वर्तमान सरकार में भी जारी है चहेतों को टेंडर देने का खेल, टेंडर शर्तों में नियम विरुद्घ तरीके से के दिया बदलाव, स्वास्थ्य विभाग का कारनामा, टेंडर जारी होने से पहले वेंडर फिक्स, टेंडर को निरस्त कर जांच की उठने लगी मांग-

बालोद– सरकार की छवि बनाने और किरकिरी कराने में सरकारी अमले का भी बड़ा रोल होता है। इसका एक उदाहरण जिले के स्वास्थ्य विभाग में जारी टेंडर का है। जहां औषधि निर्माताओं अथवा उनके अधिकृत विक्रेताओं से औषधियां, मशीन उपकरण व फर्नीचर एवं अन्य सामग्री के लिए निकाले गए लगभग 1 करोड़ रुपए के टेंडर में जमकर फर्जीवाड़ा की तैयारी है। सेहत अमले ने विभागीय खेल उजागर न हो इसके लिए पैतरा बदलते हुए टेंडर शर्तों में नियम विरुद्घ तरीके से बदलाव कर दिया है। ताकि छोटे लोग स्वतः ही बाहर हो जाए और अपने पसंदीदा फर्म से सरकारी महकमें में काम कराया जा सके। मामला संज्ञान में आने के बावजूद भले ही किसी भी प्रकार की जांच स्थानीय जिला प्रशासन द्वारा नहीं की जा रही है। लेकिन टेंडर की पहुंच से दूर छोटे वेंडरो ने चिट्ठी भेजकर निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग मुख्यमंत्री से कर दी है। जानकारों का कहना है कि पर्दे के पीछे इसमें ऐसा खेल चल रहा है कि औपचारिकता भी पूरी हो जाये और चहेते फर्म को टेंडर भी मिल जाए। चर्चा है कि धमतरी के एक फर्म को टेंडर को मैनेज करने की प्लानिंग है। बता दे कि निविदा की प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय होती है मगर विश्वस्त सूत्र की मानें तो इसकी पूरी ड्राफ्टिंग धमतरी के उस चहेते फर्म ने तैयार किया है।

टेंडर जारी होने से पहले वेंडर फिक्स
विभागीय सूत्र बता रहे कि निविदा निकालने से पहले ही यह तय कर लिया गया था कि उन्हें यह टेंडर किस फर्म को देना है। इसके लिए अफसरों ने अपनी कलम बचाते हुए सभी कागजी कोरम पूरा तो किया, लेकिन यह भूल गए कि टेंडर जारी करने के दौरान उन्हें जो विज्ञापन जारी करना है वह राज्य के दो और राष्ट्रीय स्तर के दो प्रमुख दैनिक अखबारों में देना है। इस टेंडर की जानकारी अन्य फर्म को पता न चले इसके लिए अफसर ने राष्ट्रीय स्तर के एक और दो प्रदेश स्तरीय अखबार में विज्ञापन दिया है। इससे साफ हो जाता है कि अधिकारी और कार्यालय के बाबुओं की पहले से ही इस टेंडर को मैनेज करने प्लानिंग बन चुकी थी।

समझे टेंडर सेटिंग की प्लानिंग-
टेंडर में वैलिड सेल टैक्स का प्रमाण पत्र मांगा गया हैं। जबकि सेल टैक्स एक्ट 30 जून 2017 से समाप्त हो चुका है। 1 जुलाई 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू हो गया है। अफसरों ने वित्तीय वर्ष का 1 करोड़ का टर्न ओवर प्रमाण पत्र मांगा है। साथ मे वर्ष 2021-22 का आडिट रिपोर्ट भी मांगा है। जबकि 1 करोड़ के टर्न ओवर में नियमानुसार आडिट ऐच्छिक होता है। भारत सरकार के इंकम टैक्स डिपार्टमेंट के अंडर सेक्शन 44एबी के तहत 2 करोड़ से ऊपर आडिट अनिवार्य है। ऐसे में आडिट की बाध्यता लादकर 1 करोड़ के टर्न ओवर वाले छोटे वेंडर/फर्म को टेंडर में शामिल होने से रोक दिया गया। भंडार क्रय नियमों के हिसाब से निविदा का समाचार पत्रों में प्रकाशन के साथ निविदा को वेबसाईट पर भी प्रकाशित करना होता है। जिसमे निविदा में भाग लेने वाली इकाई के लिए यह आवश्यक नहीं होता कि वह विभाग से निविदा प्रपत्र प्राप्त करे। निविदाकार बेबसाईट में उपलब्ध निविदा प्रपत्र को डाउनलोड करके निविदा में भाग ले सकता है जिसे मान्यता प्रदान की जायेगी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने कि कार्यालय से प्राप्त किए गए निविदा प्रपत्र में ही टेंडर प्रस्तुत करना अनिर्वाय कर दिया।

पहले भी इस तरह का हो चुका खेल-
ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग में टेंडर नियमों के विपरीत निविदा का काम किया जा रहा है। इससे पहले भी इस तरह का खेल यहां खेला जा चुका है और फिर से वही हथकंडा अपनाने की तैयारी चल रही है। गौरतलब हो कि हाल में जारी टेंडर पहली बार जुलाई महीने में निकाली गई थी जो महज 9 दिन की थी। दूसरी बार सेम टेंडर सितंबर माह को जारी की गई जो 22 दिनों की थी। गड़बड़ी उजागर होने के बाद अपरिहार्य कारणों का हवाला देते हुए दोनों टेंडरों को निरस्त किया गया। अब नवंबर माह में 1 माह 5 दिन की समयावधि वाली वहीं टेंडर तीसरी बार प्रक्रिया में है। पहले निरस्त किए गए टेंडर के संबंध में सीएमएचओ जेएल उईके का कहना है कि पहले जारी किए गए टेंडर गलत थे। ऐसे में सवाल उठता है कि गलत टेंडर जारी करने वालो के खिलाफ कोई कार्रवाही अब तक क्यो नही की गई।

टेंडर को निरस्त कर जांच की उठने लगी मांग-
सामग्री कार्यों एवं सेवाओं के सार्वजनिक खरीद हेतु विस्तृत दिशा-निर्देशों एवं व्यापक नियमों में मानदंड एवं प्रक्रिया निर्धारित की गयी है। जिसका पालन बालोद जिले के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी टेंडर में नही किया गया है। चहेते फर्म को टेंडर देने के नाम पर खेल किया जा रहा है। मामले की भनक उच्चाधिकारियों को भी है। इससे सवाल उठना लाजमी है कि सामग्री खरीदी मे कपट, सरकारी धन के अपव्यय, भ्रष्टाचार अथवा हेरफेर करने के लिए निकाले गए टेंडर को निरस्त कर मामले की जांच की जानी चाहिए।

“टेंडर शर्तो को लेकर कुछ लोग आए थे जिसका निराकरण किया गया है। अभी भी नियम शर्त को लेकर किसी को आपत्ति है तो यहां आना चाहिए। पहले जारी किए गए टेंडर गलत थे। वो मेरे समय का नही है, मैं अभी आया हूं।”
जेएल उईके, सीएमएचओ, बालोद

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