोर्टेल में अपडेट रायपुर से ही होगा। 1 सितंबर से संयुक्त खाता तथा अलग अलग ग्रामों में कृषि भूमि होने पर भी पंजीयन प्रारंभ हो जाएगा इस प्रकार धीरे धीरे अन्य तकनीकी खामियों को भी दुरूस्त किया जाएगा।